100 पर फेल, शून्य पर पास

अलीगढ़: जो शायद कहीं संभव नहीं, वो दुनिया की शीर्ष सूची में शामिल होने को बेताब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिव

By Edited By: Publish:Tue, 01 Sep 2015 01:10 AM (IST) Updated:Tue, 01 Sep 2015 01:10 AM (IST)
100 पर फेल, शून्य पर पास

अलीगढ़: जो शायद कहीं संभव नहीं, वो दुनिया की शीर्ष सूची में शामिल होने को बेताब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हो गया। यहां कक्षा-एक में दाखिले के लिए हुई प्रवेश परीक्षा में 100 फीसद अंक जुटाने वाले कई बच्चे फेल हो गए। चकित करने वाली बात यह कि तमाम ऐसे दाखिला पा गए, जिन्हें प्रवेश परीक्षा में एक भी अंक नहीं मिला था। इनके लिए चोर दरवाजा इंटरव्यू बना। इसमें जीरो वालों को हीरो बना दिया गया, जबकि परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करने वालों को पास होने लायक नंबर भी नहीं दिए गए।

यह खेल हुआ है, एएमयू के अब्दुल्ला प्राइमरी स्कूल में। यहां पहली क्लास में तकरीबन 350 सीटें रहती हैं। कई बार पांच-दस सीट घट-बढ़ भी जाती हैं। इसके लिए हर साल हजारों बच्चे परीक्षा देते हैं। अंतिम चयन इंटरव्यू से होता है। इस बार भी यही हुआ। नतीजे आए तो कई अभिभावक चकित रह गए। फेल होने के कारण तलाशने के लिए लोगों ने सूचना के अधिकार को हथियार बनाया तो होश उड़ाने वाला सच सामने आया।

इंटरव्यू में अंक-वर्षा

'दैनिक जागरण' के पास चयनित बच्चों की सूची है। इसमें 20 छात्राएं ऐसी हैं, जिन्हें 100 अंक की प्रवेश परीक्षा में शून्य मिला है। 18 छात्राओं को शून्य से 12 अंक मिले हैं। 25 अंक के इंटरव्यू में 10 से 20 अंक देकर इन्हें पास कर दिया गया। दरअसल, लिखित परीक्षा में किसी बच्चे के कितने अंक आए, इसकी कोई अहमियत नहीं रही। इंटरव्यू में न्यूनतम 10 अंक पाने वाले उत्तीर्ण मान लिए गए। दाखिले से वंचित रहीं 23 छात्राओं में 15 ऐसी हैं, जिन्हें परीक्षा में तो 80 से 98 अंक मिले लेकिन इंटरव्यू में मात्र छह से नौ अंक ही नसीब हुए।

100 फीसद पर भी फेल

प्रवेश परीक्षा में 23 छात्र ऐसे हैं, जिन्हें 80 से 100 फीसद अंक मिले लेकिन दाखिला नहीं। इनमें से पांच को सौ फीसद अंक मिले थे। इन्हें इंटरव्यू में मात्र सात से नौ अंक देकर फेल कर दिया गया। चयनित छात्रों में से पांच ऐसे भी हैं, जो प्रवेश परीक्षा में एक भी अंक नहीं पा सके। इन पर इंटरव्यू में अंक बरसा दिए गए।

इनका कहना है

स्कूल गाइडलाइंस के मुताबिक बच्चे के पास होने के लिए कोई अंक सीमा तय नहीं है। तीन साल से व्यवस्था है कि इंटरव्यू में 10 अंक जरूर हों। प्रवेश परीक्षा में सौ अंक पाने वाले बच्चे निर्धारित पांच साल से बड़े दिख रहे थे। इसी कारण इंटरव्यू में उन्हें रोका गया है। यही वजह है कि शून्य अंक पास हो गए।

- प्रो. जावेद अख्तर, प्रॉक्टर एएमयू।

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