PM मोदी ने जनता कर्फ्यू के लिए 22 मार्च को ही क्‍यों चुना? जानिए इस सोच के पीछे का वैज्ञानिक महत्‍व

धर्म वैज्ञानिक डॉ जे जोशी के शोध के अनुसार शतभिषा नक्षत्र में घंटी और तालियों की फ्रीक्‍वेंसी बैक्टिरिया वायरस को करती है खत्‍म। 22 को है पूरे दिन शुभ योग।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Fri, 20 Mar 2020 05:08 PM (IST) Updated:Sat, 21 Mar 2020 08:33 AM (IST)
PM मोदी ने जनता कर्फ्यू के लिए 22 मार्च को ही क्‍यों चुना? जानिए इस सोच के पीछे का वैज्ञानिक महत्‍व
PM मोदी ने जनता कर्फ्यू के लिए 22 मार्च को ही क्‍यों चुना? जानिए इस सोच के पीछे का वैज्ञानिक महत्‍व

आगरा, तनु गुप्‍ता। दुनिया भर में एक कहर की तरह अपनी पैठ बनाने वाले कोरोना वायरस को मात देने की भारत ने तैयारी कर ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को देश को संबोधित करते हुए 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान शाम पांच बजे घरों के दरवाजे, खिड़कियों और बालकनियाें पर आकर घंटे, तालियां आदि बजाने की अपील की है। प्रधानमंत्री की यह अपील देशभर में लोग एक सेे दूसरे तक पहुंचा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने यह अपील उन लोगों के सम्‍मान में की है जो कोरोना वायरस से जंग में लगातार अपना योगदान दे रहे हैं लेकिन क्‍या आप जानते हैं यह बात बस इतनी भर नहीं है। उज्‍जैन स्थित धर्म विज्ञान शोध संस्‍थान पर तालियों और घंटेे की आवाज पर शोध हुआ है। शुक्रवार को संस्‍थान के निर्देशक डॉ जे जोशी ने आगरा प्रवास के दौरान जागरण डॉट कॉम को घंटे और तालियों की ध्‍वनि से होने वाले प्रभाव के बारे में जानकारी दी। डॉ जे जोशी ने बताया कि ध्‍वनि की फ्रीक्‍वेंसी कोरोना का साफ कर सकती है। विशेषकर शतभिषा नक्षत्र में लगातार यदि घंटा बजाया जाए तो उसकी ध्‍वनि विषैले बैक्‍टीरिया वायरस को समाप्‍त कर देती है। शतभिषा नक्षत्र में हीलिंग पावर होती है। इसमें एक सुरक्षा चक्र बनाता है जो  रक्षा करता है और  इम्यून पावर बढ़ाकर मजबूती प्रदान करता है।

22 को हैं ये विशेष नक्षत्रों के योग

डॉ जे जोश के अनुसार 22 मार्च, रविवार, ये आम दिन नहीं है। इस दिन तीन महत्‍वपूर्ण योग बन रहे हैं। जिनमें असरकारक शतभिष नक्षत्र, राक्षस योग और शिवरात्रि है। इस दिन घरों में रहकर लोग ईश्‍वर आराधना के साथ तालियां और घंटे बजाते हैं तो वो ध्‍वनि चमत्‍कार का काम करती है। ध्‍वनि की तरंगे आसपास के हर बैक्टिरिया को खत्‍म करती हैं।

इटली और स्‍पेन में भी हो चुका है प्रयोग

दिसबंर 2019 में जब चीन में कोरोना वायरस ने अपने पैर पसारने शुरु कियेे तब बाकि दुनिया निश्चिंत थी कि उन तक कोरोना का खतरा संभवत: नहीं पहुंचेगा। स्‍पेन और इटली ने इससे इतर वायरस के प्रकोप को भांपते हुए सनातन धर्म की इस विधि को अपनाया। दोनों देशों में लोगों ने एक ही समय पर घर के बाहर खिड‍़कियों और बालकनी पर आकर तालियां बजाकर वायरस के प्रभाव को कम करने का प्रयास किया था।  

घंटी बजाने के पीछे का वैज्ञानिक कारण

डॉ जे जोशी का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है। यही कारण है कि जिन जगहों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती रहती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इसी वजह से लोग अपने दरवाजों और खि‍ड़कियों पर भी विंड चाइम्स लगवाते हैं, ताकि उसकी ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां हटती रहें। नकारात्मकता हटने से स्‍वास्‍थ्‍य और समृद्धि के द्वार खुलते हैं।

ताली लाती है मन में शांति

डॉ जे जोशी कहते हैं कि ताली का विज्ञान काफी विस्‍तृत है। ताली का महत्‍व पूरी दुनिया समझ चुकी है। लगातार ताली बजाने से शान्ति का अनुभव होता है जिससे स्ट्रेस लेवल काफी हद तक कम होता है। जब भी हम किसी मंदिर में जाते हैं तो आरती के समय ताली जरूर बजाते हैं। घरों में भी पूजा, कथा और आरती के समय ताली बजाई जाती है। इसके अलावा और भी बहुत से मौकों पर ताली बजाकर सेलिब्रेशन किया जाता है। धार्मिक अवसरों पर ताली बजाना एक परंपरा है। इस परंपरा के सिर्फ धार्मिक कारण ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक फायदे भी छिपे हैं।

ताली बजाने से होते हैं ये फायद

- एक्यूप्रेशर सिद्धांत के अनुसार, हमारी हथेली में पूरे शरीर के दबाव बिंदु होते हैं, जिनको दबाने पर संबंधित अंग तक खून व ऑक्सीजन का प्रवाह पहुंचने लगता है, जिससे उससे संबंधित बीमारी नहीं होती।

- हथेली में स्थित इन सभी दबाव बिंदुओं को दबाने का सबसे प्रभावी और आसान तरीका है ताली बजाना। जब हम ताली बजाते हैं तो हथेली के सारे दबाव बिंदु दबते हैं और संबंधित अंगों तक खून और ऑक्सीजन आसानी से पहुंच जाती है।

- ताली में बाएं हाथ की हथेली पर दाएं हाथ की चारों अंगुलियों को एक साथ तेज दबाव के साथ इस प्रकार मारा जाता है कि दबाव पूरा हो और आवाज अच्छी आए।

- इस प्रकार ताली बजाने से फेफड़े, लीवर, पित्ताशय, गुर्दे, छोटी आंत व बड़ी आंत तथा दाएं हाथ की अंगुली के साइनस के दबाव बिंदु दबते हैं।

- इससे इन अंगों तक खून का प्रवाह तीव्र होने लगता है। इस तरह की ताली को तब तक बजाना चाहिए, जब तक हथेली लाल न हो जाए।

- ताली बजाने से कब्ज, एसिडिटी, मूत्र, संक्रमण, खून की कमी व श्वांस लेने में तकलीफ जैसे रोगों में भी लाभ पहुंचता है।

- एक्यूप्रेशर चिकित्सकों के अनुसार, ताली बजाने से डिप्रेशन, अनिद्रा, स्लिप डिस्क, स्पोगोलाइसिस और आंखों की कमजोरी जैसी समस्याओं में काफी लाभ पहुंचता है।

- प्रतिदिन अगर नियमित रूप से दो मिनट भी तालियां बजाई जाएं तो फिर किसी हठयोग या आसनों की जरूरत नहीं रहेगी। 

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