फॉरेंसिक 'सुबूत' के बाद भी 'गुनहगारों' को बचा गया विवि, जानिए कैसे?

- विवि में तीन साल से बीएड चार्टो में गड़बड़ी की रिपोर्ट फांक रही धूल - तत्कालीन उपकुलसचिव प्रभाष द्विवेदी ने कराई थी जांच

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Dec 2018 07:00 AM (IST) Updated:Tue, 18 Dec 2018 07:00 AM (IST)
फॉरेंसिक 'सुबूत' के बाद भी 'गुनहगारों' को बचा गया विवि, जानिए कैसे?
फॉरेंसिक 'सुबूत' के बाद भी 'गुनहगारों' को बचा गया विवि, जानिए कैसे?

आगरा, जागरण संवाददाता। आंबेडकर विवि में बीएड फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट को दबाकर गुनहगारों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

विवि के बीएड 2005 फर्जीवाड़े की एसआइटी जांच चल रही है। 2012 में तत्कालीन उप कुलसचिव प्रभाष द्विवेदी ने बीएड चार्टो में गोलमाल पकड़ा था। इस मामले में उन्होंने बीएड सत्र 2003, 2005, 2008 और 2009 के चार्ट और तीन कर्मचारी अखिलेश अग्रवाल, जगवीर सिंह और राजेश चोपड़ा के हस्ताक्षर के नमूनों को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला में भेजा था। इन चार्टो की फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट विवि को 18 नवंबर 2014 को भेज दी गई, लेकिन उस समय तक प्रभाष द्विवेदी का स्थानांतरण हो चुका था। इसके बाद रिपोर्ट को कोने में रख दिया गया। सूत्रों ने बताया कि 2015 में इस रिपोर्ट को खोला गया था। इसमें चार्टो में गड़बड़ी की पुष्टि हुई थी। रिपोर्ट मिलने के बाद विवि प्रशासन ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए रिपोर्ट को ही दबा दिया। तीन साल से रिपोर्ट विवि में पड़ी है, लेकिन किसी ने भी इस पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं की।

यह मिली थीं गड़बड़ी

जांच में बीएड 2005 के चार्टो में पेज संख्या 49, 50, 51 के दो-दो पेज थे। पेज संख्या 65-66 संलग्न नहीं थे। पेज संख्या 74 के दो पेज थे, 75 नंबर नहीं था। पेज संख्या 77 के दो पन्ने थे, बीच में पेज संख्या 76 संलग्न था। पेज संख्या 85 के सात पन्ने थे। इसी तरह 206 पेजों की जांच की गई है। इसकी विस्तृत रिपोर्ट विवि को भेजी गई हैं।

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