पश्चिम बंगाल में बिगड़ी सुरक्षा हालातों पर सुषमा स्वराज का बयान, कहा- नहीं है न्याय की उम्मीद

राजनीतिक हिंसा के शिकार भाजपा कार्यकर्ताओं के 23 परिवारों से मिलीं पूर्व विदेश मंत्री।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Wed, 24 Jul 2019 09:40 PM (IST) Updated:Wed, 24 Jul 2019 09:40 PM (IST)
पश्चिम बंगाल में बिगड़ी सुरक्षा हालातों पर सुषमा स्वराज का बयान, कहा- नहीं है न्याय की उम्मीद
पश्चिम बंगाल में बिगड़ी सुरक्षा हालातों पर सुषमा स्वराज का बयान, कहा- नहीं है न्याय की उम्मीद

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्व विदेश मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने पश्चिम बंगाल के बिगड़े सुरक्षा हालातों पर राज्य की मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लिया। वह पश्चिम बंगाल में हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए बुधवार को दिल्ली में इंडिया फाउंडेशन और कॉल फॉर जस्टिस द्वारा आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करने पहुंचीं थी। यहां पश्चिम बंगाल के उन पीड़ित परिवारों को बुलाया था जिन्होंने अपने किसी करीबी को हिंसा में खोया है।

आंकड़े बताते है कि इस राजनीतिक हिंसा से करीब 150 परिवार पीड़ित है, जिनमें 72 परिवार भाजपा कार्यकर्ताओं के है। इनमें से 23 परिवार बुधवार को दिल्ली न्याय पाने के लिए पहुंचे थे। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने कुछ दिनों पहले राज्य सरकार को एडवाइजरी जारी कर सवाल भी पूछा था।

बदल गईं है ममता : कार्यक्रम में सुषमा ने उस दौर को याद किया जब खुद ममता बनर्जी वामपंथी दलों के कार्यकाल में हिंसा का शिकार थी और हिंसा पीड़ित लोगों से मिलने के लिए जाया करती थी। परिवारों का दर्द सुनकर स्वराज ने कहा कि यह वह ममता बनर्जी नहीं है जिन्हें वह सालों से जानती थी।

हिंसा का शिकार हुए परिवार वालों की पीड़ा सुन स्वराज ने कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि कोई व्यक्ति इतना बर्बर और क्रूर कैसे हो सकता है। पूर्व विदेश मंत्री ने आरोप लगाया कि राज्य की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। तृणमूल राज में किसी को भी न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है।

सिर्फ सत्ता के लिए यह सब: सुषमा ने बंगाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं का दोष सिर्फ इतना ही था कि वे एक राजनीतिक दल से जुड़े। सुष्मा ने कहा कि 'हम इंसाफ की उम्मीद करें अब किससे, जब मुंसिफ का हाथ ही खून से रंगा है'। स्वराज ने कहा कि ममता अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए राज्य में यह सब होने दे रही हैं। पीड़ितों को उनके राज में न्याय नहीं मिल सकता।

इस कार्यक्रम में मंच पर बुद्धिजीवियों का एक पैनल बनाया गया था, जिन्होंने पीड़ितों पर हुए अत्याचार और हिंसा के हालातों के बारे में जाना। यह पैनल एक रिपोर्ट तैयार कर गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को सौंपेगा।

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