राहुल गांधी से पहले वाटरलू के हीरो की वजह से चर्चा में था वायनाड, क्या है इसका इतिहास, जानें

केरल के इतिहास कांग्रेस के महासचिव एस गोपाकुमार नायर ने कहा कि राजा को ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा पराजित करने से पहले कमांडर आर्थर वेलेस्ली को अपने गृह देश लौटना पड़ा था।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Sun, 21 Apr 2019 03:10 PM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 07:11 PM (IST)
राहुल गांधी से पहले वाटरलू के हीरो की वजह से चर्चा में था वायनाड, क्या है इसका इतिहास, जानें
राहुल गांधी से पहले वाटरलू के हीरो की वजह से चर्चा में था वायनाड, क्या है इसका इतिहास, जानें

तिरुवनंतपुरम,पीटीआइ। लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के प्रत्याशी बनने के बाद से चर्चा में आया केरल के वायनाड का ब्रिटेन के पूर्व प्रधनामंत्री और वाटरलू युद्ध के एक हीरो से भी रिश्ता रहा है। प्रधानमंत्री बनने वाला वाटरलू का यह हीरो इस जिले में उपनिवेश काल के दौरान सैन्य रणनीतिकार रहे।

आयरिश में जन्मे आर्थर वेल्लेस्ले राजनीति में आने से पहले ब्रिटिश सेना में थे। 1805 में वायनाड और भारत से लौटने के बाद उन्हें ड्यूक ऑफ वेलिंगटन की उपाधि से विभूषित किया गया था। वह 1828 और फिर 1834 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे।

हरे पेड़ों से आच्छादित वायनाड अपने घने जंगलों, स्थानीय विहंगम दृश्य और सुगंधित मसालों के लिए जाना जाता है। नाजुक पश्चिमी घाट के बीच बसे इस क्षेत्र में वेल्लेस्ले की अलग ही कहानी है। अपने सभी प्रयासों के बावजूद यह ब्रिटिश कमांडर विद्रोही केरल वर्मा पाझासी राजा पर काबू पाने में असफल रहा। ऐतिहासिक रिकार्ड के अनुसार राजा ने ईस्ट इंडिया कंपनी के सामने चुनौती पैदा कर दी थी।

रिकार्ड बताता है कि कर्नल वेल्लेस्ले (1759-1852) तत्कालीन भारतीय ब्रिटिश गवर्नर जनरल रिचर्ड वेल्लेस्ले का भाई था। उसे मालावार, दक्षिण कन्नड़ और मैसूर सेना का कमांडर नियुक्त किया गया था। उसे मैसूर के शासक टीपू सुल्तान और वायनाड के राजा को दबाने का काम सौंपा गया था। वायनाड के राजा ने उनके खिलाफ गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपना रखी थी। कोट्टयम शाही परिवार से संबंधित यह राजा क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखना चाहता था। लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनका दावा ठुकरा दिया था क्योंकि क्षेत्र के सुगंधित मसालों को देखते हुए उसके अपने व्यापारिक हित थे।

सभी प्रयासों के बावजूद असफल रहे ब्रिटिश कमांडर वेल्लेस्ले ने क्षेत्र की भौगोलिक संरचना और स्थानीय लोगों के व्यवहार के कारण इसे जंगल कहा था। 1805 में राजा की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों को ब्रिटेन बुला लिया गया था। 1815 में नेपोलियन को पराजित करने के बाद मशहूर हुए वेल्लेस्ले की अलग कहानी कहने वाले सात विधानसभाओं वाले वायनाड में 23 अप्रैल को मतदान कराए जाएंगे।

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