इंडिया ग्लोबल वीक 2020 में एस जयशंकर बोले, बेहद नजदीक थी दोनों सेनाएं; वापसी प्रक्रिया जारी

एस जयशंकर ने कहा कि भारत व चीन के बीच सहमति बनी है कि सेनाओं की वापसी की जाए क्योंकि दोनो सेनाएं एक दूसरे के काफी नजदीक थी।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 08:05 PM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 09:04 PM (IST)
इंडिया ग्लोबल वीक 2020 में एस जयशंकर बोले, बेहद नजदीक थी दोनों सेनाएं; वापसी प्रक्रिया जारी
इंडिया ग्लोबल वीक 2020 में एस जयशंकर बोले, बेहद नजदीक थी दोनों सेनाएं; वापसी प्रक्रिया जारी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन की सेनाएं एक दूसरे के काफी नजदीक थी और अब उनकी वापसी की प्रक्रिया शुरु हो गई है। दोनो देशों के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा से तैनात सेनाओं की वापसी की सहमति बनने के बाद पहली बार विदेश मंत्री का कोई बयान आया है। हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से कोई जानकारी नहीं दी।

इंडिया ग्लोबल वीक के एक सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि, ''भारत व चीन के बीच सहमति बनी है कि सेनाओं की वापसी की जाए क्योंकि दोनो सेनाएं एक दूसरे के काफी नजदीक थी। अभी वापसी का काम चालू है।''

लोग अपनी सुरक्षा पर दे रहें हैं ध्यान

जयशंकर ने कोविड-19 की वजह से दुनिया में कई तरह के बदलाव आने की बात कही और अंदेशा जताया कि दुनिया में ज्यादा समस्याएं होंगी। उन्होंने कहा कि, राष्ट्रवादी भावनाएं पहले से ही जड़ें जमा रही थी लेकिन पिछले छह महीने में ज्यादातर देश राष्ट्रवादी तरीके से व्यवहार कर रही हैं। लोग अपनी सुरक्षा पर ध्यान दे रहे हैं और अपने मुद्दों को ज्यादा आक्रामक तरीके से रख रहे हैं। आने वाले दिनों में भरोसे की ज्यादा कमी होगी। सप्लाई चेन को लेकर भी समस्या होगी। ''मुझे लगता है कि भरोसे की कमी होगी और यह बहुत ही कठिन दुनिया होगी।''

इस वजह से बहुपक्षीय संगठन काफी तनाव में है, ये कमजोर हो रहे हैं। लेकिन इसके साथ हम यह भी देख रहे हैं कि वैश्विक मंच के शीर्ष स्तर पर अब ज्यादा देश हैं। विश्व राजनीति के शीर्ष पर रहने वाले देशों की संख्या भी बढ़ी है और साथ ही मध्यम क्रम में रहने वाले देशों की संख्या भी बढ़ी है। इससे कई तरह के बदलाव होंगे। जहां तक भारत की बात है तो अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य बनने और दो वर्ष बाद जी-20 देशों के संगठन का मुखिया बनने की वजह से वह बहुपक्षीय संगठनों में एक अहम भूमिका निभाने की स्थिति में होगा।

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