पटाखे की जगह दीये जलाएं, वातारण को दूषित होने से बचाएं : सीचेवाल

संत बलवीर सिंह सीचेवाल ने दीवाली पर पटाखे नहीं जलाने व पर्यावरण को दूषित होने से बचाने की मांग की है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Oct 2019 02:52 AM (IST) Updated:Fri, 25 Oct 2019 06:12 AM (IST)
पटाखे की जगह दीये जलाएं, वातारण को दूषित होने से बचाएं : सीचेवाल
पटाखे की जगह दीये जलाएं, वातारण को दूषित होने से बचाएं : सीचेवाल

जागरण संवाददाता, कपूरथला : वातावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने संगत से अपील की है कि दीवाली पर करोड़ों रुपये के पटाखे चला कर पर्यावरण को प्रदूषित करने की जगह दीये जलाकर ग्रीन दीवाली मनाएं। पटाखे पर पैसे खर्च करने की बजाय जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए।

उन्होंने संगत से अपील करते हुए कहा कि प्रदूषण रहित समाज बनाए। बच्चों का भविष्य बचाएं। प्रदूषण रहित दीवाली मनाएं और अधिक से अधिक पौधे लगाए। संत सीचेवाल ने कहा कि 550वें प्रकाशोत्सव तक देश को प्रदूषण मुक्त बनाने में अपना सहयोग दें। हर गांव में 550 पौधे लगाएं। त्योहारों से कुछ सीखने की बजाए पर्यावरण को प्रदूषित करना दुखद है। संत सीचेवाल ने कहा कि दीवाली रोशनी व खुशी बांटने के लिए मनाई जाती है। लापरवाही कारण यह त्योहार वायू प्रदूषण के लिए दुनिया भर में चर्चित हो गया। दीवाली पर चलाए जा रहे पटाखे हवा में जहर घोल रहे है। संत सीचेवाल ने कहा कि दीवाली दुनिया भर में श्रद्धा से मनाई जाती है। उन्होंने कहा कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम जी 14 साल का बनवास काट कर जब अयोध्या लौटे थे तो लोगों को दीपमाला कर उनका स्वागत किया था। हिदू धर्म में पुरातन समय से ही दीवाली मनाई जा रही है। इस दिन ही श्री हरगोबिद साहिब जी ने ग्वालियर के किले से कैद 52 राज्यों को अपने चोले की कली पकड़ कर आजाद करवाया था तो लोगों ने खुशी में दीपमाला की थी। सिख धर्म में इस दिन को बंदीछोड दिवस के रुप में मनाया जाता है।

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