शर्मनाक: पैसे नहीं मिलेे तो प्रसूता के साथ किया ऐसा सलूक, पढ़ें स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की पोल खोलती रिपोर्ट Agra News

चिकित्साधिकारी ने टेक्नीशिायन और चालक को लगाई फटकार उच्चाधिकारियों को दी सूचना। एसएन में गंभीर मरीजों को इमरजेंसी और ओपीडी के लगाने पड़ रहे चक्कर।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Tue, 10 Dec 2019 03:05 PM (IST) Updated:Tue, 10 Dec 2019 03:05 PM (IST)
शर्मनाक: पैसे नहीं मिलेे तो प्रसूता के साथ किया ऐसा सलूक, पढ़ें स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की पोल खोलती रिपोर्ट Agra News
शर्मनाक: पैसे नहीं मिलेे तो प्रसूता के साथ किया ऐसा सलूक, पढ़ें स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की पोल खोलती रिपोर्ट Agra News

आगरा, जागरण्‍ा संवाददाता। प्रदेश सरकार की निश्शुल्क एंबुलेंस (102) सेवा के टेक्नीशियन ने 500 रुपये नहीं देने पर प्रसूता और उसके स्वजनों को एंबुलेंस से उतार दिया। अस्पताल में स्वजनों के हंगामे के बाद चिकित्साधिकारी ने चालक को कड़ी फटकार लगाई और प्रसूता को घर भिजवाया। चिकित्साधिकारी ने एंबुलेंस चालक के खिलाफ कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों से शिकायत की है।

खंदौली के शाह नगर बंबा नाऊ की सराय निवासी यूनिस के मुताबिक रविवार की रात उनकी पत्‍नी खुशबू ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बेटे को जन्म दिया था। उन्होंने सोमवार सुबह 10 बजे पत्‍नी को घर ले जाने के लिए निश्शुल्क एंबुलेंस सेवा को फोन कर बुलाया। एंबुलेंस चालक प्रहलाद सिंह और ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) यतेंद्र सिंह पहुंचे और प्रसूता को अस्पताल से घर लेकर चल दिए।

यूनिस का आरोप है कि घर पहुंचने पर यतेंद्र सिंह ने उनसे 500 रुपये मांगे। इन्कार पर चालक ने गाड़ी मोड़ दी और उन्हें पुन: अस्पताल पहुंचाकर उतार दिया। अस्पताल पहुंच यूनिस की मां ने हंगामा कर दिया। शोर मचता देख चिकित्साधिकारी डॉ. उपेंद्र सिंह पहुंच गए। असलियत जान उन्‍होंने यतेंद्र सिंह और प्रहलाद सिंह को कड़ी फटकार लगाई। बाद में दूसरे चालक से यूनिस की पत्‍नी को घर तक पहुंचवाया। चिकित्साधिकारी ने कहा है कि उक्त एंबुलेंस चालक और ईएमटी के खिलाफ आरोपों से उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया है। दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

अन्य तीमारदारों ने भी लगाए आरोप

अस्पताल पर यूनिस की मां के हंगामे के दौरान कई अन्य तीमारदार भी पहुंच गए। उन्होंने चिकित्साधिकारी से कहा कि निश्शुल्क सेवा एंबुलेंस के चालक और उसके साथी अक्सर मरीजों को घर पहुंचाने पर पैसों की मांग करते हैं। नहीं देने पर झगड़ा तक करने पर उतारू हो जाते हैं। कई बार तो मरीज को रास्ते में ही छोड़ देते हैं।

कराह रहे मरीज, व्हील चेयर खींच रहे तीमारदार

एसएन में गंभीर मरीज इलाज के लिए चक्कर लगा रहे हैं। सोमवार को सांस फूलने पर मरीज को इमरजेंसी से ओपीडी में भेज दिया। यहां वे करीब एक घंटे तक ट्रेचर पर लेटे रहे। इसके बाद नंबर आया। वहीं, गंभीर मरीजों को ओपीडी में ले जाने के लिए वार्ड बॉय नहीं मिल रहे हैं, स्ट्रेचर और व्हील चेयर तीमारदारों को खींच कर ले जाने पड़ रहे हैं।

सुबह नौ बजे से ओपीडी में मरीजों की लाइन लग गई, मेडिसिन, बाल रोग, चर्म रोग और अस्थि रोग विभाग में मरीजों की लंबी लाइन लगी रही। ऐसे में लाइन में लगे मरीज और तीमारदारंों में धक्का-मुक्की भी होते देखी गई। इस दौरान अपने नंबर को लेकर विवाद भी होते देखे गए। वहीं, हृदय रोग, सांस फूलने सहित गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज इमरजेंसी पहुंचे, इन्हें ओपीडी में दिखाने के लिए भेज दिया। कालिंदी विहार निवासी सौरभ शर्मा ने बताया कि वह अपने पिता को सांस लेने में परेशानी होने पर इमरजेंसी लेकर पहुंचा। उसी भर्ती न करके ओपीडी भेज दिया गया। इससे उन्हें काफी परेशानी हुई। ओपीडी में एक घंटे स्ट्रेचर पर लेटे इंतजार करना पड़ा, इसके बाद उनका नंबर आया और भर्ती किया गया। उन्हें सही से उपचार भी नहीं मिल सका। दवाओं के लिए भी उन्हें भटकना पड़ा।

दवाएं और जांच के लिए मरीज परेशान

एसएन में दवाओं का नौ करोड़ का बजट आ चुका है, ऑर्डर भेज दिए गए हैं लेकिन दवाएं नहीं आईं हैं। यहां 60 तरह की दवाएं ही उपलब्ध हैं, मरीजों को महंगी दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं। वहीं, खून से लेकर एक्सरे और अल्ट्रसाउंड की जांच के लिए मरीजों को चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। 10 से 15 दिन बाद की तिथि दी जा रही है।

क्‍या कहते हैं मरीज

सात दिन की दवाएं लिखी हैं, पांच में से दो दवाएं वह भी तीन दिन के लिए दे रहे थे। इसलिए दवाएं नहीं लीं।

विजय सिंह, नगला पदी

एक रुपये का पर्चा बना और 800 रुपये की दवाएं लिख दी। एसएन से एक भी दवा नहीं मिली है, सभी दवाएं मुफ्त मिलनी चाहिए।

अंकित, बालूगंज

एक्सरे के लिए लिख दिया है, इधर से उधर भटक रहे हैं। मगर कोई बताने वाला नहीं है, निजी सेंटर से ही एक्सरे कराना पड़ेगा।

पिंकी, खेरिया मोड

सुबह से लाइन में लगना पड़ा, कई घंटे इंतजार के बाद नंबर आया। अब जांच और दवाओं के लिए भटकना पड़ रहा है।

आशिफ, वजीरपुरा

जल्‍द दूर होंगी समस्‍याएं

दवाओं की समस्या जल्द समाप्त हो जाएगी, ओपीडी और इमरजेंसी में वार्ड बॉय की संख्या बढ़ाई जा ही है। जिससे गंभीर मरीजों को शिफ्ट करने में समस्या ना आए।

डॉ. जीके अनेजा, प्राचार्य एसएन मेडिकल कॉलेज

 

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