Maharashtra Politics: असली चाणक्‍य साबित हुए शरद पवार, पलट दी हारी हुई बाजी

Maharashtra Politics पिछले एक महीने से महाराष्‍ट्र में जारी सियासी घटनाक्रम में असली चाणक्‍य और छत्रप एनसीपी प्रमुख शरद पवार साबित हुए हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 26 Nov 2019 05:30 PM (IST) Updated:Tue, 26 Nov 2019 09:49 PM (IST)
Maharashtra Politics: असली चाणक्‍य साबित हुए शरद पवार, पलट दी हारी हुई बाजी
Maharashtra Politics: असली चाणक्‍य साबित हुए शरद पवार, पलट दी हारी हुई बाजी

मुंबई, एजेंसी। Maharashtra Politics: पिछले एक महीने से महाराष्‍ट्र में जारी सियासी घटनाक्रम में असली चाणक्‍य और छत्रप एनसीपी प्रमुख शरद पवार साबित हुए हैं। उन्‍होंने 23 नवंबर को गठित देवेंद्र फडणवीस सरकार ने न सिर्फ इस्‍तीफा देने को मजबूर किया बल्कि अपने भतीजे अजीत पवार को उप मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा दिलवाया।

बड़ा हुआ चाचा पवार का कद

22 नवंबर को भतीजे अजित पवार ने चाचा एनसीपी प्रमुख शरद पवार से विद्रोह करके भाजपा से हाथ मिला लिया। भाजपा खेमे के इस 'अटैक' का जवाब शरद पवार और उनके परिवार ने जोरदार तरीके से दिया।  पवार ने अजीत के उप मुख्‍यमंत्री बनने के बाद कोई कड़वाहट बढ़ाने वाला बयान नहीं दिया। शरद पवार ने सिर्फ इतना कहा कि यह अजित का निजी फैसला है और पार्टी से इसका कोई लेना-देना नहीं है।

शरद पवार ने अजीत को विधायक दल के नेता पद से तो हटा दिया, लेकिन उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया। ऐसा करके चाचा शरद पवार ने अजित के लिए दरवाजे खुले रखे। उन्होंने संकेत दिया कि अजीत अगर मन बदलते हैं तो उन्हें माफ किया जा सकता है। चाचा की राजनीतिक सूझबूझ, उनकी पत्‍नी, बेटी सु्प्रिया सुले और पार्टी के अन्‍य सदस्‍यों के मनाने पर अजीत पवार आखिरकार मान गए और उन्‍होंने इस्‍तीफा दे दिया। अजीत के बाद मात्र 3 दिन के अंदर देवेंद्र फडणवीस को मंगलवार को इस्‍तीफा देना पड़ा।

इस दौरान उन्‍होंने अजीत के खिलाफ आक्रामक रूख के दिखाने बजाय उनके प्रति सकारात्‍मक रूख बनाए रखा। उनको पार्टी में वापस लाने के लिए लगातार प्रयास बनाए रखा। वहीं दूसरी ओर एनसीपी विधायकों को शरद पवार के कद को अनदेखा करना मुश्किल हो गया। यही कारण है कि जो विधायक अजीत पवार के साथ गए थे, उन्‍हें वापस अंतत: आना पड़ा। शरद पवार अपने लगभग सभी बागी विधायकों को साथ लाने में कामयाब रहे और अं‍त में उन्‍होंने विद्रोह का बिगुल बजाने वाले अजित पवार को भी मनाने में सफलता हासिल कर ली।

अजीत को मनाने के लिए शरद पवार आगे आए

दरअसल, अजीत पवार ने जब 23 नवंबर की सुबह उपमुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली, उसके बाद से ही पवार परिवार के अलग-अलग सदस्‍य और पार्टी के लोग अजीत से बातचीत कर रहे थे। शपथ ग्रहण के बाद वह अपने भार्इ श्रीनिवास पवार के घर रह रहे थे। इस दौरान अजीत को परिवार में बिखराव से बचने और पार्टी में बने रहने के लिए मनाया जा रहा था। इस काम में पहले उनके भाई श्रीकृष्ण पवार आगे आए। इसके बाद सुप्रिया सुले के पति सदानंद भालचंद्र सुले ने अजित से संपर्क किया। उन्होंने मुंबई के एक पांच सितारा होटल में अजित से मुलाकात की।

पूरे परिवार ने मिलकर बनाया दबाव 

सूत्रों के अनुसार ऐसेी मिली है कि मंगलवार आते-आते खुद शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने अजीत से बातचीत की और मुलाकात की। अजीत को पार्टी और परिवार का साथ देने के लिए मनाया गया। अजीत को मनाने में शरद पवार की पत्नी प्रतिभा पवार का भी अहम योगदान रहा। प्रतिभा ने भी अजीत से परिवार के साथ बने रहने को कहा। इस दबाव का ही असर था कि सोमवार को फडणवीस की बैठक में अजित की कुर्सी खाली नजर आई। बाद में अजीत पवार को इस्‍तीफा देना पड़ा। 

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