पाक जेल में बंद कृपाल सिंह के आए पत्र, सरकार से गुहार लगाएगा परिवार

पाकिस्‍तान की जेल में बंद गुरदासपुर के कृपाल सिंह का पत्र आया है। इससे उसके परिजनों को उसके जीवित होने की सूचना मिलने से बड़ी राहत मिली है। जासूसी के आरोप में उसे फांसी की सजा सुनाई गई है और वह कोट लखपत जेल में बंद है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 07 Mar 2016 01:04 PM (IST) Updated:Tue, 08 Mar 2016 10:36 AM (IST)
पाक जेल में बंद कृपाल सिंह के आए पत्र, सरकार से गुहार लगाएगा परिवार

गुरदासपुर, [सुनील थानेवालिया]। पाकिस्तान की जेल बंद गुरदासपुर के गांव मुस्तफाबाद सैदां के कृपाल सिंह के दो पत्र आए हैं। उसके जीवित होने की खबर पाकर उसके परिवार को बड़ी तसल्ली मिली है। कृपाल फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद पाकिस्तान की कुख्यात कोट लखपत जेल में बंद है। अब परिवार दिल्ली जाकर केंद्र सरकार से कृपाल की रिहाई के लिए गुहार लगाएगा। परिजनों ने मदद न मिलने पर जंतर-मंतर में धरना देने का भी एेलान किया है।

कोट लखपत जेल में बंद है गुरदासपुर का कृपाल सिंह, फांसी की सजा सुनाई गई

परिवार को करीब एक-डेढ़ साल के लंबे अंतराल बाद एक माह में उसका दूसरा पत्र मिलने से मिली है, लेकिन चिट्ठी में कृपाल सिंह ने अपनी हालत के बारे में जो कुछ लिखा है वह उनके आंखाें काे नम कर जाता है। कृपाल की भाभी कांता रानी और भतीजे अश्विनी कुमार ने बताया कृपाल सिंह भारतीय फौज में तैनात थे। 1992 को वह घर छुट्टी पर आए। इस दौरान वह बाहर घूमने गए तो फिर लौटकर नहीं आए। परिजनों ने उनकी काफी तलाश की, लेकिन करके थक-हारकर बैठ गए।

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परिजनों ने दी चेतावनी, सरकार से मदद न मिली तो देंगे जंतर-मंतर पर धरना

उसके लापता होने करीब पांच-छह साल बाद उसकी पाकिस्तान से चिट्ठी आई। इसमें लिखा था कि वह पाकिस्तान की कोट लखपत राय जेल में बंद है। उसे जासूसी और अन्य मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई है। उसके बाद कृपाल सिंह का अक्सर पत्र आते रहे। लेकिन जब भी माहौल खराब होता है तो संपर्क टूट जाता है।

कृपाल सिंह के परिजन।

पिछले एक-डेढ़ साल से कृपाल की कोई खबर नहीं मिलने से वे काफी चिंतित थे। करीब 25 दिन पहले उन्हें कृपाल की चिट्ठी मिली। इसके बाद 4 मार्च कोदूसरी चिट्ठी मिली है। चिट्ठियां उर्दू में लिखी हुई हैं जिन्हें उन्होंने पास के गांव में रहने वाले एक उर्दू के जानकार से पढ़वाया है।

कृपाल ने लिखा, सरकार उसे बचाने का कोई प्रयास नहीं कर रही

कृपाल ने चिट्ठी में लिखा है कि उसे पता चला है कि सरबजीत पर फिल्म बनाई जा रही है। सरबजीत भी उसके साथ जेल में बंद था। सरकार यहां बंद भारतीयों को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही है। सरकार से मांग करो कि वह उससे परिवार की मुलाकात करवाए। उसने यह भी बताया है कि उसकी आर्थिक हालत बहुत खराब है, जिसके चलते उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उसने जल्द से जल्द भारत सरकार के माध्यम से उसे छुड़वाने का प्रयास करने का अनुरोध करो।

जल्द भेजो पार्सल

भतीजे अश्विनी ने बताया कि कृपाल ने उनसे जेल में बेचने के लिए गर्म शाल, खाने-पीने का सामान बेचकर, चूडिय़ां, लिपस्टिक, चांदी की पायल आदि सामान भेजने को कहा है, ताकि वह उन्हें बेचकर अपनी आर्थिक तंगी दूर कर सके।

इंसाफ न मिला तो देंगे धरना

अश्विनी ने बताया कि एक तरफ सरकार द्वारा सरबजीत के परिवार को कई तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं, दूसरी तरफ उसके चाचा को छुड़वाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा। वह एक सप्ताह तक दिल्ली जा रहे हैं और केंद्र सरकार से संपर्क करेंगे। अगर उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं मिली तो वह जंतर-मंतर धरना लगा देंगे।

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