सामना में लेख, शिवसेना बोली- राम मंदिर पर आरएसएस का रुख बदला
शिवसेना ने कहा है कि आरएसएस ने अब नया रुख अख्तियार कर लिया है। सामना में लिखे संपादकीय में शिवसेना ने कहा है कि भगवान से देश कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।
मुंबई, प्रेट्र। शिवसेना ने कहा है कि आरएसएस ने अब नया रुख अख्तियार कर लिया है। राम मंदिर को ठंडे बस्ते में डाल दिया है और पुलवामा हमले के की वजह से देश की मौजूदा बहस में कश्मीर को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। शिवसेना ने कहा है कि संघ का बदला रुख देश में कांग्रेस के प्रस्तावित महा गठबंधन को आसानी हो सकती है। लेकिन यह स्थायित्व मुहैया नहीं करा सकता और शांति भी नहीं ला सकता है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के शनिवार के संपादकीय में दावा किया है कि पिछले पांच साल के दौरान पाकिस्तान को कोई नुकसान हुआ नहीं दिख रहा है। संपादकीय में 2014 के पहले दिए गए नारे 'स्थायी सरकार और एक मजबूत प्रधानमंत्री' को दोहराने की जरूरत का सवाल भी खड़ा किया है। शिवसेना ने पुलवामा जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए देश में स्थायी सरकार होने की जरूरत को रेखांकित किया है।
संपादकीय में शिवसेना ने यह भी कहा है कि भगवान से देश कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह पार्टी के 'पहले मंदिर फिर सरकार' के रुख से यू-टर्न को दर्शाता है। भाजपा के साथ गठबंधन के बाद पार्टी ने यह रुख अख्तियार किया है। पार्टी ने यह भी सवाल किया है कि क्या 2019 के चुनाव के बाद भी राम मंदिर बन सकता है।
संपादकीय में कहा है, 'संघ परिवार ने राम मंदिर मुद्दे को दरकिनार करने का फैसला लिया है। उसने पुलवामा और कश्मीर जैसे मुद्दों पर ध्यान देना शुरू किया है। आरएसएस यह भी महसूस करता है कि कश्मीर जैसी समस्या का समाधान करने के लिए देश को एक मजबूत और स्थायी सरकार की जरूरत है।' संघ यह भी महसूस करता है कि स्थायी सरकार और मजबूत प्रधानमंत्री के बगैर आतंकवाद जैसी समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता। पाकिस्तान को सबक भी नहीं सिखाया जा सकता।