रायसीना डायलॉग 2020 में रूस बोला- भारत को यूएन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए

रायसीना डायलॉग-2020 में रूसी विदेश मंत्री सगेर्ई लावरोव ने कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए।

By TaniskEdited By: Publish:Wed, 15 Jan 2020 10:30 AM (IST) Updated:Wed, 15 Jan 2020 11:29 AM (IST)
रायसीना डायलॉग 2020 में रूस बोला- भारत को यूएन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए
रायसीना डायलॉग 2020 में रूस बोला- भारत को यूएन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए

नई दिल्ली, पीटीआइ/एएनआइ। रूसी विदेश मंत्री सगेर्ई लावरोव ने कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व का मौका दिया जाना चाहिए। लावरोव ने यह बात नई दिल्ली में वैश्विक कूटनीति पर आयोजित होने वाला कार्यक्रम रायसीना डायलॉग-2020 में यह बात कही।

लावरोव ने इस दौरान यह भी कहा कि जी 7 ब्रिक्स के फैसलों के लिए महत्व का कोई मुद्दा तय नहीं कर सकता है। इसकी जगह जी 20 को होना चाहिए। भारत और ब्राजील को यूएनएसी में बिल्कुल होना चाहिए। विकासशील देशों को वहां पर्याप्त प्रतिनिधित्व का मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने इस दौरान यह भी कहा 'हम आश्वस्त हैं कि वैश्विक विकास की व्यापक प्रवृत्ति आर्थिक, वित्तीय शक्ति और राजनीतिक प्रभाव के नए केंद्रों के गठन की उद्देश्य प्रक्रिया है। भारत जाहिर तौर पर उनमें से एक है।'

खाड़ी देशों को सामान्य सुरक्षा तंत्र पर विचार करने को कहा

लावरोव ने बुधवार को कहा कि मॉस्को खाड़ी देशों से क्षेत्र के लिए एक सामान्य सुरक्षा तंत्र पर विचार करने का आग्रह कर रहा है। हम खाड़ी देशों को सामूहिक सुरक्षा तंत्र के बारे में सोचने का सुझाव दे रहे हैं। इसकी शुरुआत विश्वास निर्माण उपायों और एक दूसरे को सैन्य अभ्यास के लिए आमंत्रित करके होनी चाहिए। बता दें कि खाड़ी क्षेत्र में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी के मारे जाने के तनाव की स्थिति बनी हुई। 

इंडो-पैसिफिक का उद्देश्य विभाजनकारी नहीं होना चाहिए

इस दौरान सगेर्ई लावरोव ने इंडो-पैसिफिक इनिशिएटिव पर कहा कि अमेरिका, जापान और अन्य द्वारा आगे बढ़ाई जा रही नई इंडो-पैसिफिक अवधारणा मौजूदा संरचना को नया आकार देने का प्रयास है। किसी को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं होना चाहिए। हम भारत की स्थिति का समर्थन करते हैं। इंडो-पैसिफिक को चलाने वालों ने हमें बताया कि यह एशिया पैसिफिक से ज्यादा लोकतांत्रिक है। इंडो-पैसिफिक को चीन को रोकने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य विभाजनकारी नहीं होना चाहिए। 

इसे एशिया पैसिफिक कहने की आवश्यकता क्यों है?

गेर्ई लावरोव ने आगे कहा कि आपको इसे एशिया पैसिफिक कहने की आवश्यकता क्यों है? आपको उत्तर पता है, इसका उत्तर चीन रोकना है। यह भी छिपा नहीं है। भारतीय मित्र अच्छे से इस खतरे को समझते और वे इसमें शामिल नहीं होंगे। ग्रेटर यूरेशिया पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम दार्शनिक शब्दावली के खिलाफ हैं, लेकिन इसे समझना चाहिए। हम हिंद महासागर की स्थिति के कारण एशिया पैसिफिक क्षेत्र कहते थे। 

आर्थिक और व्यापार योग्यता के आधार पर आरसीइपी का मूल्यांकन करेंगे-  लावरोव 

रीजनल कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) पर लावरोव ने कहा कि जहां तक आरसीइपी  का संबंध है, हमें लागत और लाभ को देखना होगा। हम इसका मूल्यांकन उसकी आर्थिक और व्यापार योग्यता के आधार पर करेंगे। रायसीना डायलॉग-2020 के इतर रूसी विदेश मंत्री सगेर्ई लावरोव ने पीएम मोदी से नई दिल्ली में मुलाकात की। 

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