पूर्व अटॉर्नी जनरल रोहतगी बोले, कोयला ब्लॉक, 2जी लाइसेंस रद करते वक्त भटक गया था सुप्रीम कोर्ट

पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा है कि कोयला ब्लॉक आवंटन 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस और कर्नाटक और गोवा में खनन को रद करते समय सुप्रीम कोर्ट रास्ते से भटक गया था।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 16 May 2020 10:02 PM (IST) Updated:Sat, 16 May 2020 10:49 PM (IST)
पूर्व अटॉर्नी जनरल रोहतगी बोले, कोयला ब्लॉक, 2जी लाइसेंस रद करते वक्त भटक गया था सुप्रीम कोर्ट
पूर्व अटॉर्नी जनरल रोहतगी बोले, कोयला ब्लॉक, 2जी लाइसेंस रद करते वक्त भटक गया था सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, पीटीआइ। देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने शनिवार को कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन, 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस और कर्नाटक और गोवा में लौह अयस्कों के खनन को रद करते समय सुप्रीम कोर्ट रास्ते से भटक गया था। पर्यावरण सुरक्षा को लेकर शीर्ष अदालत के इस उत्साह से अर्थव्यवस्था को जोर का झटका लगा। उच्च अदालतों में जजों की नियुक्ति के अधिकार को प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) के नेतृत्व वाले कोलेजियम द्वारा अपने हाथ में लेने का उल्लेख करते हुए रोहतगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जजों की नियुक्ति के लिए अपने एकाधिकार को शालीनता से त्याग देना चाहिए।

'सुप्रीम कोर्ट की 1950 से अब तक का सफर' विषय पर प्रोफेसर एनआर माधव मेमन स्मृति व्याख्यान में रोहतगी ने उपरोक्त टिप्पणी की। रोहतगी को राजग सरकार ने 19 जून, 2014 को अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया था। वह 18 जून, 2017 तक इस पद पर रहे थे। कोयला ब्लॉक और 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और कर्नाटक व गोवा में लौह अयस्क खनन लाइसेंस को रद करने के फैसले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान आए थे। उस समय इन मामलों में आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और सरकार के खिलाफ आंदोलन भी चले थे।

कोरोना वायरस के चलते पैदा हुए हालात में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई का उल्लेख करते हुए पूर्व अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सिस्टम को लेकर कुछ तकनीकी दिक्कतें हैं, लेकिन इसे सुधारा और बेहतर बनाया जा सकता है। आजादी के बाद से हुए बड़े फैसलों के बारे में बात करते हुए रोहतगी ने कहा, 'पर्यावरण को बचाने के अपने उत्साह, सरकारी आदेशों और उसकी नि‍ष्‍क्र‍ियता को सही करने के अपने जोश में सुप्रीम कोर्ट ने देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका दिया है। इसका एक उदाहरण देशभर में सभी कोयला ब्लॉक के आवंटन को रद करना है।'

रोहतगी की मानें तो अदालत ने जब यह फैसला सुनाया तो इससे लाखों नौकरियां चली गईं, करोड़ों के विदेशी निवेश खत्म हो गए, लाखों करोड़ के उपकरण रद हो गए। सरकार ने तब सही कानूनी उपाय नहीं किए और इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पड़ा। उन्होंने कहा, '2जी मामले में भी ऐसा ही हुआ। इससे देश को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। कर्नाटक और गोवा में लौह अयस्कों के खनन को रद करना भी इसी तरह का मामला है। सुप्रीम कोर्ट को फैसला देते समय उसके आर्थिक पहलुओं को भी ध्यान में रखना चाहिए था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट अपना रास्ता भटक गया।'

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के तौर तरीकों पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए रोहतगी ने कहा कि संविधान के तहत उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होनी चाहिए, अर्थात सरकार द्वारा होनी चाहिए क्योंकि राष्ट्रपति सरकार की सलाह पर ही काम करते हैं।

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