जीवनशैली में बदलाव, बैलेंस्ड डाइट से बेहतर सेहत संभव

बिमारियों के इलाज के बाद रोगों को ठीक करने के स्थान रोग को रोकने की सोच होनी चाहिए। इसी सोच को सिद्ध करने के लिए कोर्डिया इंस्टीट्यूट में राष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। कोर्डिया इंस्टीट्यूट की ट्रस्टी उर्मिल वर्मा की अगुआई में आयोजित समागम में देश भर के माहिर डॉक्टरों ने हिस्सा ले कर अपने-अपने विचार प्रकट किए।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 11 Aug 2018 06:54 PM (IST) Updated:Sat, 11 Aug 2018 06:54 PM (IST)
जीवनशैली में बदलाव, बैलेंस्ड डाइट से बेहतर सेहत संभव
जीवनशैली में बदलाव, बैलेंस्ड डाइट से बेहतर सेहत संभव

जागरण संवाददाता, फतेहगढ़ साहिब : रोगों को ठीक करने के स्थान पर रोग को रोकने की सोच होनी चाहिए। इसी सोच को सिद्ध करने के लिए कोर्डिया इंस्टीट्यूट में राष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। कोर्डिया इंस्टीट्यूट की ट्रस्टी उर्मिल वर्मा की अगुआई में आयोजित समागम में देश भर के माहिर डॉक्टरों ने हिस्सा ले कर अपने-अपने विचार प्रकट किए।

कांफ्रेंस में कहा कि एक वाहन के इंजन के खराब होने के इंतजार के स्थान पर हम अपनी चुस्त-दुरुस्त कार के इंजन में तेल बदलते हैं। यही कोशिश हमें भी अपने शरीर से करनी चाहिए। जितना संभव हो उतना बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण करें। एम्स के विशेषज्ञ डॉ. जेबी शर्मा ने मोटापे को कई बीमारियों की जड़ बताया। आज मोटापा बचपन से ही शुरू हो रहा है। पिज्जा, बर्गर, नूडल्स का अधिक इस्तेमाल इसकी बड़ी वजह बन रहा है। इससे युवतियों में पॉली सिस्टिक ओवरीज बढ़ रही है, जिससे लड़कियों के चेहरे पर बाल आ रहे हैं। हार्मोन्स इम्बैलेंस अधिक हो रहा है, जो आने वाली जेनरेशन की उत्पत्ति के लिए खतरा बन रहा है।

डॉ. अनिल सूरी पूर्व डायरेक्टर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी ने कहा कि हेल्थ बजट का बड़ा हिस्सा कैंसर के एडवांस्ड स्टेज के इलाज में खर्च हो रहा है। यदि हम पहले चरण पर ही ध्यान दें तो बचत भी हो सकती है। संस्थान के बच्चों ने नाटक द्वारा जीवनशैली में बदलाव लाने को एक नाटक पेश किया। डॉ. संगीता शर्मा ने बताया कि हेल्दी रहने के लिए बैलेंस्ड डाइट लेनी चाहिए। सेहत के प्रति जागरूक रहना चाहिए। यदि लंबे वर्किग घंटे हों तो बीच-बीच में वर्कआउट करना चाहिए। सही मात्रा में नींद लेनी चाहिए, ताकि शरीर स्वस्थ रहे। गौर हो देश में सेहत पर इस समय लगभग 50 हजार करोड़ खर्च हो रहे हैं। यदि हम अपनी सेहत को बेहतर बनाएं, तो इस राशि को विकास कार्यो में खर्चा किया जा सकेगा।

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