भगाएंगे ड्रैगन को : गूंजने लगी टॉय गन की धांय...

भारत-चीन सीमा पर तनाव को लेकर कारोबारी भी टेंशन में हैं। इन्हें चिंता सता रही है कि चीन के बने खिलौनों की बाजार में भरमार है अपनी तो बस टॉय गन है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Tue, 23 Jun 2020 11:54 AM (IST) Updated:Thu, 25 Jun 2020 08:20 AM (IST)
भगाएंगे ड्रैगन को : गूंजने लगी टॉय गन की धांय...
भगाएंगे ड्रैगन को : गूंजने लगी टॉय गन की धांय...

अलीगढ़[मनोज जादौन]: भारत-चीन सीमा पर तनाव को लेकर कारोबारी भी टेंशन में हैं। इन्हें चिंता सता रही है कि चीन के बने खिलौनों की बाजार में भरमार है, अपनी तो बस टॉय गन है। 12 साल पहले अलीगढ़ निर्मित प्लास्टिक की इस गन के कारोबार पर चीन ने कब्जा जमाने की कोशिश की, मगर तमंचा मैन्युफैक्चर्स ने चीन के इस कारोबार को शूट कर दिया।

50 साल पहले शुरू किया था काम

50 साल पहले चाकू वालों के नाम से विख्यात नई बस्ती के चुन्नीलाल ने बच्चों का तमंचा बनाने का काम शुरू किया था। इसके बाद कनवरीगंज के  राय साहब चिम्मन लाल ने भी इस काम को रोजी-रोटी का जरिया बनाया। मामू-भांजा के पाली भगत ने आधुनिक तकनीक के साथ बच्चों की टॉय गन में नाम कमाया। 30 साल पहले लोहे की शीट से बनने वाले तमंचों के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया।

 फिल्मकार की पसंद थी गन

अलीगढ़ निर्मित टॉय गन बच्चों की पसंद के साथ फिल्मकारों की खासी पसंद रही है। डाई कास्टिंग से तैयार पिस्तौल तो फिल्मों में फिल्मी सितारों से लेकर खलनायकों के पास दिखती थी। हूबहू दिखने वाली यह पिस्तौल ईगल कंपनी के नाम से थी।

अलीगढ़ का तमंचा विदेशों में छाया

लोहा, जिंक व जस्ता के तमंचे विदेशों में भी खासे पसंद किए जाते थे। पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल व अन्य देशों में इनका निर्यात होता था। अब श्रीलंका व नेपाल में प्लास्टिक के तमंचे निर्यात होते हैं।

अपना ली आधुनिक तकनीक

वर्ष 1988 से लोहा, जिंक व जस्ता के टॉय गन के साथ प्लास्टिक की पिस्टल भी तैयार की जाने लगी। पहले हैंड मोल्डिंग मशीन का प्रयोग किया जाता था। अब ऑटोमेटिक प्लास्टिक मोल्डिंग मशीन का प्रयोग हो रहा है।

100 करोड़ का है कारोबार

प्लास्टिक की पिस्टल का 100 करोड़ रुपये का कारोबार है। अलीगढ़ में 35 मैन्युफैक्चर्स बच्चों के इस उत्पादन को तैयार करते हैं।

चीन को इस तरह दी मात

12 साल पहले चीन ने जब पिस्टल कारोबार में अपनी पकड़ बनाना शुरू किया तो स्थानीय निर्माताओं ने तकनीक को अपग्रेड किया। मुनाफा कम किया। बाजार से मिलने वाले मुनाफा को कंपनी में ही निवेश किया। खुद निर्माता देशी बाजारों में कारोबारियों से मिलते रहे। चीन कारोबारियों की कमजोरी को ही हथियार बनाकर छह साल पहले चीन की पिस्टल को खदेड़ दिया।

हमने टॉय गन की तकनीक को अपग्रेड किया। क्वालिटी को बनाए रखने के लिए मुनाफा कम रखा। तभी चीन को बाजार से खदेड़ दिया।

सुभाष लिटिल, मैन्युफैक्चर्स

हमने सबसे कम कीमत पांच रुपये में प्लास्टिक की टॉय गन बाजार में उतारी। इससे चीन के कारोबारियों की नींव हिल गई।

सुनील पाली, ईगल ब्रांड

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