दुनिया का हर आठवां शख्स भूख से बेहाल

दुनियाभर की सरकारों की तमाम कोशिशों के बावजूद आज की तारीख में हर आठवां व्यक्ति भूख से बेहाल है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन [एफएओ] ने यह जानकारी देते हुए चेतावनी दी है कि 2007-0

By Edited By: Publish:Tue, 09 Oct 2012 04:20 PM (IST) Updated:Tue, 09 Oct 2012 05:31 PM (IST)
दुनिया का हर आठवां शख्स भूख से बेहाल

रोम। दुनियाभर की सरकारों की तमाम कोशिशों के बावजूद आज की तारीख में हर आठवां व्यक्ति भूख से बेहाल है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन [एफएओ] ने यह जानकारी देते हुए चेतावनी दी है कि 2007-08 के बाद से भूख की समस्या को कम करने के प्रयासों में सुस्ती आई है। 2007-08 के बाद से ही खाद्यान्न की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हुई है। इस वजह से कई देशों में खाद्यान्न को लेकर दंगे भी हो चुके हैं।

खाद्य असुरक्षा पर अपनी ताजा रिपोर्ट में एफएओ ने कहा है कि 2010-12 में 86 करोड़ 80 लाख लोग भूख की समस्या से जूझ रहे हैं। यह विश्व की आबादी का साढ़े 12 फीसद है। 1990-92 के दौरान विश्व की एक अरब यानी 18.6 फीसद आबादी भूख से पीड़ित थी। इस लिहाज से देखा जाए तो भूखों की संख्या पिछले 20 साल में कम हुई है।

एफएओ के महानिदेशक जोस ग्रेजियानो डी सिल्वा ने भूख से पीड़ित लोगों की संख्या में कमी आने को बड़ी उपलब्धि बताया लेकिन साथ ही कहा कि अभी भी हर आठवां व्यक्ति भूख से पीड़ित है। यह स्थिति किसी भी दृष्टि से स्वीकार्य नहीं है। खासकर तब जब हम प्रचुरता के बीच जी रहे हैं। दरअसल, भूखों की संख्या में 2006 तक कमी दर्ज की गई, लेकिन उसके बाद खाद्यान्न की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी और आर्थिक संकट ने इस दिशा में सारे प्रयासों पर ब्रेक लगा दिया है।

ग्रेजियानो ने उम्मीद जताई कि अभी भी सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। इसके तहत विकासशील देशों में 2015 तक भूखों की संख्या में पचास फीसद कमी करने का लक्ष्य रखा गया है। अगर इस लक्ष्य को प्राप्त करना है, तो भूख की समस्या से लड़ने के प्रयासों में तेजी लानी होगी। गौरतलब है कि ंवर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र ने सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य निर्धारित किए थे। इनके तहत विकासशील देशों में गरीबी, भूख और बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या में 2015 तक पचास फीसद की कमी लाना है।

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