राजस्थान में अब विदेशी जीव-जंतुओं को पालने व कारोबार करने वालों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा

राजस्थान में अब विदेशी प्रजाति के जीव-जंतुओं को पालने वालों को इनका वन विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। वन विभाग ने एडवाइजरी जारी की ।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Fri, 26 Jun 2020 09:40 AM (IST) Updated:Fri, 26 Jun 2020 09:40 AM (IST)
राजस्थान में अब विदेशी जीव-जंतुओं को पालने व कारोबार करने वालों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा
राजस्थान में अब विदेशी जीव-जंतुओं को पालने व कारोबार करने वालों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में अब विदेशी प्रजाति के जीव-जंतुओं को पालने वालों को इनका वन विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन कराए बिना जीव-जंतुओं को पाला नहीं जा सकेगा। इसके लिए एडवाइजरी भी जारी की गई है। विदेशी जीव-जंतु रखने वालों को इनके बारे में 6 माह में जानकारी देना अनिवार्य किया गया है ।

वन विभाग की ओर सेजारी एडवाइजरी में कहा गया है कि विदेशी जीव-जंतुओं को पालने, प्रजनन करने या उनके कारोबार की घोषणा करने के साथ ही और रजिस्ट्रेशन कराना होगा। वन विभाग ने इसके लिये एक फॉर्मेट जारी किया है, जिसके मुताबिक इसके लिए राज्य के मुख्य वन्य-जीव प्रतिपालक की अनुमति अनिवार्य कर दी गयी है । विदेशों से लाए गए पक्षियों में मुख्य रूप से लव बर्ड्स, मकाऊ तोता, अफ्रीकी तोते, चूहे , विदेशी कछुए व विदेशी छिपकली आदि शामिल है। अब तक इनका कोई रिकॉर्ड वन विभाग में नहीं होता था। बस केवल इतनी जानकारी होती थी कि लोग विदेशी जीव-जंतु पालते हैं।

फिजिकल वेरिफिकेशन होगा

भारतीय नहीं होने के कारण अभी तक ये वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के दायरे से बाहर हैं, लेकिन अब इन विदेशी प्रजातियों के जीवों का लेखा-जोखा भी वन विभाग अपने पास रखेगा। ऐसे जीव जंतुओं की आधिकारिक तौर पर घोषणा के लिए वन विभाग सभी को 6 महीने का समय देगा । अगर इस दौरान कोई अपने पास मौजूद ऐसे की जानकारी छुपायेगा तो उसके पास मौजूद ऐसे वन्य जीवों को गैर-कानूनी माना जायेगा । वन विभाग की ओर जारी की गई एडवाइजरी के मुताबिक इस योजना के माध्यम से प्रदेश में विदेशी प्रजातियों के जीवित जीव-जंतुओं की सूची बनेगी ।

1 जनवरी 2020 तक कि स्थिति के हिसाब से ऐसे जीव-जंतुओं के मालिक या उनका स्टॉक रखने वालों का मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक की ओर से परिवेश पोर्टल के जरिये पंजीकरण किया जाएगा। उनके स्टॉक की जानकारी दी जाएगी और विदेश से आयात किये गए ऐसे जीवों की उत्पत्ति की जानकारी दी जाएगी।

ऐसे जीवों का पंजीकरण और फिजिकल वेरिफिकेशन करने के बाद ऐसे जीव-जंतुओं को रखने का ऑनलाइन सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। ऐसे जीवों के फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की ओर से एक अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।ये अधिकारी उस जगह का मुआयना भी करेगा जहां ऐसे जीव-जंतुओं को रखा जाता है।

घोषणा के बाद किसी भी जीव-जंतु को किसी और को दिए जाने या उसकी मृत्यु हो जाये या फिर उसका कोई व्यापार हो तो इसकी जानकारी भी मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक को 30 दिनों के भीतर देनी होगी। इसकी एक रसीद मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक द्वारा जारी की जाएगी। अगर ऐसे जीवों को रखने वाले या उनका स्टॉक रखने वाले किसी भी चिड़ियाघर में ऐसे जीवों को सरेंडर करने की इच्छा रखते हैं तो संबंधित चिड़ियाघर से स्वीकृति के लिए अनुरोध किया जा सकता है। 

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