कभी फाइल पेंडिंग नहीं रखते छत्तीसगढ़ के निरक्षर मंत्री लखमा, याददाश्त के हैं सब कायल

सुबह जल्दी उठकर वह अपने पीए की मदद से सभी फाइलों को निपटाते हैं। अपने क्षेत्र के एक-एक व्यक्ति का नाम उन्हें याद है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 18 Sep 2020 10:49 PM (IST) Updated:Fri, 18 Sep 2020 10:49 PM (IST)
कभी फाइल पेंडिंग नहीं रखते छत्तीसगढ़ के निरक्षर मंत्री लखमा, याददाश्त के हैं सब कायल
कभी फाइल पेंडिंग नहीं रखते छत्तीसगढ़ के निरक्षर मंत्री लखमा, याददाश्त के हैं सब कायल

अनिल मिश्रा, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ सरकार में एक मंत्री हैं कवासी लखमा। अक्षर ज्ञान के नाम पर उन्हें केवल अपना नाम ही लिखना आता है। इसके बावजूद वह अपनी स्मरण शक्ति के सहारे मंत्रिमंडल में विशेष स्थान रखते हैं। लखमा के विभाग की कोई फाइल कभी पेंडिंग नहीं रहती। सुबह जल्दी उठकर वह अपने पीए की मदद से सभी फाइलों को निपटाते हैं। अपने क्षेत्र के एक-एक व्यक्ति का नाम उन्हें याद है। लखमा बस्तर संभाग के धुर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के एक छोटे से गांव नागरास से निकलकर राज्य सरकार में मंत्री बने हैं। उनकी लोकप्रियता और वाकपटुता दोनों की खूब चर्चा होती है। इससे पहले कि लोगों का आना शुरू हो, लखमा फाइलों का अंबार निपटा लेते हैं।

कवासी लखमा को स्कूल जाने का नहीं मिला अवसर, पशु चराते बीता बचपन

बचपन में कवासी लखमा को स्कूल जाने का अवसर नहीं मिला। उनका बचपन पशु चराते हुए बीता। नेतृत्व क्षमता थी इसलिए युवावस्था में गांव के सरपंच चुने गए। जब वह सरपंच थे, तभी किसी कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एक आयोजन में सुकमा पहुंचे। तब छत्तीसगढ़ अलग राज्य नहीं बना था। लखमा को उस मंच से बोलने का अवसर मिला।

लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं, याददाश्त के सब हैं कायल

दिग्विजय सिंह उनसे काफी प्रभावित हुए। वर्ष 1998 में लखमा पहली बार कांग्रेस की टिकट पर कोंटा से विधायक चुने गए। इसके बाद उन्होंने कभी हार का मुंह नहीं देखा। यहां 15 साल तक कांग्रेस विपक्ष में रही और लखमा विपक्ष की मुखर आवाज बने रहे। वर्ष 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई तो उन्हें उद्योग और आबकारी विभाग का मंत्री बनाया गया। लखमा की याददाश्त इतनी तेज है कि उन्हें अपने क्षेत्र के एक-एक व्यक्ति का नाम, उसके परिवार के बारे में पता होता है।

लखमा को बस्तर का लालू भी कहा जाता है

उनका लहजा मजाकिया और देशज है, जिससे लोग उनके प्रति खिंचे चले आते हैं। उन्हें बस्तर का लालू भी कहा जाता है।

लखमा जब मंत्री पद की शपथ लेने मंच पर आए तो वह कागज में लिखी शपथ नहीं पढ़ पाए

शपथ ग्रहण से चर्चा में आए लखमा जब मंत्री पद की शपथ लेने मंच पर आए तो वह कागज में लिखी शपथ नहीं पढ़ पाए। राज्यपाल ने एक-एक लाइन पढ़कर उन्हें शपथ दिलाई। यहीं से लखमा देशभर में सुर्खियों में आ गए। मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार में इमरती देवी भी एक मंत्री रहीं, जो निरक्षर थीं। अब कमलनाथ सरकार चली गई है और लखमा संभवत: देश के अकेले निरक्षर मंत्री हैं।

जब तक हूं, जनता के प्रति जवाबदेही का पालन करूंगा

कांग्रेस पार्टी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अवसर दिया है तो उनकी उम्मीदों पर जरूर खरा उतरूंगा। जब तक हूं, जनता के प्रति जवाबदेही का पालन करूंगा - कवासी लखमा, मंत्री, आबकारी और उद्योग विभाग, छत्तीसगढ़ शासन।

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