काला धन को इकट्ठा करना आर्थिक आतंकवाद: ओडिशा हाईकोर्ट

काला धन संबंधित मामले में दायर एक जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए ओडिशा हाईकोर्ट ने अहम राय देते हुए कहा कि काला धन संचय कर रखना आर्थिक आतंकवाद है।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Wed, 15 Jul 2020 08:14 AM (IST) Updated:Wed, 15 Jul 2020 08:14 AM (IST)
काला धन को इकट्ठा करना आर्थिक आतंकवाद: ओडिशा हाईकोर्ट
काला धन को इकट्ठा करना आर्थिक आतंकवाद: ओडिशा हाईकोर्ट

कटक, जागरण संवाददाता। काला धन को इकट्ठा कर रखना आर्थिक आतंकवाद है। काला धन को छिपाकर रखने के लिए की जाने वाली मनी लांड्रिंग यानी अन्य एक फंड में चोरी छिपे चालान करना आर्थिक आतंकवाद का कार्य है। यह देश की आर्थिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करने के साथ राष्ट्र की नीति और संप्रभुता के लिए भी खतरा पैदा करता है।

काला धन संबंधित मामले में दायर एक जमानत याचिका की सुनवाई करते समय ओडिशा हाईकोर्ट ने यह अहम राय दी है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश जस्टिस संजीव कुमार पाणिग्रही को लेकर गठित खंडपीठ मामले की सुनवाई के दौरान इस तरह की टिप्पणी देने के साथ-साथ जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। प्रकाशित राय में जस्टिस संजीव कुमार पाणिग्रही ने उल्लेख किया है कि इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड यानी आईएमएफ के आकलन के अनुसार हर साल इकट्ठा होने वाले काला धन का परिमाण 590 मिलियन से 1.5 ट्रिलियन डॉलर हैं। जो कि पूरे विश्व के निजी उत्पाद का 2 से 5 फ़ीसदी है। 

सुप्रीमकोर्ट भी इस मसले को गंभीरता के साथ लेते हुए कहा है कि इस तरह के अपराध इंसान की चेतना पर पूरी तरह से हावी होने के साथ-साथ विश्व की वाणिज्य नैतिक दिशा को भी नुकसान पहुंचाता है। इस तरह के अपराध बहुत ही चालाकी से केवल मुनाफे के उद्देश्य से किया जाता है। इस तरह से आर्थिक व्यवस्था का दुरुपयोग किसी भी देश के विकास के ऊपर खराब असर डालता है। इसके साथ ही साथ सीमा पार व्यापार के ऊपर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ता है। 

नतीजतन विश्व व्यापार व वाणिज्य के क्षेत्र में देश की छवि पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। इस तरह का अपराध करने वाले अपराधी आसानी से संदेह के घेरे में नहीं आते है और यह लोग गांव के सरल और आर्थिक नजरिए से कमजोर लोगों को ही निशाने पर रखते हैं। अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर यह गरीब कठिन परिश्रम के द्वारा कमाए गए धन में से कुछ बचा कर रखने वाली पूंजी को बिना सोचे समझे इन अपराधियों की बातों में आकर विभिन्न योजनाओं में निवेश कर देते है। 

मिली जानकारी के मुताबिक फाइन इंडी सेल्स प्राइवेट लिमिटेड संस्था में निवेश कर ठगी का शिकार होने वाला एक व्यक्ति 2009 में बालेश्वर जिले के सहदेवखूंटा थाने में एक मामला दर्ज किया था । बाद में इस ठगी मामले की जांच सीबीआई को दी गई। काला धन कारोबार के संबंध में जो सबूत था वह सब मिलने के पश्चात इस बारे में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को भी खबर दी गई थी। ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी थी और संस्था के अतिरिक्त निदेशक मोहम्मद आरिफ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। खुर्दा जिला एवं दौरा जज व स्वतंत्र जज ने इस काले धन के कारोबार मामले में आवेदनकारी की जमानत याचिका को खारिज करने के बाद यह आवेदनकारी जमानत के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगाया था। इसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस तरह की राय दी है।   

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