राजस्थान में CAA, NPR और NRC के खिलाफ संकल्प पारित, सदन में चार घंटे तक चली बहस

सदन में संकल्प को पेश करते हुए धारीवाल ने कहा कि सीएए से देश की एकता और अखंडता को खतरा है। सीएए संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Sat, 25 Jan 2020 04:43 PM (IST) Updated:Sat, 25 Jan 2020 06:59 PM (IST)
राजस्थान में CAA, NPR और NRC के खिलाफ संकल्प पारित, सदन में चार घंटे तक चली बहस
राजस्थान में CAA, NPR और NRC के खिलाफ संकल्प पारित, सदन में चार घंटे तक चली बहस

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान विधानसभा ने शनिवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ संकल्प पारित किया । अब तक केरल और पंजाब ने केवल सीएए के खिलाफ ही प्रस्ताव पारित किया है, जबकि राजस्थान देश में पहला ऐसा प्रदेश है, जिसने तीनों के खिलाफ संकल्प पारित किया है। तीनों संकल्प पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही 10 फरवरी सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई ।

शनिवार को सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने उक्त तीनों संकल्प पेश किए। भाजपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायकों ने इसका विरोध किया । काफी देर तक हंगामा हुआ । विधायकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की । विरोध करते हुए भाजपा विधायक वेल में आ गए और सीएए के समर्थन में नारेबाजी करने लगे।

एकता और अंखडता को खतरा: धालीवाल

सदन में संकल्प को पेश करते हुए धारीवाल ने कहा कि सीएए से देश की एकता और अखंडता को खतरा है। सीएए संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है। देश के एक बड़े वर्ग में इसको लेकर आशंका है । उन्होंने कहा कि एनआरसी और एनपीआर की प्रस्तावना एक ही है । यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है । एनपीआर के नए प्रावधानों को वापस लेने के बाद ही जनगणना होनी चाहिए । सीएए का लक्ष्य धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों में विभेद करना है। देश के संविधान में यह स्पष्ट कथन है कि भारत एक पंथ निरपेक्ष देश है। यह संविधान की आधारभूत विशेषता है और इसे बदला नहीं जा सकता। धर्म के आधार पर ऐसा विभेद संविधान के प्रतिष्ठित पंथ निरपेक्ष आदर्शों के अनुरूप नहीं है।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश,पाकिस्तान और अफगानिस्तान का तो उल्लेख किया गया है,लेकिन अन्य पड़ोसी देश भूटान,श्रीलंका और म्यांमार का इसमें कोई प्रावधान नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को सीएए को प्रतिसंहत करने के साथ ही लोगों के मन की आशंकाओं को दूर करना चाहिए। ऐसी सूचनाओं जिन्हें एनपीआर में अद्यतन करना चाहा गया हो उसे भी वापस लेना चाहिए, इसके बाद ही एनआरपी के अधीन गणना का काम शुरू करना चाहिए।

कांग्रेस के कई नेताओं ने दिए जवाब

बहस में कांग्रेस के नरेंद्र बुड़ानिया, निर्दलीय संयम लोढ़ा,भाजपा के मदन दिलावर, सतीश पूनिया और वासुदेव देवनानी शामिल हुए। बाद में बहस का धारीवाल ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बड़ी आबादी दस्तावेज पेश नहीं कर सकेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अधिकार है कि वह किसी भी कानून का विरोध कर सकती है। चार घंटे बहस के बाद संकल्प पारित किया गया।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बोले- आपके फूफा को भी कानून लागू करना पड़ेगा

बहस के दौरान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि संसद द्वारा पारित सीएए कानून को राज्य सरकारों को लागू करना होता है। सत्तापक्ष के विधायकों की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि आपको क्या आपके फूफा को भी यह कानून लागू करना पड़ेगा।

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