कमेटी की जांच रिपोर्ट में बड़े घपले की ओर इशारा

जागरण संवाददाता, जालंधर : एलईडी स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट में गड़बड़ियों के आरोप लगने के बाद गठित की गई ज

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Jul 2022 07:46 AM (IST) Updated:Thu, 07 Jul 2022 07:46 AM (IST)
कमेटी की जांच रिपोर्ट में बड़े घपले की ओर इशारा
कमेटी की जांच रिपोर्ट में बड़े घपले की ओर इशारा

जागरण संवाददाता, जालंधर : एलईडी स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट में गड़बड़ियों के आरोप लगने के बाद गठित की गई जांच कमेटी ने रिपोर्ट फाइनल कर दी है। यह रिपोर्ट नगर निगम की हाउस मीटिग में ही सार्वजनिक होगी। तीन दिन की जांच के बाद कमेटी के सदस्यों ने बुधवार को कई घंटे के मंथन के बाद देर शाम रिपोर्ट तैयार की है।

जांच कमेटी की रिपोर्ट फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई। मेयर जगदीश राज राजा को भी यह हाउस की मीटिग में ही हैंडओवर की जाएगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि मीटिग से पहले जांच रिपोर्ट सार्वजनिक न हो। हाउस की मीटिग में सभी पार्षदों को भी रिपोर्ट सौंपी जाएगी और उसके बाद सर्वसम्मति से हाउस में जो भी राय बनेगी, उसी के हिसाब से स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों और इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही ठेकेदार कंपनी एचसीएल पर कार्रवाई की सिफारिश होगी।

जांच कमेटी ने मेयर जगदीश राज राजा को फोन पर यह जानकारी दे दी है कि कमेटी ने अपनी जांच पूरी करके रिपोर्ट तैयार कर ली है, इसलिए वे हाउस की मीटिग का समय तय कर सकते हैं। जांच कमेटी के सदस्य पार्षद शमशेर सिंह खैहरा और दविदर रौनी ने कहा कि हाउस मीटिग में रिपोर्ट रखने से पहले किसी के भी साथ शेयर न करने का फैसला लिया गया है क्योंकि इससे जांच के प्रमुख मुद्दों को प्रभावित करने का खतरा बन सकता है। मेयर खुद परेशान, डीसी व सांसद को लिखा है पत्र

जांच रिपोर्ट पर कमेटी का कोई भी सदस्य बोलने को तैयार नहीं है। बताया जा रहा है कि तीन दिन में स्मार्ट सिटी कंपनी के प्रोजेक्ट इंचार्ज और नगर निगम की तरफ से नियुक्त किए गए नोडल अफसर से जो-जो सवाल किए गए थे, उन्हीं के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ भी लापरवाही और रवैये पर नाराजगी जताई गई है। स्मार्ट सिटी कंपनी के अफसरों से मेयर जगदीश राज राजा खुद भी नाराज हैं। इस संबंध में उन्होंने सांसद चौधरी संतोख सिंह और डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी को भी पत्र लिखा है। --------- जांच रिपोर्ट में उभरे प्रमुख सवाल

- एलईडी प्रोजेक्ट 44 करोड़ रुपए से 62 करोड़ का कैसे हो गया?

- ठेका कंपनी को साढ़े 7 करोड़ रुपये का भुगतान ज्यादा क्यों किया गया?

- शहर में जितनी लाइट लगी थी उतनी ही बदली जानी थी, ज्यादा लाइट लगाने की मंजूरी किसने दी?

- पुरानी सोडियम की करीब 57000 लाइट में से ठेकेदार ने 45000 उतारी है। बाकी 12000 कहां है और 45000 निगम स्टोर में क्यों जमा नहीं करवाई?

- ठेकेदार ने अभी तक कंट्रोल रूम क्यों नहीं स्थापित किया?

- कैंट क्षेत्र के 11 गांव में कम वाट की लाइटें क्यों लगाई गई?

- कंप्यूटराइज कंट्रोल मानिटरिग सिस्टम कम क्यों लगाए गए ?

- ठेकेदार को एलईडी लाइटों की मरम्मत के लिए अलग से भुगतान क्यों किया गया?

- सारे अलार्म क्लाक स्विच बदलने के लिए तय की गई इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कास्ट को क्यों बढ़ाया गया।

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दबाव के बाद ठेकेदार ने कंपनी को पैसे लौटाए

पता चला है कि जांच कमेटी के बढ़ते दबाव के बाद ठेका कंपनी ने एडवांस ली गई राशि में से कुछ राशि स्मार्ट सिटी कंपनी को वापस दी है। हालांकि इस पर अभी तक कोई भी बात स्पष्ट नहीं है लेकिन हाउस की मीटिग से पहले जांच कमेटी यह जानकारी हासिल कर रही है। अगर ठेकेदार ने पैसे लौटाए हैं तो जांच कमेटी के लिए यह एक बड़ा सुबूत रहेगा कि कंपनी को गलत ढंग से ज्यादा भुगतान किया गया था। जांच कमेटी पहले ही है आरोप लगा चुकी है कि ठेकेदार को 7.50 करोड़ का ज्यादा भुगतान ज्यादा किया गया है और 3.50 करोड़ की बैंक गारंटी भी नहीं ली गई।

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