कोर्ट के सामने नहीं चली पिता की मनमानी, 6 महीने बाद बेटे को देख फफक कर रोई लुधियाना की रमिता.. देखें तस्वीरें
खन्ना के अरमानदीप को उसके पिता सुखपाल सिंह ने उसकी नानी के घर के बाहर से उठा लिया था। उसके बाद सुखपाल सिंह व अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था। आखिरकार अदालत ने अरमानदीप की मां के लिए राहत भरा फैसला दिया।
खन्ना (लुधियाना), जेएनएन। पौने छह माह से अपने जिगर के टुकड़े की एक झलक पाने को तरस रही मां के लिए शुक्रवार की शाम 04.50 मिनट पर जैसे सारी कायनात ही धरती पर उतर आई हो। खन्ना के न्यू मॉडल टाउन से अपने पिता द्वारा ही उठाए 4 साल के अरमानदीप को शुक्रवार को हाईकोर्ट के आदेश पर मां को लौटाया गया। बच्चे से मिलते ही मां फफक कर रो पड़ी। बेहद भावुक करने वाले माहौल में आखिर कानूनी लड़ाई के बाद मां रमिता को अरमानदीप मिल ही गया।
शहर के न्यू माडल टाउन इलाके में घर के बाहर खेल रहे साढ़े तीन साल के बच्चे अरमानदीप को उसके ही पिता द्वारा 11 सितंबर 2020 को उठा ले जाने के मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मां के हक में फैसला सुनाया। अदालत ने 5 मार्च को बच्चा मां के हवाले करने के आदेश पिता को दिए थे। इस तरह से करीब पौने छह महीने के बाद 4 साल के अरमानदीप को अपनी मां की गोद मिल गई और अपने लाडले को गले लगाकर मां के कलेजे को भी ठंडक पहुंच गई।
पूरा मामला
11 सितंबर 2020 को अरमानदीप को उसके पिता सुखपाल सिंह ने उसकी नानी के घर के बाहर से उठा लिया था। उसके बाद सुखपाल सिंह व अन्य के खिलाफ सिटी 2 थाना पुलिस ने 4 दिन बाद केस दर्ज किया था। इस बीच दोनों पक्षों में कानूनी लड़ाई चलती रही और आखिर अरमानदीप की मां रमिता के लिए राहत भरा फैसला अदालत ने दिया। अदालत में रमिता की तरफ से एडवोकेट दिवज्योत सिंह संधू पेश हुए थे। अदालत ने मंगलवार को फैसला सुनाया था। शुक्रवार को बच्चे को सौंपने के लिए पिता सुखपाल अपने वकील और एसएचओ सिटी 2 लाभ सिंह के साथ रमिता के मायके घर पहुंचे। बच्चे से मिल रमिता और उसकी बेटी फूट-फूट कर रोए। बच्चा भी खामोशी से मां और बहन के गले लगा रहा।
बच्चे से मिलने के बाद मां रमिता और उसकी बेटी बहुत भावुक हो गईं।
रमिता ने किया अदालत का शुक्रिया
मां रमिता ने बेटे को वापस दिलाने के पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का आभार जताया। उन्होंने कहा कि 6 महीने से वे रातों को सो नहीं पाई। रात-दिन केवल बच्चे की सलामती और उसे मिलाने की अरदास ही परमात्मा से करती रही। रमिता के भाई डा. प्रदीप ने बताया कि उनकी बहन ने नरक की तरह यह 6 माह काटे हैं। वह सारा दिन पाठ ही करती रहती थी। आखिर उसका विश्वास ही अरमानदीप को वापिस ले आया।
बच्चे से मिल रमिता और उसकी बेटी फूट-फूट कर रोए।
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