Puri Lok Sabha Seat: जगन्नाथ महाप्रभु के दो प्रतीक चिह्न आमने-सामने, संबित को टक्कर दे रहे पूर्व IPS
संबित पात्रा की टक्कर में बीजद ने यहां से वर्तमान सांसद पिनाकी मिश्रा का टिकट काट पूर्व आइपीएस अधिकारी मुंबई के पूर्व कमिश्नर अरूप पटनायक को चुनाव मैदान में उतारा है। पिनाकी मिश्रा लगातार तीन बार से यहां के सांसद रह चुके हैं एंटी इंकम्बैंसी की बात के साथ पिनाकी मिश्रा के संबंध में कहा जा रहा था की वे जनता से कट गए थे।
उत्तम नाथ पाठक, पुरी/जमशेदपुर। देश-विदेश समेत पूरे ब्रह्मांड के आध्यात्मिक आस्था के सबसे बड़े केंद्र महाप्रभु जगन्नाथ की पावन भूमि पुरी में इस बार चुनाव का माहौल खास है। पुरी लोकसभा में सबकुछ महाप्रभु के इर्द-गिर्द है। चाहे पहली मुलाकात हो या संबोधन से लेकर विदा लेने तक जय जगन्नाथ का स्मरण नमन के बाद ही किसी काम का आरंभ या समाप्त होना माना जाता है। यहां मुकाबले में महाप्रभु के दो प्रतीक शंख और (पदम) कमल ही आमने सामने हैं। शंख बीजद का चुनाव चिह्न है और कमल भाजपा का।
दोनों दल हर तरह के जतन चुनाव में जीत को लेकर कर रहे हैं। भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी लंबा रोड शो कर चुके हैं। इसके साथ ही भाजपा के तमाम दिग्गजों का भी दौरा हो चुका है। फिलहाल, महाप्रभु को लेकर दिए गए बयान पर ही सुर्खियां बन रही हैं। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा यहां से चुनाव मैदान में हैं, फिलहाल उपवास पर चल रहे हैं, क्योंकि पूरे ब्रह्मांड के नाथ भगवान जगन्नाथ के बदले गलती से संबोधन के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री को नाथ बता दिया। अब प्रायश्चित कर रहे हैं।
भूखे रहकर तीन दिन के उपवास पर बैठे हैं, चुनाव के समय बात निकली तो काफी दूर तक गई, सबसे पहले खुद मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इसका कड़ा प्रतिकार किया, कांग्रेस भी भला इस मुद्दे से कैसे पीछे हटती उसने तो संबित पात्रा को भाजपा के शीर्ष नेताओं से पार्टी से निकालने की मांग कर दी।
संबित पात्रा की टक्कर में बीजद ने यहां से वर्तमान सांसद पिनाकी मिश्रा का टिकट काट पूर्व आइपीएस अधिकारी मुंबई के पूर्व कमिश्नर अरूप पटनायक को चुनाव मैदान में उतारा है। पिनाकी मिश्रा लगातार तीन बार से यहां के सांसद रह चुके हैं, एंटी इंकम्बैंसी की बात के साथ पिनाकी मिश्रा के संबंध में कहा जा रहा था की वे जनता से कट गए थे, लोगों से मिलना जुलना भी नहीं था, इससे लोग नाराज थे।
अरुप पटनायक पिछले चुनाव में राजधानी भुवनेश्वर संसदीय सीट से मैदान में थे, लेकिन उन्हें भाजपा की पूर्व आइएएस अधिकारी अपराजिता सारंगी से हार मिली थी। बीजद ने इस बार उन्हें उनके गृह जिले पुरी से मैदान में उतारा है। पुरी में पिछले चुनाव में काफी कम अंतर तकरीबन साढ़े 11 हजार वोटों से पिनाकी मिश्रा संबित पात्रा से चुनाव जीते थे।
वहीं, कांग्रेस को यहां उम्मीदवार के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। नामांकन की तारीख खत्म होने से सिर्फ तीन दिन पूर्व कांगेस की उम्मीदवार सुचारिता मोहंती ने अपना टिकट वापस लौटाते हुए पार्टी की ओर से फंड न मिलने की बात कही थी और खुद चुनाव खर्च उठाने में असमर्थता जाहिर करते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।
एक राष्ट्रीय पार्टी के उम्मीदवार का इस तरह टिकट वापस करना काफी सुर्खियों में यहां भी है। आनन-फानन में कांग्रेस ने यहां से जयनारायण पटनायक को मैदान में उतारा । 2019 से पूर्व तक कांग्रेस ही यहां मजबूती से दूसरे नंबर पर बीजद को टक्कर दे रही थी, लेकिन धीरे-धीरे भाजपा के वोट प्रतिशत में हुई वृदिध 2019 में कांटे की टक्कर तक पहुंच गई।
ऐसे में लोगों का कहना है की मुख्य मुकाबला महाप्रभु के दो प्रतीक चिह्नों शंख व कमल में ही दिख रहा है। वैसे नतीजे जो भी हों यह तो तय है की पुराने कोई जीता हुआ चेहरा चुनाव मैदान में नहीं है, पुरी में इस बार जीत जिस भी पार्टी की होगी लोगों को सांसद के रूप में नया चेहरा ही मिलेगा।
पुरी लोकसभा में सात विधानसभा सीटें, 1999 से बीजद के पास
पुरी लोकसभा का विस्तार ओडिशा के खोरधा, नयागढ़ और पुरी जिले तक है। पुरी लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें आती हैं, बालीपाटना, पिपिली, सत्यवादी, पुरी, ब्रह्मगिरी, चिलिका एवं रणपुर। चूंकि यहां लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ चल रहे हैं तो इन सातों सीटों पर भाजपा व बीजद के साथ कांग्रेस के बीच कई सीटों पर मुकाबला है। मौजूदा समय में इन सात सीटों में से पांच सीटों पर बीजद का व दो सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
पुरी लोकसभा सीट 1999 से बीजद के पास है। 1999 एवं 2004 में बीजद से ब्रजकिशोर त्रिपाठी बीजद से सांसद निर्वाचित हुए थे। वहीं, 2009 , 2014 व 2019 में बीजद से पिनाकी मिश्रा पुरी से सांसद हैं। 2019 लोकसभा के चुनाव में मिश्रा को भाजपा के संबित पात्रा से कड़ी टक्कर मिली थी।
भाजपा ने पूरा जोर लगाया, बीजद भी कॉरिडोर के निर्माण के साथ हिंदुत्व को साधने में
भाजपा ने इस सीट पर पूरा जोर लगाया है, हिंदुओं के चार धामों में से एक पुरी से हर हाल में यहां से जीत चाहती है। भाजपा उम्मीदवार संबित पात्रा पर लोगों का कहना है कि पिछला चुनाव हारने के बाद क्षेत्र से वे गायब नहीं हुए बल्कि पांच साल से लगातार पुरी के लोगों के हर सुलभ वे मौजूद रहे। हर सुख दुख में उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश की।
वहीं, बीजद भी अपने किले को बचाए रखने के लिए पूरा जोर लगा रही है। देश के प्रमुख मंदिरों काशी व महाकाल उज्जैन की तरह यहां भी परिक्रमा मार्ग और कॉरिडोर बनाकर तीर्थ स्थलों के विकास के भाजपा के एजेंडे को बीजद ने झटकते हुए कुछ उसी तर्ज पर यहां वृहत काम करवाया है।
परिक्रमा मार्ग व कारिडोर का शुभारंभ चुनाव से पूर्व कर भी दिया गया है। वह भी समय बिल्कुल श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय का ही था, जब पूरा देश राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के रंग में सरोबार था, ठीक उसी समय पूरे ओडिशा में जय जगन्नाथ के उदघोष के साथ यह कॉरिडोर व परिक्रमा मार्ग का शुभारंभ करते हुए तीन दिनों तक वृहद कार्यक्रम चला था, इस कॉरिडोर के बनने से मंदिर के आसपास के भीड़भाड़ वाला क्षेत्र काफी भव्य व खुला दिखने लगा।
स्थानीय लोग प्रसन्न भी हैं, लेकिन कुछ दुखी भी बड़े स्तर पर कई निर्माण तोड़े गए, कुछ मंदिर भी हटे, लोगों का कहना है की सौंदर्यीकरण के नाम पर उनकी रोजी रोटी छीनी चली गई। कई दुकानें व होटल व घर टूटे, जो बड़ा संकट है, लेकिन आखिरकार सबकुछ महाप्रभु जगन्नाथ के नाम पर मंजूर है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ी है।
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