चीन में 'सिल्क रोड' सम्‍मेलन, गिलगित-बाल्टिस्‍तान में विरोध-प्रदर्शन

पूरे गिलगित भर के प्रदर्शनकारी वन बेल्‍ट-वन रोड और चीन पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को चीन की एक चाल मान रहे हैं, ताकि वह उस क्षेत्र को अपने कब्‍जे में ले सके।

By Pratibha Kumari Edited By: Publish:Sun, 14 May 2017 11:15 AM (IST) Updated:Sun, 14 May 2017 12:09 PM (IST)
चीन में 'सिल्क रोड' सम्‍मेलन, गिलगित-बाल्टिस्‍तान में विरोध-प्रदर्शन
चीन में 'सिल्क रोड' सम्‍मेलन, गिलगित-बाल्टिस्‍तान में विरोध-प्रदर्शन

गिलगित-बाल्टिस्‍तान, एएनआइ। एक तरफ जहां आज से चीन की राजधानी बीजिंग में वन बेल्ट वन रोड (सिल्क रोड योजना) सम्मेलन शुरू हो रहा है, जिसमें पाकिस्‍तान समेत 29 देशों के प्रमुख शामिल हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ गिलगित-बाल्टिस्‍तान में (पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर) में इस योजना के अंतर्गत आने वाले चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) प्रोजेक्‍ट को लेकर विरोध-प्रदर्शन होने लगा है।

वन बेल्‍ट वन रोड (ओबीओआर) के खिलाफ गिलगित, हुंजा, स्‍कर्दु और घिजेर में सैकड़ों छात्र और राजनीतिक संगठन विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। संगठनों में कराकोरम स्‍टुडेंट्स ऑर्गनाइजेशन, बलवारिस्‍तान नेशनल स्‍टुडेंट्स ऑर्गनाइजेशन, गिलिगित बाल्टिस्‍तान यूनाइटेड मूवमेंट और बलवारिस्‍तान नेशनल फ्रंट शामिल हैं। उन्‍होंने इस प्रोजेक्‍ट को गिलगित को कब्‍जे में लेने की एक अवैध कोशिश करार दिया। वे इसे गिलगित-बाल्टिस्‍तान के लिए 'रोड ऑफ गुलामी' के तौर पर देखते हैं।

प्रदर्शनकारियों ने CPEC को बताया चीन की चाल

पूरे गिलगित भर के प्रदर्शनकारी वन बेल्‍ट वन रोड और चीन पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को चीन की एक चाल मान रहे हैं, ताकि वह उस क्षेत्र को अपने कब्‍जे में ले सके। लोगों ने 'चीनी साम्राज्‍यवाद रोको' के बैनर के साथ नारे लगाए और विश्‍व समुदाय से इस मामले में दखल देने का आह्वान भी किया। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि पाकिस्‍तान की मदद से चीन ने अवैध रूप से गिलगित-बाल्टिस्‍तान में प्रवेश किया है। कहा जा रहा है कि इसका मकसद चीन पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के माध्‍यम से चीनी सेना की पाकिस्‍तान में उपस्थिति बनाए रखना और अमेरिका को जवाब देना है।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग के ड्रीम प्रोजेक्ट वन बेल्ट वन रोड पर चीन दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत चीन सड़क, रेल, जल और वायु मार्ग से यूरोप और अफ्रीका से संपर्क बढ़ाएगा। इससे वह दुनिया के सुदूर हिस्सों को अपनी व्यापारिक गतिविधियां से जोड़ेगा, कच्चा और तैयार माल भेजेगा व मंगवाएगा। 

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