जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौतीः उमर अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि प्रदेश में चुनाव चुनाव कराना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Mon, 25 Feb 2019 03:25 PM (IST) Updated:Mon, 25 Feb 2019 03:25 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौतीः उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौतीः उमर अब्दुल्ला

श्रीनगर, ब्यूरो। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उमर ने कहा कि साल 1995-96 को छोड़ दिया जाए तो राज्य में सभी चुनाव समय पर हुए हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि क्या मोदी यहां पर समय पर चुनाव करवा पाते हैं या यह स्वीकार कर लेते हैं कि जम्मू कश्मीर के मामलों को हल करने में पूरी तरह से विफल रहे हैंँ अगले कुछ दिनों में हमें इसका जवाब मिल जाएगा। यह बात उमर ने सोशल साइट ट्विटर पर लिखी है।

एक अन्य ट्वीट में उमर ने लिखा कि क्या मोदी सरकार अलगाववाद और आतंक की उन ताकतों के सामने झुक जाएगी, जिन्होंने हमेशा जम्मू-कश्मीर में चुनाव में खलल डालने या देरी करने की मांग की है या चुनाव तय समय पर होंगे? पिछले पांच साल में कश्मीर को संभालने वाले पीएम मोदी के लिए यह सच्चाई का क्षण है।

उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, 'जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी और अलगाववादी हमेशा से ही चुनाव में खलल डालने की कोशिश करते रहे हैं। क्या प्रधानमंत्री इनके आगे झुक जाएंगे या चुनाव समय पर होंगे।'

दरअसल, उमर अब्दुल्ला ने उन मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया दी है जिसमें कहा गया था कि चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करा सकता है। चुनाव आयोग ने पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था।

इससे अलावा उमर अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 35-ए के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि अगर अनुच्छेद 35-ए में कोई बदलाव किया गया तो अरुणाचल प्रदेश से भी खतरनाक हालात होंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को राज्य में होने वाले चुनाव पर ध्यान देना चाहिए। बता दें कि अनुच्छेद 35-ए जम्मू कश्मीर को विशेष अधिकार देता है। इसे वर्ष 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के तहत लागू किया गया था।

उधर, योजना, विकास और निगरानी विभाग के प्रमुख सचिव और राज्य सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा कि अनुच्छेद 35-ए के मुद्दे पर सरकार के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। राज्य सरकार 11 फरवरी को अनुच्छेद 35-ए पर अपना पक्ष रख चुकी है। जम्मू में रविवार को पत्रकार वार्ता में रोहित कंसल से पूछा गया था कि कश्मीर में अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों की तैनाती क्या 35ए पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और घाटी के मौजूदा हालात को देखते हुए की गई है। 

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