अमेरिका की तर्ज पर कैसे भारत में डिजिटल की धरती पर होगा अगला चुनावी रण

चुनावी अभियानों में उम्मीदवारों का रुझान डिजिटल मीडिया की तरफ बढ़ा है। देश हो या विदेश मौजूदा समय में डिजिटल माध्यम को ठुकरा पाना आसान नहीं है।

By Lalit RaiEdited By: Publish:Wed, 28 Feb 2018 02:14 PM (IST) Updated:Sat, 03 Mar 2018 09:44 AM (IST)
अमेरिका की तर्ज पर कैसे भारत में डिजिटल की धरती पर होगा अगला चुनावी रण
अमेरिका की तर्ज पर कैसे भारत में डिजिटल की धरती पर होगा अगला चुनावी रण

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । लोकतांत्रिक प्रणाली में चुनाव का अहम रोल है। बैलेट पेपर और इवीएम के जरिए लोग अपने प्रतिनिधियों का फैसला करते हैं। आम जन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए राजनीतिक दल और नेता पारंपरिक प्रचार सामग्रियों की मदद लेते थे। लेकिन 21 वीं सदी की शुरुआत में प्रचार का स्वरूप थोड़ा बदला। एक निश्चित चाल के साथ मोबाइल पर एसएमएस के प्रचार के साथ ही थोड़ा और बदलाव हुआ जिसमें सोशल मीडिया खास तौर से फेसबुक और ह्वाट्सएप अहम भूमिका निभाने लगा।

2014 के आम चुनाव को भारतीय चुनावी व्यवस्था में वाटरशेड के तौर पर देखा जा सकता है। पीएम मोदी चुनावी अभियान में अपनी बातों को जहां पारंपरिक तौर पर भाषणों के जरिए लोगों तक पहुंचा रहे थे । वहीं उनका खास तंत्र डिजिटल माध्यम से आम लोगों तक जुड़ने की कोशिश कर रहा था। चुनावी प्रचार के इस माध्यम का जबरदस्त हुआ और भारतीय जन ने अपनी मन की सुनकर एक ऐसी सरकार का गठन किया जो अपने आप में ऐतिहासिक था।

कुछ वैसे ही जब 2016 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया चल रही थी उस वक्त राष्ट्रपति के उम्मीदवार ट्रंप के लिए कुछ खास योजनाओं के साथ उनके डिजिचल सलाहाकार ब्रैड पार्सकेल आए। ये बात अलग थी कि पार्सकेल के प्रयासों पर ट्रंप बिफर जाया करते थे और उनकी डिजिटल सोच को मंबो-जंबो डिजिटल स्टफ करार दिया था। लेकिन चुनाव में जीत हासिल करने के बाद ट्रंप ने कहा वो कितना गलत थे। 


ब्रैड पार्सकेल को एक बार फिर मिली डिजिटल कमान

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ब्रैड पार्सकेल को एक बार फिर 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए डिजिटल मीडिया डॉयरेक्टर नियुक्त किया है। इसके बारे में मैट ड्रज की वेबसाइट द ड्रज रिपोर्ट के जरिए ये साफ हो चुका था कि पार्सकेल को 2020 में एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। औपचारिक तौर पर राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने से पहले ट्रंप ने कहा था कि वो 2020 में होने वाले चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएंगे।लेकिन किसी मौजूदा राष्ट्रपति द्वारा चुनावी प्रक्रिया से तीन साल पहले इस तरह की घोषणा करना असाधारण है। ह्वाइट हाउस के प्रेस सेक्रेटरी सारा सैंडर्स ने कहा था कि ट्रंप 2020 में होने वाले चुनाव में उम्मीदवार होंगे।


अमेरिकी फर्स्ट का नारा और पार्सकेल

पार्सकेल, अमेरिकी राजनीति में सक्रिय तौर पर हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने ट्रंप के लिए अमेरिका फर्स्ट का नारा इजाद किया जिसका जादू जमकर बोला। फ्लोरिडा बेस्ड पार्सकेल स्ट्रैटिजी का रिपब्लिकन नेशनल कमेटी से करार है। इसके अलावा उन्होंने उन दानकर्ताओं की सूची तैयार की जिन लोगों ने पार्टी की नीतियों में भरोसा जताया था। 2015 से पहले पार्सकेल का राजनीति से नाता नहीं था। लेकिन वो ट्रंप परिवार और उनके संगठनों के लिए वेबसाइट डिजाइन करने के साथ साथ ट्रंप के व्यापार को बढ़ाने के लिए डिजिटल रणनीति बनाने में मदद कर रहे थे। राष्ट्रपति चुनाव के उतार-चढ़ाव भरे समय में ट्रंप ने तीन कैंपेन मैनेजर की सेवाओं को समय समय पर बदलते रहे। लेकिन ट्रंप के दामाद के करीबी ब्रैड पार्सकेल का साथ हमेशा बना रहा। 2016 के चुनाव में पार्सकेल का ओहदा डिजिटल डॉयरेक्टर का था। लेकिन उनका दखल प्रचार के सभी मोर्चों पर था। उन्होंने न केवल कैंपेन को धार दिया बल्कि टेलीविजन में हर एक स्लॉट को कैसे उपयोग किया जाए इस पर खास बल दिया । इसके साथ ही स्मॉल डॉलर डोनर ऑपरेशन के जरिए रिपब्लिकन पार्टी को आम लोगों से जोड़ा।

जानकार की राय
दैनिक जागरण से खास बातचीत में राजनीतिक मामलों के जानकार शिवाजी सरकार
ने कहा कि भारत के चुनावी प्रचार में डिजिटल युग की शुरुआत 1996 में ही हो गई थी। कांग्रेस ने बकायदा इस पर काम किया। लेकिन डिजिटल माध्यम के जरिए किस अंदाज में जनता के बीच जाकर अपनी बात को रखा जाए उसे गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी ने अच्छी तरह से समझा। जब वो 2014 का आम चुनाव लड़ रहे थे तो बेहतरीन सामांजस्य बनाकर न केवल अपनी बातों को जनता के सामने रखते थे बल्कि जनभावनाओं को समझकर रणनीति भी बनाते थे। उस समय दूसरी पार्टियां इस रेस में पीछे रह गईं। लेकिन 2014 का चुनावी फैसला कांग्रेस समेत क्षेत्रीय दलों के लिए एक संकेत था उसे समझ कर दूसरी पार्टियां भी अपने आप को डिजिटल अंदाज में पेश कर रही हैं। इन तमाम कवायदों के बीच एक बात तो साफ है कि 2019 के आम चुनाव में डिजिटल माध्यम का बोलबाला रहेगा। लेकिन उस माध्यम को कौन सी पार्टी कितने बेहतर ढंग से जमीन पर उतार सकेगी ये देखने वाली बात होगी। मौजूदा समय में भाजपा का सभी कैंपेन चुनावी ही नहीं उसमें लोगों से जुड़ने की बात शामिल होती है। ऐसे में आप कह सकते हैं कि किसी भी लड़ाई को जीतने के लिए हथियार जितना जरूरी होता है उससे ज्यादा आवश्यक है कि उन हथियारों को चलाने वाला शख्स कौन है।

जब पार्सकेल पर खफा हुए ट्रंप

डिजिटल प्रचार-प्रसार के लिए उन्होंने फेसबुक से जुड़े लोगों चुनावी अभियान का हिस्सा बनाया ताकि सोशल मीडिया के जरिए हिलेरी क्लिंटन का मुकाबला किया जा सके। ये बात अलग है डिजिटल मोड पर इतना पैसा खर्च करने को लेकर ट्रंप, पार्सकेल से खफा भी हो गए और कहा कि आप इतना ज्यादा क्यों खर्च कर रहे हो। ट्रंप के गुस्से को याद करते हुए वो बताते हैं कि उन्होंने कहा कि मुंबो-जंबो डिजिटल स्टफ पर वो भरोसा नहीं करते हैं। ये पहला मौका था जब वो इतने गुस्से में थे मैंने उनका ये रूप पहले कभी नहीं देखा था। लेकिन उनके गुस्से की अनदेखी कर वो डिजिटल मीडिया पर होने वाले खर्च पर ध्यान केंद्रित करते रहे। वास्तव में चुनावी अभियान के अंतिम चरण में पार्सकेल कहते हैं कि ट्रंप ने देखा कि लोगों का मत वास्तव में उनके पक्ष में बदल रहा है जबकि वो सोचते थे कि क्लिंटन चुनाव जीत सकती हैं। वर्जीनिया जहां वो सोचते थे कि ट्रंप चुनाव जीत सकते हैं और ओहिया जहां वो ट्रंप की जीत को लेकर आशान्वित थे।वो लगातार इस तरह की कोशिश करते रहे कि डिजिटल अभियान दम न तोड़ दे। मिशिगन और विस्कोंसिन गए और डिजिटल टीवी पर विज्ञापन के लिए स्लॉट और समय खरीदना शुरू किया।पार्सकेल बताते हैं कि जीत के बाद ट्रंप ने उन्हें धन्यवाद दिया और कहा कि जिस प्लेटफॉर्म को वो मंबो-जंबो डिजिटल स्टफ मानते थे वो कितना कारगर निकला।

पार्सकेल के मुरीद हुए इरिक ट्रंप और कुशनर
ब्रैड पार्सकेल के बारे में राष्ट्रपति ट्रंप के बेटे इरिक ट्रंप ने कहा कि उनमें गजब की प्रतिभा है,वो 2016 के चुनाव ट्रंप की जीत में अहम भूमिका निभा चुके हैंमऔर उनमें हमारे परिवार को पूरा विश्वास है। डोनाल्ड ट्रंप के दामाद और उनके वरिष्ठ सलाहकार जे कुशनर ने कहा कि 2016 के चुनावी अभियान में पार्सकेल की भूमिका महत्वपूर्ण थी उन्होंने तकनीक को अनुशासित तरीक से चुनावी प्रचार का हिस्सा बनाया। उन्होंने आंकड़ों का बारीकी से अध्ययन कर आगे की रणनीति को बनाया।

डिजिटल माध्यम और भारतीय चुनाव
एक तरफ जहां अमेरिकी राष्ट्रपति 2020 के चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। वहीं 2019 में भारत में आम चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में सरगर्मी तेज हो गई है। सत्ता पक्ष जहां अपनी कामयाबियों को डिजिटल माध्यम से आम लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है, वहीं कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी विदेशों में जाकर अपनी और पार्टी की छवि सुधारने के लिए कोशिश कर रहे हैं। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपमी इमेज के मेकओवर के लिए अमेरिकी विशेषज्ञों की मदद ली। पीएम मोदी अपने सभी भाषणों में कम से कम ये कहते हैं कि तकनीक के इस्तेमाल में जो पीछे रह गया वो राजनीति की धरातल पर हमेशा गड्ढों का सामना करेगा। अपने सांसदों को ताकीद करते हुए वो कहते हैं कि सोशल मीडिया के जरिए आप सभी लोग आम और खास लोगों से जुड़ें। दरअसल तकनीक का ये माध्यम ही अाप को विजयश्री दिलाएगा। 

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