Lockdown 3.0 में प्राकट्योत्सव Lock, पहली बार ठा. राधारमण के महाभिषेेेक में शामिल नहीं हुए भक्‍त

Lockdown 3.0 सप्तदेवालयों में प्रमुख ठा. राधारमणलाल जू के प्राकट्योत्सव पर गुरुवार को मंदिर के सेवायतों ने आराध्य का पंचामृत से महाभिषेक किया।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Thu, 07 May 2020 12:42 PM (IST) Updated:Thu, 07 May 2020 12:42 PM (IST)
Lockdown 3.0 में प्राकट्योत्सव Lock, पहली बार ठा. राधारमण के महाभिषेेेक में शामिल नहीं हुए भक्‍त
Lockdown 3.0 में प्राकट्योत्सव Lock, पहली बार ठा. राधारमण के महाभिषेेेक में शामिल नहीं हुए भक्‍त

मथुरा, जेएनएन। ठा. राधारमण देव का प्राकट्योत्सव गुरुवार को मंदिर में अनेक धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मनाया गया। प्रातःकाल वैदिक ऋचाओं की अनुगूंज के मध्य ठाकुरजी के श्रीविग्रह का 2100 किलो दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पंचगव्य, सर्वाषधि, गंधाष्टक, बीजाष्टक समेत 54 जड़ी- बूटियों से महाभिषेक कराया।

सखी री आज भये मन भाए। राधारमण सिंहासन बैठे पंचामृत में न्हाये।। लावन्यमृत दूध धार में वारुणी दधि लपटाए। स्नेहामृत घ्रत चिक्कण श्री तन मधु माधुर्य चुचाये।। निज अनुराग सीता के रस में भीजत है सचु पाये। गौर अंग में श्यामरंग पट श्याम गौर दर्शाए।। भूषण भाव तिलक शोभा को अरु सौभाग्य लगाये। लोचन कमल कटाक्ष माला क्षण क्षण में निरमाये।। अंग सुगंधि धूप नीर धुमित कांति दिप छवि छाए। रूपामृत व्यंजन अधरामृत जल पिवत ना अघाये।। मृदु मुस्कयान पान की बीरी अद्भुत रंग रचाये। प्राण वारति करत आरती अली दृग जल ढरकाये।। श्री ललितादिक सकल सखिजन निरखि निरखि सचु पाये। रूपमंजरी संग गुणमंजरी बारबार बली जाए।। 

इन पदों के गायन के साथ सप्तदेवालयों में प्रमुख ठा. राधारमणलाल जू के प्राकट्योत्सव पर गुरुवार को मंदिर के सेवायतों ने आराध्य का पंचामृत से महाभिषेक किया। आज से 478 साल पहले चैतन्य महाप्रभु के अनन्य भक्त गोपाल भट्ट गोस्वामी के प्रेम के वशीभूत होकर ठा. राधारमणलाल जू शालिग्राम शिला से प्रकट हुए। ठाकुरजी के प्राकट्योत्सव मंदिर में गुरुवार को उत्सव का माहौल रहा। सुबह पंचामृत से महाभिषेक तो परंपरागत तरीके से हुआ लेकिन लॉकडाउन के चलते मंदिर के इतिहास में पहली बार भक्तों को इन विलक्षण पल के दर्शन न हो सके।

बैशाख शुक्ला पूर्णिमा की प्रभात बेला में शालिग्राम शिला से राधारमणदेव जू का प्राकट्य हुआ। इससे पूर्व चैतन्य महाप्रभु के भक्त गोपाल भट्ट गोस्वामी शालिग्राम शिला का विधि विधान पूर्वक पूजन करते रहे। मंदिर सेवायत और गोपाल भट्ट गोस्वामी के वंशज वैष्णवाचार्य अनुराग गोस्वामी ने बताया गोपाल भट्ट गोस्वामी में अपने आराध्य शालिग्राम शिला में ही गोविंददेव जी का मुख, गोपीनाथजी का वक्षस्थल और मदनमोहनजी का चरणारविंद के दर्शन की अत्यंत उत्कंठा थी। इसी पूर्णिमा के दिन जब भक्त प्रहृलाद की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान नृसिंहदेव प्रकट हुए तो गोपाल भट्ट गोस्वामी ने अपने आराध्य से कहा क्या मेरा भी ऐसा सौभाग्य होगा, इस शालिग्राम शिला से प्राकट्यरूप् से दर्शन कर सकूंगा। परम भक्त की वेदना प्रभु से छिपी नहीं रही ओर वैशाख शुक्ला पूर्णिमा की भोर में ठा. राधारमणदेव शालिग्राम शिला से प्रकट हुए। प्राकट्यकर्ता गोपाल भट्ट गोस्वामी की प्रेरणा से ही वैशाख शुक्ला पूर्णिमा को उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है।

इतिहास में पहली बार सूना रहा मंदिर

लॉकडाउन के चलते मंदिर में भक्तों की एंट्री नहीं थी। जबकि आराध्य के प्राकट्योत्सव पर दर्शन के लिए न केवल देश बल्कि विदेश से भी सैकड़ों भक्त वृंदावन में डेरा डालते रहे हैं। 

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