भ्रष्टाचार के आरोप साबित नहीं कर पाने पर अन्ना को हुई थी जेल, भाजपा-शिवसेना ने बचाया था

सरकारों के खिलाफ आंदोलन छेड़ना अन्ना की पुरानी आदत रही है। 1991 में जब अन्ना ने भाजपा-शिवसेना सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, लेकिन साबित नहीं कर पाए थे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 23 Mar 2018 12:31 PM (IST) Updated:Fri, 23 Mar 2018 01:19 PM (IST)
भ्रष्टाचार के आरोप साबित नहीं कर पाने पर अन्ना को हुई थी जेल, भाजपा-शिवसेना ने बचाया था
भ्रष्टाचार के आरोप साबित नहीं कर पाने पर अन्ना को हुई थी जेल, भाजपा-शिवसेना ने बचाया था

मुंबई/नई दिल्ली (जेएनएन)। गांधीवादी समाजसेवक अन्ना हजारे एक बार फिर सुर्खियों में हैं। 2011 में अपने अनशन से तत्कालीन यूपीए सरकार को हिलाने वाले अन्ना इस बार मोदी सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल पर जा रहे हैं। अन्ना किसानों की स्थिति और सिटीजन चार्टर को लेकर सरकार की नीतियो से खुश नहीं हैं।

सरकारों के खिलाफ आंदोलन छेड़ना अन्ना की पुरानी आदत रही है। यहां हम 1991 का एक किस्सा बताएंगे, जब अन्ना ने भाजपा-शिवसेना सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, लेकिन साबित नहीं कर पाए थे। मानहानि के केस में उन्हें जेल की सजा हुई थी, लेकिन उसी सरकार के मुख्यमंत्री ने सजा से बचा लिया था।

1991 में महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना की गठबंधन सरकार थी। मुख्यमंत्री थे शिवसेना के दिग्गज नेता मनोहर जोशी। अन्ना ने मनोहर कैबिनेट के तीन मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। ये तीन मंत्री थे - बबन घोलाप, शशिकांत सुतर और महादेव शिवांकर।

जैसे ही अन्ना ने अनशन शुरू किया, सरकार में हड़कंप मच गया। कुछ इंतजार के बाद सरकार ने अन्ना को मनाने की कोशिश शुरू कर दी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरी में सरकार को झुकना पड़ा और तीन में से दो मंत्रियों - शशिकांत सुतर और महादेव शिवांकर को कैबिनेट से बाहर कर दिया गया।

तीसरे मंत्री बबन घोलाप ने अन्ना के खिलाफ मानहानि का केस कर दिया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान अन्ना आरोप साबित नहीं कर पाए। कोर्ट ने उन्हें तीन माह की सजा सुनाई, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने उन्हें माफी देते दे हुए एक दिन बाद ही जेल से बाहर निकलवा लिया। वहीं शशिकांत सुतर और महादेव शिवांकर के खिलाफ बैठाए गए जांच आयोग ने भी दोनों को निर्दोष करार दे दिया था। 

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