ब्रिटेन में छात्रों से लिखवाए जा रहे आतंकियों को पत्र

किताब में इसका उद्देश्य आतंकियों की मंशा समझने का प्रयास बताया गया है।

By Mohit TanwarEdited By: Publish:Mon, 29 May 2017 08:40 AM (IST) Updated:Mon, 29 May 2017 12:58 PM (IST)
ब्रिटेन में छात्रों से लिखवाए जा रहे आतंकियों को पत्र
ब्रिटेन में छात्रों से लिखवाए जा रहे आतंकियों को पत्र

लंदन,एजेंसी। ब्रिटेन में नौनिहालों को आतंकियों की मंशा समझाने के लिए विचित्र तरीका सामने आया है। मैनचेस्टर एरीना हमले से कुछ सप्ताह पहले प्रकाशित किताब में इसके लिए सात से 11 वर्ष के छात्रों से आतंकियों के नाम पत्र लिखने को कहा गया है। इसकी काफी आलोचना हो रही है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, किताब का नाम 'टॉकिंग अबाउट टेररिज्म' [आतंकवाद के बारे में चर्चा] है। इसे ब्रिलिएंट पब्लिकेशंस ने प्रकाशित किया है। 'छात्रों के लिए गतिविधि' वाले हिस्से में प्राथमिक स्तर के छात्रों को आतंकियों को पत्र लिखने के लिए प्रेरित किया गया है। इसमें पूछा गया है कि यदि उन्हें एक आतंकी से छह सवाल पूछने हों तो वे कौन-कौन से होंगे?

किताब में इसका उद्देश्य आतंकियों की मंशा समझने का प्रयास बताया गया है। नई पुस्तक में बड़ी तादाद में निर्दोष लोगों की बिना सोचे-समझे हत्या को युद्ध का एक प्रकार बताया गया है। पुस्तक में आतंकियों द्वारा की जाने वाली हत्याओं को लेकर विचित्र तर्क दिया गया है।

किताब के मुताबिक, जब आतंकी को लगता है कि उसके साथ अनुचित व्यवहार हो रहा है या उसका सम्मान नहीं किया जा रहा है तब वह लोगों की हत्या करता है। कड़ी आलोचना किताब की प्रस्तावना गैर-सरकारी संस्था 'द नेशनल सोसाइटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू चिल्ड्रेन' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीटर वैनलेस ने लिखी है।
आलोचक इसमें दिए गए तर्को को खतरनाक बता रहे हैं। कैंपेन फॉर रियल एजुकेशन के अध्यक्ष क्रिस मैकगवर्न के मुताबिक, इससे छात्र न केवल भ्रमित होंगे बल्कि उनके लिए परेशानी भी पैदा होगी।

छात्रा ने शिक्षक को बनाया युद्ध अपराध का आरोपी

एक छात्र की गलती के लिए पूरी कक्षा को दंडित करने का फैसला एक शिक्षक को भारी पड़ गया है। ग्यारह वर्षीय छात्रा एवा बेल ने कार्रवाई को जेनेवा समझौते का उल्लंघन करार देते हुए शिक्षक को युद्ध अपराध का आरोपी बताया है। बेल ने फीडबैक फॉर्म में पेंसिल से दंड देने के मौजूदा तौर-तरीके पर सवाल उठाया है।

ग्लासगो में रहने वाले उनके पिता गेविन बेल ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। एवा बेल ने लिखा, 'सामूहिक दंड का इस्तेमाल सही नहीं है क्योंकि इससे उनको भी सजा भुगतनी पड़ती है, जिन्होंने कुछ नहीं किया है। वर्ष 1949 के जेनेवा समझौते के तहत यह युद्ध अपराध है।'

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