देश के आर्थिक हालात पर चर्चा के लिए तैयार है सरकार: प्रधानमंत्री मोदी

बजट सत्र के पहले सरकार द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा देश के आर्थिक हालात पर चर्चा का स्‍वागत है।

By Monika MinalEdited By: Publish:Thu, 30 Jan 2020 12:04 PM (IST) Updated:Thu, 30 Jan 2020 06:50 PM (IST)
देश के आर्थिक हालात पर चर्चा के लिए तैयार है सरकार: प्रधानमंत्री मोदी
देश के आर्थिक हालात पर चर्चा के लिए तैयार है सरकार: प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्‍ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'देश के आर्थिक हालात पर चर्चा का प्रस्‍ताव आया है। मैं इसका स्‍वागत करता हूं और आप सबों द्वारा प्रस्‍तावित सभी आर्थिक मुद्दों पर चर्चा की जरूरत है।' वे बजट सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'इस बजट सत्र में हमें इस बात पर फोकस करना होगा कि वैश्विक परिदृश्‍य को भारत के पक्ष में कैसे बदला जाए। उन्‍होंने आगे कहा, ' यदि देश की अर्थव्‍यवस्‍था को हम उचित दिशा दे सकें तो यह देश के हित में होगा।'

बजट सत्र  (Budget Session) से  पहले गुरुवार को सर्वदलीय बैठक में संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी  (Prahlad Joshi) द्वारा बुलाई गई । इस बैठक में  संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने व बजट संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई। बता दें क‍ि 1 फरवरी को 2020-21 बजट पेश किया जाएगा।  बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर 11 फरवरी तक चलेगी। सत्र की शुरुआत राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद के संबोधन के साथ होगी।

संसद की लाइब्रेरी (Parliament Library) में आयोजित बैठक में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी (Parliamentary Affair Minister Prahlad Joshi),  राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) , थावर चंद गहलोत (Thavar Chand Gehlot) , अर्जुन मेघवाल (Arjun Meghwal), वी मुरलीधरन, सपा के रामगोपाल यादव, बीजेडी के प्रसन्‍न आचार्य, एनसीपी  की सुप्रिया सुले, कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद, जेडीयू के मनोज झा, एलजेपी के रामविलास पासवान और चिराग पासवान, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन और बीएसपी के रितेश पाठक शामिल हुए। 

वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में व्‍यक्तिगत इनकम टैक्‍स में मोदी सरकार कुछ राहत दे सकती है। वहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में खर्च बढ़ाए जाने की भी उम्मीद है। उल्‍लेखनीय है क‍ि भारतीय अर्थव्यवस्था एक दशक के अपने सबसे बुरे दौर का सामना कर रही है। जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि में कमी हुई और यह 4.5 फीसद रह गई। इस मंदी के कारण करोड़ों युवाओं के रोजगार पर असर पड़ा। 

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