कमाल थी कल्पना चावला, जो सोचा उसे पाया लिया : प्रो.फ्रैक लू

कल्‍पना चावला के नासा में शिक्षक रहे प्रो. फ्रैंक लू का कहना है कि कल्‍पना धुन की बहुत पक्‍की थी। अपने गजब साहस से उसने जो चाहा वह पाया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sun, 25 Feb 2018 03:03 PM (IST) Updated:Sun, 25 Feb 2018 05:05 PM (IST)
कमाल थी कल्पना चावला, जो सोचा उसे पाया लिया : प्रो.फ्रैक लू
कमाल थी कल्पना चावला, जो सोचा उसे पाया लिया : प्रो.फ्रैक लू

जेएनएन, चंडीगढ़। नासा के अंतरिक्ष विज्ञानी प्रो. फ्रैंक लू  ने कहा कि भारतीय अ‍ंतरिक्ष विज्ञानी कल्पना चावला धुन की बहुत पक्की थी। उन्‍होंने मन में जो ठाना उसे पूरा करने की हिम्मत रखती थी। उनका अनोखा साहस प्रेरणा देने वाला था और इस तरह का जज्‍बा बहुत कम लाेगों में हुआ।

प्रो. फ्रैंक लू  नासा में कल्‍पना चावला के शिक्षक थे। जीसीजी-11 में आयोजित इंटरनेशनल वर्कशॉप को संबोधित कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि कल्पना ने भारत में पढ़ाई पूरी करने के बाद जब नासा में प्रवेश पाया तो उनसे मुर मुलाकात हुई। कल्‍पना से पहली मुलाकात अाज भी याद है। उस समय वह डरी सहमी लग रही थी, लेकिन जब उनसे बात की तो उनमें अनोखा साहस देखने को मिला।

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प्रो. फ्रैंक लू ने कहा कि कल्पना में कोई भी ऐसी बात नहीं थी, जो कि उसे आम स्टूडेंट्स से अलग करती हो। लेकिनए लगन ने उनको जिंदगी में एक अलग ही मुकाम और पहचान दिया। आज भी मेरी यह स्टूडेंट लाखों युवाओं और खास तौर से लड़कियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

प्रो. फ्रैंक वर्कशॉप में फिजिक्स स्टूडेंट्स से रूबरू हुए हुए। उन्‍होंने शॉक वेवस की जानकारी भी सांझा की। उन्होंने कहा कि शॉक वेवस सिर्फ हानिकारक नहीं होती है, बल्कि इसके फायदे भी हैं। किडनी स्टोन को बिना ऑपरेशन के ठीक करने वाली भी शॉक वेवस है। इसके अलावा इन्हीं शॉक वेवस की सहायता से नए अविष्कार किए जा रहे हैं, जो कि इंसान की बेहतरी के लिए है।

कल्पना के टीचर ने बताया मंत्र

प्रो. फ्रैंक से स्टूडेंट्स ने पूछा कि कल्पना चावला की कौन सी बात को स्टूडेंट्स फॉलो कर सकते हैं, इस पर उन्होंने कहा कि किसी का पीछा करने से बेहतर है कि दूसरों के लिए खुद मिसाल बनो। दो दिवसीय वर्कशॉप में अमेरिका से तीन, इंग्लैंड से एक और भारत के विभिन्न रिसर्च सेंटरों से दो प्रोफेसर ने शिरकत की। प्रिंसिपल अनीता कौशल ने कहा कि स्टूडेंट्स की जानकारी को बढ़ाने के लिए इस प्रकार के आयोजन समय-समय पर किए जाते रहे है और इन्हें आगे भी जारी रखा जाएगा।

पेक के एरोनॉटिकल विभाग की पहली छात्रा थी कल्पना

कल्पना चावला ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ से ऐरोनॉटल इंजीनियरिंग डिग्री पूरी की थी। उसके बाद वर्ष 1982 में मास्टर्स के लिए यूनाइटेड स्टेट में गई। जहां पर कल्पना ने ऐसोस्पेस इंजीनियरिंग पूरी की। वर्ष 1988 में कल्पना ने नासा में काम शुरू किया और वर्ष 1997 में पहली बार और वर्ष 2003 में दूसरी बार स्पेस में उड़ान भरी थी। दूसरी उड़ान की लैंडिंग के दौरान स्पेसशिप दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और कल्पना का देहांत हो गया था।

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