फारूक अब्दुल्ला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, हिरासत के खिलाफ याचिका खारिज

जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Mon, 30 Sep 2019 11:53 AM (IST) Updated:Mon, 30 Sep 2019 12:33 PM (IST)
फारूक अब्दुल्ला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, हिरासत के खिलाफ याचिका खारिज
फारूक अब्दुल्ला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, हिरासत के खिलाफ याचिका खारिज

नई दिल्ली, प्रेट्र। जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कांफ्रेंस के सांसद फारूक अब्दुल्ला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उच्चतम न्यायालय ने फारुख अब्दुल्ला की हिरासत के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। फारूक अब्दुल्ला को हाल ही में जन सुरक्षा कानून (PSA) के अंतर्गत हिरासत में भेजा गया था। इससे पहले 4 अगस्त से वह नजरबंद थे। जन सुरक्षा कानून(PSA) के अंतर्गच अब फारूक अब्दुल्ला जहां भी रहेंगे, वही उनकी अस्थाई जेल होगी।

सुप्रीम कोर्ट सोमवार को राज्यसभा सांसद वाइको की याचिका पर फारूक अब्दुल्ला के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया और कहा कि एआइडीएमके नेता सार्वजनिक सुरक्षा कानून(PSA) के तहत हिरासत के आदेश को चुनौती दे सकते हैं।

इससे पहले रविवार को फारुक अब्दुल्ला को राज्य प्रशासन ने जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत बंदी बना लिया गया था। पीएसए के तहत बंदी बनाए जाने वाले वह राज्य पहले पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद हैं। इसके अलावा उन्हें जहां रखा गया है,उसे अस्थायी जेल का दर्जा दिया गया है। डा फारुक अब्दुल्ला अपने ही मकान में बंद हैं।

हाईकोर्ट ने श्रीनगर प्रशासन से तीन हफ्तों में मांगी जांच रिपोर्ट

नेशनल कांफ्रेंस के सांसद फारूक अब्दुल्ला पर देश विरोधी और आजादी के पक्ष में दिए कथित बयान के मामले में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने एसएसपी श्रीनगर और एसएचओ पुलिस स्टेशन नगीन से तीन सप्ताह में जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 19 अगस्त 2019 को उच्च न्यायालय ने एसएसपी श्रीनगर और एसएचओ नगीन को जांच के निर्देश थे। याचिकाकर्ता ने सबूत के तौर पर अखबारों में छपी खबरों के अलावा वीडियो क्लिप भी कोर्ट में पेश की थी।

वकील ने न्यायालय को बताया कि 28 फरवरी 2017 में भी याचिकाकर्ता ने फारूक के देश विरोधी बयान की अखबार में छपी खबरों को सबूत के तौर पर पेश किया था। तब भी न्यायालय ने जिला आयुक्त जम्मू को अखबारों की खबरों को जिला आयुक्त श्रीनगर के पास भेज कर मामले की जांच करवाने को कहा था, उक्त मामले भी अभी अधर में ही है। ढाई वर्ष बीत जाने के बावजूद अभी तक जांच शुरू तक नहीं हो पाई है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि पांच दिसंबर 2016 को फारूक ने शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की 111वीं जयंती पर हजरतबल श्रीनगर से कश्मीरी भाषा में देश विरोधी बयान दिया था। इसमें उन्होंने आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस को कश्मीर की आजादी के जंग में पूरा समर्थन देने की बात कहीं थी। 24 फरवरी 2017 को नेशनल कांफ्रेंस के मुख्यालय में देश विरोधी बयान दिया था। यचिकाकर्ता की ओर से पेश वकीलों की दलीलों के बाद खुले कोर्ट में जस्टिस सिंधु शर्मा ने पुलिस अधिकारियों को जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा।

क्या है पब्लिक सेफ्टी एक्ट ?

बता दें सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम या पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत प्रावधान है कि इसमें बिना कोई मुकदमा चलाए किसी भी शख्स को दो साल तक के लिए हिरासत में लिया जा सकता है। इसके पहले एमडीएमके के राज्यसभा सांसद वाइको ने 28 अगस्त को चिट्ठी लिखकर सरकार से फारूक अब्दुल्ला को चेन्नई आने की इजाजत मांगी थी। लेकिन, सरकार की तरफ से इस चिट्ठी का कोई जनाब नहीं दिया गया था।

4 अगस्त से नजरबंद हैं ये अलगाववादी नेता

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के एक दिन पहले से ही कई अलगाववादी नेताओं को उनके घर पर नजरबंद करके रखा गया है। फारूक अब्दुल्ला भी गुपकर रोड स्थित अपने घर में नजरबंद हैं। उनको लोगों से मिलने की इजाजत नहीं है। हां, मगर परिवार के लोग मुलाकात कर सकते हैं। वहीं, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को लोगों से मिलने से मना कर दिया गया है। उमर अब्दुल्ला को हरि निवास में कैद रखा गया है, जबकि महबूबा मुफ्ती को चस्मा शाही अतिथिशाला में रखा गया है।

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