Sushma Swaraj: प्रखर वाणी व मधुर स्वभाव के दम पर विरोधियों को भी बना लेती थीं कायल

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली सरकार में विदेश मंत्री बनने के पहले ही वह एक दक्ष नेता के तौर पर स्थापित हो चुकी थीं बतौर विदेश मंत्री उन्होंने देश के साथ विदेश में भी छाप छोड़ी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Wed, 07 Aug 2019 01:32 AM (IST) Updated:Wed, 07 Aug 2019 06:19 AM (IST)
Sushma Swaraj: प्रखर वाणी व  मधुर स्वभाव के दम पर विरोधियों को भी बना लेती थीं कायल
Sushma Swaraj: प्रखर वाणी व मधुर स्वभाव के दम पर विरोधियों को भी बना लेती थीं कायल

 नई दिल्ली, जेएनएन। सुषमा स्वराज की पहचान प्रखर वक्ता और कुशल राजनेता के साथ एक संवेदनशील राजनीतिक हस्ती की भी थी। इसी कारण उनकी सराहना विरोधी दल के नेता और यहां तक कि भाजपा के कट्टर आलोचक भी करते थे।

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली सरकार में विदेश मंत्री बनने के पहले ही वह एक दक्ष नेता के तौर पर स्थापित हो चुकी थीं, लेकिन बतौर विदेश मंत्री उन्होंने देश के साथ विदेश में भी छाप छोड़ी। वह पाकिस्तान में भी एक सहृदय नेता के तौर पर जानी जाती थीं। तनावभरे संबंधों के बावजूद वह वहां के बीमार लोगों को भारत का वीजा देने में उदारता बरतती थीं। इसके चलते ट्विटर पर वीजा मांगने वाले पाकिस्तानियों की कतार लगी रहती थी।

कई लोगों को वह खुद ट्विटर के जरिये सूचित करती थीं कि आपका वीजा स्वीकृत हो गया है। सहृदय नेता वाली उनकी छवि रह-रह कर सामने आती ही रहती थी। गलती से पाकिस्तान चली गई मूक-बधिर गीता को वहां से लाने में उन्होंने जैसी दिलचस्पी दिखाई, वैसी ही तत्परता प्रेम में पड़कर पड़ोसी देश चले गए मुंबई के युवक हामिद अंसारी के मामले में भी दिखाई। इसके अलावा पाकिस्तान जाकर वहां मुसीबत में फंस गई दिल्ली की युवती उज्मा अहमद को भी भारत लाने में उन्होंने कोई कसर नहीं उठा रखी। वह पाकिस्तान में बंदी बनाए गए कुलभूषण जाधव के परिजनों के प्रति भी सदैव अपनत्व दिखाती रहीं और उन्हें दिलासा देती रहीं।

बेजोड़ थी हाजिर जवाबी

सुषमा स्वराज के राजनीतिक कौशल के साथ उनकी हाजिर जवाबी का भी कोई जोड़ नहीं था। एक बार उन्होंने ट्विटर पर कहा था कि अगर आप मंगल ग्रह पर फंस जाएं तो वहां भी भारतीय राजनयिक मिशन आपकी मदद करेगा। वह जब-तब ट्विटर पर बेतुके सवाल करने वालों को भी चुटीले जवाब देकर उन्हें निरुत्तर तो करती ही थीं, अपने बेहतरीन हास्यबोध का भी परिचय देती थीं। शायद इसी कारण वह दुनिया में सबसे अधिक ट्विटर फॉलोअर वाली विदेश मंत्री बनीं।

मधुर भाषा-शैली से कर लेती थीं मुग्ध

सुषमा स्वराज के संस्कृत निष्ठ और मधुर हिंदी में भाषण सदैव चर्चा का विषय बनते थे। लोग उन्हें मंत्रमुग्ध होकर सुनते थे-चाहे वह संसद में बोल रही हों या संसद के बाहर। वह जिस भी मसले पर संसद में बोलतीं, विरोधियों और आलोचकों को भी कायल कर देतीं। इसी कारण सभी दलों में उनका बराबर सम्मान था। विदेश मंत्री रहने के दौरान उन्होंने संसद के दोनों सदनों में विरोधी दलों के नेताओं से प्रशंसा बटोरी। इसका कारण यह था कि वह हर किसी की मदद करने को तत्पर रहती थीं और इस मामले में दलगत सीमाओं का कोई भेद नहीं दिखाती थीं।

पाक को दिया था दो टूक जवाब

सुषमा स्वराज घरेलू राजनीति के साथ विदेश नीति के मोर्चे पर भी कितनी दक्ष नेता थीं, इसका एक प्रमाण अगस्त 2015 में मिला था। तब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज नई दिल्ली आकर पहले हुर्रियत नेताओं से बात करने पर अड़े थे और भारत का जोर इस पर था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की वार्ता में उनके साथ केवल आतंकवाद पर ही बात होगी। पाकिस्तान अपने यहां आतंकवाद फैलाने में भारत की कथित भूमिका के बारे में दस्तावेज देने की धौंस दिखा रहा था। असमंजस के इस माहौल में सुषमा स्वराज ने मोर्चा संभाला और प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि अगर वह डोजियर देंगे तो हम जिंदा आदमी पेश कर देंगे। उनका संकेत कश्मीर में पकड़े एक पाकिस्तानी आतंकी की ओर था। सुषमा के इस बयान ने पाकिस्तान के तेवर इतने ठंडे किए कि सरताज अजीज ने दिल्ली की यात्रा स्थगित ही कर दी।

कई भाषाओं पर थी पकड़

सुषमा स्वराज हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी के साथ संस्कृत में भी दक्ष थीं। बेल्लारी में सोनिया गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ते समय उन्होंने कन्नड़ में धाराप्रवाह भाषण देकर वहां के लोगों को चकित कर दिया था। वह कई बार राजनीतिक संकट से भी घिरीं, लेकिन हमेशा निर्विवाद विजेता के रूप सामने आई। जब यह उम्मीद की जा रही थी कि वह अपनी बीमारी से उबर कर फिर से सक्रिय राजनीति में लौटेंगी, तब उनके असमय निधन ने देश के सार्वजनिक जीवन में एक ऐसा रिक्त स्थान पैदा कर दिया जिसकी भरपाई कठिन है।

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