शांति वार्ता के लिए दिल्ली पहुंचे नगा नेता, नगा मुद्दे के समाधान के लिए केंद्र सरकार से करेंगे बातचीत

Naga Peace Talks टी. मुइवा सहित नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नगालिम-इसाक-मुइवा (एनएससीएन-आइएम) के वरिष्ठ नेता नगा मुद्दे के समाधान के लिए केंद्र सरकार से बातचीत करने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। पीयूष गोयल से मुलाकात करने की संभावना।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 08:36 AM (IST) Updated:Thu, 07 Oct 2021 08:36 AM (IST)
शांति वार्ता के लिए दिल्ली पहुंचे नगा नेता, नगा मुद्दे के समाधान के लिए केंद्र सरकार से करेंगे बातचीत
नगा मुद्दे के समाधान के लिए केंद्र सरकार से करेंगे बातचीत।(फोटो: प्रतीकात्मक)

नई दिल्ली, आइएएनएस। टी. मुइवा सहित नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नगालिम-इसाक-मुइवा (एनएससीएन-आइएम) के वरिष्ठ नेता नगा मुद्दे के समाधान के लिए केंद्र सरकार से बातचीत करने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। यह जानकारी सरकारी सूत्रों ने दी। नगा नेताओं के गृह मंत्रालय के सलाहकार और खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक अक्षय कुमार मिश्रा और गृह मंत्रालय में पूर्वोत्तर के अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल से मुलाकात करने की संभावना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैठकों के दौरान केंद्र नगा नेताओं को अलग झंडा और संविधान की अपनी मांग छोड़ने के लिए मनाने की कोशिश करेगा, जिस पर वे अड़े हुए हैं।

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, जो नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के अध्यक्ष भी हैं, शांति वार्ता को फिर से शुरू करने और उन्हें निष्कर्ष तक ले जाने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। उन्होंने मुइवा सहित नगा नेताओं से भी मुलाकात की है और शांति वार्ता के लिए राजी किया है।

भगवान का घर हैं चर्च, युद्ध की जगह नहीं- हाई कोर्ट

केरल हाई कोर्ट ने केरल के मलंकारा सीरियन आर्थोडाक्स चर्चो में गुटबाजी खत्म करने का आह्वान करते हुए कहा कि चर्चो को भगवान के निवास के रूप में काम करना चाहिए, न कि युद्ध के स्थान के रूप में। आज कुछ चर्चो को इस रूप में बदल दिया गया है। जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि हर कोई जो मलंकरा सीरियन आर्थोडॉक्स चर्च का हिस्सा है, उसे 1934 के संविधान का पालन करना होगा। कोर्ट ने लोगों को किसी तरह की अड़चन डालने और बागी तेवर दिखाने के खिलाफ आगाह करते हुए कहा कि अदालत 1934 के संविधान को लागू करने में पुलिस बल का उपयोग करने से नहीं कतराएगी।

जज ने कहा कि कोई भी अदालत, और सबसे बढ़कर यह अदालत, किसी फैसले को लागू करने के लिए किसी भी चर्च में पुलिस या अन्य किसी बल को भेजने में खुशी नहीं पाएगी। हालांकि अगर इस अदालत को इस पर मजबूर किया गया तो निश्चित रूप से इस विकल्प पर विचार होगा।इस मामले में 26 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी। तब तक पुलिस अधीक्षक और उनके अधीन अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि जिन क्षेत्रों में चर्च स्थित हैं, उन्हें किसी भी व्यक्ति द्वारा कानून और व्यवस्था के उल्लंघन से बचाया जाए।

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