अपनों ने मुंह मोड़ा तो मुस्लिम भाईचारे ने किया सिख महिला का अंतिम संस्कार

एक बुजुर्ग सिख महिला का निधन हो गया। पूर्व पति और बेटे व बेटी ने उसका अंतिम संस्‍कार करने से इन्‍कार कर दिया। इसके बाद मुस्लिम भाईचारे के लोगोें ने उनका अंतिम संस्‍कार कराया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 19 Feb 2020 12:52 PM (IST) Updated:Wed, 19 Feb 2020 01:37 PM (IST)
अपनों ने मुंह मोड़ा तो मुस्लिम भाईचारे ने किया सिख महिला का अंतिम संस्कार
अपनों ने मुंह मोड़ा तो मुस्लिम भाईचारे ने किया सिख महिला का अंतिम संस्कार

भूपेश जैन, मालेरकोटला (संगरूर)। इंसानियत, कहने को मात्र एक शब्द है, लेकिन इसकी गहराई इतनी है, इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मालेरकोटला की पुरानी किला बस्ती में 16 साल से किराये के मकान में रह रही 59 वर्षीय 'रानी आंटी' की मौत ने इसकी परिभाषा को बखूबी बयां किया है। महिला का अंतिम संस्कार करने से जब पति, बेटे व बेटी ने मुंह मोड़ लिया तो शहर का मुस्लिम भाईचारा आगे आया। उन्होंने कुछ सिखों के साथ मिलकर मालेरकोटला के श्मशानघाट में महिला का अंतिम संस्कार किया और इंसानियत की मिसाल पेश की। वहीं स्वजनों को भी नसीहत दी।

पूर्व पति और पुत्र-पुत्री ने कर दिया था महिला का अंतिम संस्कार करने से इन्कार

पार्षद असलम काला ने बताया कि महिला दविंदरजीत कौर को लोग रानी आंटी के नाम से ही जानते थे। वह संगरूर के अमरगढ़ के नजदीकी गांव की रहने वाली थीं। वहां उसके पति का संपन्न परिवार है। एक बेटी व बेटा भी है। रानी आंटी लंबे समय से मालेरकोटला में मजदूरी कर गुजारा कर रही थीं। उनका निधन हो गया।

तलाक के बाद सालों से मालेरकोटला में ही रह रही थी रानी आंटी

निधन के बाद पंचायत ने उनके पति और बच्‍चों से अमरगढ़ जाकर बात की। काफी समझाने के बाद भी पति व बच्चों ने महिला का अंतिम संस्कार करने से साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा, 'उनका रिश्ता तो 16 साल पहले ही टूट गया था।' मोहल्ले के लोगों ने पुलिस से बात की तो कई पुलिसकर्मी भी परिवार से मिलने पहुंचे। परिवार ने उनकी भी नहीं सुनी। यहीं से उनको पता चला कि 'रानी आंटी' का असली नाम दविंदरजीत कौर था और करीब डेढ़ दशक पहले तलाक के बाद वह मालेरकोटला आकर रहने लगी थीं।

सिख रस्मों से संस्कार, गुरुद्वारा साहिब में पाठ व भोग

असलम काला, एडवोकेट शादाब उल हक, प्रिंसिपल नदीम-उल-हक, मोहम्मद अशरफ कुरैशी, रशीद, मोहम्मद हनीफ व अकरम बगा ने कहा कि बुजुर्ग महिला कभी दवा इत्यादि मुफ्त नहीं लेती थीं। बीमार होतीं तो दवा देने पर मजदूरी के पैसे निकालकर दे देती थी। परिवार के संस्कार से मना करने पर लोगों ने पैसे इकट्ठे किए और पुलिस कार्रवाई के बाद संस्कार किया। मुखाग्नि एक सिख से दिलवाई गई। वहां जाकर फूल भी चुगे गए। अगले रविवार को गुरुद्वारा साहिब में आत्मिक शांति के लिए पाठ भी करवाए जाएंगे और भोग डालेंगे।

मजूदरी कर करती थीं गुजारा

रानी आंटी मजदूरी कर गुजारा करती थीं। वह कुछ समय से बीमार भी चल रही थी। कभी उन्हें कोई खाना तो कभी दवा दे जाता था। बीमारी के कारण उनका निधन हो गया। सब इंस्पेक्टर निर्भय सिंह ने बताया कि परिवार ने अंतिम संस्कार से मना कर दिया था। मालेरकोटला के रामबाग में पुलिस की मौजूदगी में मुस्लिम भाईचारे के लोगों ने अंतिम संस्कार किया।

chat bot
आपका साथी