Corona Epidemic: राज्यों के साथ अभूतपूर्व समन्वय और त्वरित फैसलों के दम पर कई अन्य देशों से बेहतर है भारत की स्थिति, जानें कैसे

कोरोना के खिलाफ लड़ाई को अंजाम देने में जुटे केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 सशक्त समूह बनाए हैं जो अलग-अलग विषयों पर राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर तत्काल फैसला ले रहे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 08:33 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 09:58 PM (IST)
Corona Epidemic: राज्यों के साथ अभूतपूर्व समन्वय और त्वरित फैसलों के दम पर कई अन्य देशों से बेहतर है भारत की स्थिति, जानें कैसे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 सशक्त समूह बनाए हैं

नई दिल्ली, आशुतोष झा। कोरोना महामारी ने वैश्विक स्तर पर विज्ञानियों को चकमा दे दिया और भारत के बीमार स्वास्थ्य ढांचे की भी पोल खोलकर रख दी। लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया कि ऐसी स्थिति में सिर्फ अभूतपूर्व समन्वय और त्वरित फैसला ही सबसे बड़ा हथियार है। कई विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आज भी भारत कुछ मानकों पर विश्व के शक्तिशाली देशों से बेहतर है, तो इसका कारण सिर्फ समन्वय और जरूरतों के प्रति संवेदनशीलता है। केंद्र और राज्यों के बीच अब तक 123 समन्वय बैठकें हो चुकी हैं। राज्य के मुख्य सचिवों के साथ केंद्र की ढाई दर्जन बैठकें हुई हैं और प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्रियों के बीच नौ बैठकें हो चुकी हैं। व्यक्तिगत स्तर पर विमर्श का दौर जारी है, ताकि राज्यों की स्थिति पर नजर रखी जा सके और उनकी जरूरतों को पूरा किया जा सके।

राज्यों से विमर्श और फैसले के लिए प्रधानमंत्री ने गठित किए हैं 11 सशक्त समूह

कोरोना के खिलाफ लड़ाई को अंजाम देने में जुटे केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 सशक्त समूह बनाए हैं, जो अलग-अलग विषयों पर राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर तत्काल फैसला ले रहे हैं। साथ ही उन्हें यह भी निर्देश दिया गया है कि जरूरत के अनुसार देश-विदेश से कोविड के खिलाफ जरूरी वस्तुओं की खरीद को किसी भी कानूनी बंधन या औपचारिकताओं से दूर रखा जाए। यह देखा जाए कि बाजार में कहां वह वस्तु उपलब्ध है और कौन जल्द से जल्द उसकी डिलीवरी दे सकता है। वस्तु का सिर्फ आर्डर ही नहीं दिया जाए बल्कि एडवांस भी दिया जाए। 

कोविड के लिए जरूरी वस्तुओं की खरीद में नियम की बाधा नहीं

अधिकारी का कहना है कि पिछले दिनों विदेश से खरीदे जा रहे टैंकर, आक्सीजन प्लांट, कंसंट्रेटर्स, अन्य उपकरण और दवा जैसे हर मामले में सरकार ने तत्काल फैसला लिया। इसके लिए वित्त मंत्रालय तक जाने की जरूरत नहीं। प्रंबधन से जुड़े एक अन्य अधिकारी के अनुसार विदेश में भारतीय राजदूतों को लेटर आफ क्रेडिट दे दिया गया है और उन्हें कहा गया है कि व्यक्तिगत स्तर पर यह देखें कि जरूरी सामान जल्द भारत पहुंचे और भारत में बैठे अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि राज्यों तक सामान पहुंचे। प्रधानमंत्री के स्तर से सभी वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों को निर्देश है कि संवेदनशील रहते हुए तत्काल फैसला लें और क्रियान्वयन भी सुनिश्चित कराएं।

हर चुनौती पर नजर

सूत्रों के अनुसार, प्रबंधन का ध्यान इस स्तर तक रखा जा रहा है कि हाल की एक बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्रियों को मानसून और गर्मी के दिनों में बिजली की खपत बढ़ने और ऐसे में कोरोना के लिए जरूरी संसाधन जुटाने में होने वाली परेशानी के लिए भी आगाह किया। बताने की जरूरत नहीं है कि आक्सीजन उत्पादन में जुटी छोड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए बिजली संकट देश का संकट बन सकता है। मानव संसाधन की कमी पर भी नजर रखी जा रही है। इसके लिए भी एक सशक्त समूह का गठन किया गया है।

पावर प्लांट में भी अतिरिक्त मानव संसाधन जुटाने को कहा गया है। डाक्टर और नर्सिग स्टाफ की कमी को देखते हुए पिछले दिनों एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के छात्रों को जोड़ने का फैसला किया गया था। बात केवल यहीं नहीं रुकती है। दूरदराज से अलग-अलग हिस्सों में आक्सीजन टैंकर पहुंचाने वाले ड्राइवर से लेकर केंद्रीय स्तर पर निगरानी करने वाले अधिकारियों तक की मौजूदगी सुनिश्चित की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट की टास्क फोर्स ने भी सराहा

आक्सीजन का उत्पादन बढ़ाने और उसकी सप्लाई सुनिश्चित करने की केंद्र सरकार की कोशिश को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित टास्क फोर्स ने भी सराहा है। प्रबंधन और समन्वय का बड़ा जिम्मा संभाल रहे केंद्र के एक अधिकारी के अनुसार चुनौती बहुत बड़ी है क्योंकि कोरोना की सटीक भविष्यवाणी अब तक किसी विज्ञानी के लिए असंभव है। लेकिन केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय, आपसी बातचीत और सलाह के कारण भारत आज भी कोरोना से होने वाली मौत के मामले में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस जैसे शक्तिशाली और साधन संपन्न देशों के मुकाबले काफी बेहतर स्थिति में है। कोशिश यह हो रही है कि कोरोना से एक भी मौत न हो।

इंटरनेट मीडिया पर भी छाए हैं तत्परता के किस्से

राजनीतिक स्तर पर बयानबाजी का दौर तो खैर नहीं थमा है लेकिन दो दिन पहले बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के कमिश्नर इकबाल सिंह चहल बता चुके हैं कि आक्सीजन की कमी के मामले में केंद्रीय कैबिनेट सचिव ने किस तरह 15 मिनट के अंदर फैसला लिया। इंटरनेट मीडिया पर यह भी सार्वजनिक है कि सऊदी अरब से कुछ आक्सीजन कंसंट्रेटर लेकर मंगलुरु पहुंचे इरफान कस्टम्स के चंगुल में फंसे, तो केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की पहल पर उन्हें सात मिनट के अंदर छोड़ दिया गया।

chat bot
आपका साथी