Munger Lok Sabha Seat: मुंगेर में नब्ज पर हाथ नहीं रखने दे रहे वोटर, कॉल ब्रेक ताश के पत्ते की तरह कर रहे खेला
Bihar Politics मुंगेर लोकसभा सीट पर नेताओं को जनता की हवा नहीं लग पा रही है। जनता खुलकर कुछ नहीं बोल पा रही है। महिलाएं शांत बैठ हवा का रूख देख रही है। वहीं मुंगेर लोकसभा सीट पर 13 मई को मतदान होने वाला है। यहां जेडीयू से ललन सिंह तो महागठबंधन से अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी मैदान में हैं। दोनों नेता प्रचार में जुट गए हैं।
जितेंद्र कुमार, पटना। Bihar Politics News Hindi: जैसे कॉल ब्रेक तास के 13 पत्ते मिलाए जाते हैं वैसे ही मुंगेर लोकसभा चुनाव के समीकरण आपस में काटकर बांट दिए जा रहे हैं।
तपती दोपहरी में रामपुर डुमरा से मालपुर गांव तक सड़क किनारे जाति आधारित गणना के लाभ-हानि से दूर ग्रामीणों के बीच मनोरंजन का गठबंधन दिख रहा है।
पशुपालन, कृषि और रोजगार में खर्च और आमदनी के सवाल पर सब एकजुट लेकिन मतदान केंद्र पर फरीकवाद के संकेत का समझा जा सकता है। यहां पशुपालकों के दूध के दाम और खर्च का रिश्ता छत्तीस का बताया जाता है तो इस बार टाल में मसूर की उपज और कीमत किसानों से तीरसठ का संबंध जोड़ा है।
मालपुर गांव में तास खेल रहे लोगों ने रखी राय
दोपहर में गर्म हवा के बीच मालपुर गांव के सड़क किनारे पेड़ के नीचे तास खेलते लोगों की दो मंडली बैठी है। एक मंडली में गोनी पासवान, रामजी पंडित, शिव बालक महतो, चंदर कुमार और तीरो पंडित गोल बनाकर तास के पत्ते पटक रहे हैं। मुंगेर लोकसभा के चुनावी समीकरण पर बात से ज्यादा तास के साथ मनोरंजन में दिलचस्पी ही। मुफ्त का राशन से लेकर चापाकल पर बात अटक गई। गोनी पासवान कहते हैं- 50 चापाकल की योजना गंगा में चला गया। गांव में देखने को नहीं मिला।
डुमरा में प्राथिमकि से इंटर स्कूल एक परिसर में
मुंगेर (Munger Lok Sabha Seat) में अंग्रेजों के जमाने का बनाया हुआ कचहरी के सामने हाईस्कूल है। हाईस्कूल परिसर के तीन इंडिया मार्क चापालक में दो खराब है। कन्या विद्यालय भी इसी परिसर में है। प्राथमिक और मध्य विद्यालय में दो चापाकल खराब हो चुके हैं। बोरिंग और नल नया लगा लेकिन पानी नहीं टपकता। शिक्षक और प्रधानाध्यापक गर्म हवा का रूख देखकर कार्यालय में ताला लगाकर जा चुके हैं।
ग्राम कचहरी के दीवार पर प्लास्टिक , पालीथीन हटाओ , पर्यावरण बचाओ के नारे के साथ मवेशी को खाने के लिए प्लास्टिक का ड्रम रखा है। कचहरी में पंचायत कृषि कार्यालय और बगल में सामुदायिक सेवा केंद्र है। सामुदायिक सेवा केंद्र पर बहादुर महतो पहुंचे हैं। चुनाव की बात कहते हैं- अभी तक कोई प्रचार करने ही नहीं है। हम मजदूर आदमी को कोई रूचि नहीं है। चंदन कुमार बताते हैं कि जब तक थाना की स्थिति नहीं सुधरेगी ट्रक क्या चलेगा। मिट्टी काटकर निर्माण कंपनी को बेच दिया गया। दो फसल के लिए सिंचाई का प्रबंध नहीं हुआ।
महिलाएं शांत बैठ देख रही हवा का रूख
राम टोला में अपनी छोटी सी परचुन की दुकान पर रूबी देवी ग्राहक का इंतजार कर रही है। कहती है पति की मौत के बाद तीनों बेटा मजदूरी करता है। चुनावी चर्चा बोली- कोई वोट मांगने नहीं आया है। बगल में पड़ाेस की महिला उषा देवी कहती है कि बिजली, पानी और रासन मिलता है लेकिन वोट गांव वाले जहां कहेंगे उसे देंगे। लारो देवी कहती हैं कि चुनाव के बारे में कुछ नहीं जानती है।
मोकामा में रोजगार की बात
मोकामा विधानसभा क्षेत्र के पचमहला, रामपुर डुमरा, मालपुर, मरांची, रामटोला और औंटा की अर्थ व्यवस्था टाल और दियारा में एक मात्र रबी फसल के अलावा, पशुपालन के साथ स्थानीय उद्योग से जुड़े रोजगार और ट्रांसपोर्ट का बड़ा कारोबार हुआ था। बाटा, मैक्डावेल और कार्टन फैक्ट्री बारी-बारी से बंद होते गए।
मरांची गांव के महेंद्र यादव ने बताई अपनी समस्या
मरांची गांव में तेज धूप में चाय की दुकान सन्नाटा है। चौकी पर बैठे महेंद्र यादव यादव दाएं-बाएं झांकर बताते हैं कि महंगाई इतना है कि कमाते हैं 300 रुपये खर्च 500 रुपये है। माल-जाल चार है। दूध 36 रुपये किलो बिक्री है। चारा 400 रुपये मन भूसा है। दाना में महंगा है। छोटन राम बतातें हैं कि तीन आदमी को 15 किलो अनाज मिलता है।
इतने में पेट नहीं भरता है। सड़क से गुजर रहे संजय सिंह पहुंच जा रहे हैं। बताते हैं कि किसको वोट दें। पांच साल बाद इस बार टाल में फसल हुआ है। यहां की समस्या उम्मीदवार है। इसलिए नोटा दबाएंगे। बात चली तो संजय सिंह बरबीघा से शेखपुरा तक की राजनीति पर जमकर बोले।
मोर गांव के लोकनाथ महतो ने रखी राय
मोर गांव के लोकनाथ महतो कहते हैं कि हमारे पास एक कठ्ठा भी जमीन नहीं है। गाड़ी चलाकर परिवार चलाते हैं। गांव में कोई वोट के लिए कैंडिडेट नहीं आए। आएंगे तो देखेंगे।
राम टोला के संजीत बताते हैं कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते हैं और अपना पहला वोट राष्ट्र निर्माण के लिए डालेंगे। आठवीं पास दिगंबर कुमार कहते हैं कि सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। यहां की बंद कंपनी खुल जाए तो आसपास के लोगों को रोजगार का साधन मिल सकता है।
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