अबोहर में चार लाख हेक्टेयर में कपास की खेती का लक्ष्य

अबोहर इंडियन कॉटन एसोसिएशन ने सेलीब्रेशन पैलेस में सेमीनार करवाया। इसमें कृषि विभाग पंजाब के मुख्य सचिव डॉ. काहन सिंह पन्नू व कृषि विभाग के निर्देशक डॉ. एसके ऐरी विशेष रूप से पहुंचे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 May 2019 10:27 PM (IST) Updated:Sat, 04 May 2019 10:27 PM (IST)
अबोहर में चार लाख हेक्टेयर में कपास की खेती का लक्ष्य
अबोहर में चार लाख हेक्टेयर में कपास की खेती का लक्ष्य

संवाद सहयोगी, अबोहर : इंडियन कॉटन एसोसिएशन ने सेलीब्रेशन पैलेस में सेमीनार करवाया। इसमें कृषि विभाग पंजाब के मुख्य सचिव डॉ. काहन सिंह पन्नू व कृषि विभाग के निर्देशक डॉ. एसके ऐरी विशेष रूप से पहुंचे।

मुख्य सचिव ने कहा है कि किसी समय सर्वाधिक और सर्वश्रेष्ठ कपास उत्पादन के लिए ख्याति प्राप्त करने वाले अबोहर, मुक्तसर क्षेत्र में 20 लाख हेक्टेयर जमीन पर कपास की बिजाई की जाती थी। बीते 20-25 वर्षों से इस इलाके ने सेम का संताप भोगा और 6-7 वर्ष तक अमेरिकन सुंडी ने कपास की फसल बर्बाद करके किसानों को आर्थिक बदहाली की ओर धकेल दिया। गांव सजराना के अलावा कई गांव व लोग सेम के कारण बर्बाद हो गए। सरकार ने तीन वर्ष तक निरंतर प्रयास करके इस इलाके को सेम से राहत दिलाई है। अब हमारा प्रयास है कि कपास उत्पादन में इस इलाके की पुरानी आभा पुन: बहाल की जाए। कपास की बिजाई का समय शुरू हो चुका है। अगले 15 दिनों में कृषि विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी इस इलाके में मौजूद रहेंगे और बैनरों व शिविरों द्वारा किसानों को बढि़या कपास की बिजाई के बारे में सलाह देंगे। इस दौरान पानी, बीज, खाद आदि की यदि कहीं भी कमी महसूस की गई तो वह स्वयं उसमें हस्तक्षेप करेंगे। निर्देशक डॉ. एसके ऐरी ने कहा कि खर्च कम करके और उत्पादन में गुणवत्ता लाकर कृषि को खुशहाली का आधार बनाया जा सकता है। हमारा लक्ष्य है कि इस बार अबोहर क्षेत्र में कम से कम चार लाख हेक्टेयर रकबे में कपास की पैदावार की जाए। इसके लिए सभी संसाधन उपलब्ध करवाए जाएंगे।

पराली जलाने पर जमीन में जैविक तत्व नष्ट होते जा रहे हैं : पन्नू

पन्नू ने कहा कि किसानों को इस बात का अहसास करना होगा कि उनके द्वारा फसल की कटाई के बाद पराली जलाने पर जमीन में जैविक तत्व नष्ट होते जा रहे हैं। सरकार ने मिट्टी की परख करवाने के लिए नि:शुल्क सेवाएं देने की पेशकश पहले ही किसानों को कर रखी है। यदि अच्छी तकनीक का सहारा नहीं लिया जाता तो कृषि को लाभदायक धंधा बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा। उन्होने कहा कि भूमिगत जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है यदि पानी के उपयोग में संयम ना बरता गया तो 20 वर्ष बाद 100 फुट की गहराई तक भी पानी नहीं मिलेगा। कपास उत्पादन बढाने के लिए चीन व अन्य देशों में नवीनतम किस्मों पर अध्ययन के लिये विशेषज्ञों को भेजने का निवेदन प्रदेश सरकार से किया जा रहा है। आने वाले समय में कपास उत्पादन में वृद्धि की उज्जवल संभावनाएं रहेंगी। उन्होने किसानों से अपील की कि फसल पर कीटनाशकों का अंधाधुंध छिड़काव ना करें ताकि वातावरण में जहर न फैले और फसल पर लागत भी कम हो। इस मौके पर काटन एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश शारदा, सुशील फुटेला, पवन नागोरी, सुनील पेडीवाल, व जगत पेड़ीवाल, अनिल नागोरी मौजूद थे।

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