पूर्वाचल के चुनावी समर में उतरे दिग्गज

बातें कोई कितनी भी लुभावनी क्यों न करे सबकी निगाहें सिर्फ और सिर्फ सूबे की सत्ता पर है। लक्ष्य भेदन की इस प्रक्रिया में सियासी दलों ने अपने-अपने दिग्गजों को पूर्वाचल के चुनावी समर में उतार दिया है।

By Edited By: Publish:Sat, 04 Feb 2012 05:55 PM (IST) Updated:Sat, 04 Feb 2012 06:10 PM (IST)
पूर्वाचल के चुनावी समर में उतरे दिग्गज

वाराणसी [अखिलेश मिश्र]। बातें कोई कितनी भी लुभावनी क्यों न करे सबकी निगाहें सिर्फ और सिर्फ सूबे की सत्ता पर है। लक्ष्य भेदन की इस प्रक्रिया में सियासी दलों ने अपने-अपने दिग्गजों को पूर्वाचल के चुनावी समर में उतार दिया है। बीते पखवाड़े भर में राहुल गाधी, दिग्विजय सिंह, मुलायम सिंह यादव, विनय कटियार, अमर सिंह और बाबू राम कुशवाहा सरीखे एक दर्जन नेताओं ने अलग-अलग जिलों में सभाएं कीं और अपने तरकश के हर तीर आजमाए लेकिन अभी तक कोई तीर निशाना भेदता नजर नहीं आया। सच तो यह है कि इन सभाओं में नेताओं ने इतने वादे किए और इरादे जताए कि मतदाता के लिए यह तय करना मुश्किल हो गया है कि वह जाए तो किधर जाए। भकुआया सा यह मतदाता राजनीतिज्ञों की भाषा के साथ उनकी कथनी करनी के अंतर को भी भापने में लगा है। यही वजह है कि वह अब तक चुप है। लिहाजा राजनीति के पंडित भी हवा का रुख किधर जा रहा है यह बताने में असमंजस महसूस कर रहे हैं। रही बात काग्रेस, भाजपा, सपा व बसपा के बड़े नेताओं की तो वे क्षेत्र विशेष तथा सभा में मौजूद वर्ग का आकलन कर सधे अंदाज में अपनी बातें रख रहे हैं। हर कोई अन्य प्रतिद्वंद्वियों की खामिया गिनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।

बलिया और आजमगढ़ में राहुल ने युवाओं में जोश भरा था। वह जानते है कि नया मतदाता ही इस बार के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएगा। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया था कि वे आगे आएं और प्रदेश की तस्वीर व तकदीर को बदलें। राहुल की इस बात ने युवाओं के दिल को छुआ है। राहुल ने अल्पसंख्यक कार्ड खेलने में भी कमी नहीं की है। इस क्रम में उन्होंने बुनकरों के लिए केंद्र सरकार की ओर से घोषित पैकेज का जिक्र किया है। साथ ही सपा, बसपा के साथ भाजपा को प्रदेश में ठहरे विकास के लिए जिम्मेदार भी ठहराया है। राहुल के अलावा उनकी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तथा प्रदेश प्रभारी दिग्विजय सिंह तो घूम-फिर कर हर दूसरे-तीसरे दिन पूरब में ही रहते हैं। गैर काग्रेसी हर दल को जनता तथा विकास का विरोधी ठहराना उनका एजेंडे में रहता है।

इस इलाके में आए केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद तथा केएच मुनियप्पा ने काग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने का भरपूर प्रयास किया है। रही बात समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की तो उन्होंने भी युवाओं की तरफ ही चारा फेंका है। उन्होंने वाराणसी और जौनपुर में पार्टी के घोषणापत्रों का हवाला देते हुए तमाम घोषणाएं की। इसमें इंटर तक मुफ्त शिक्षा और स्नातक के विद्यार्थियों को लैपटाप देने का एलान शामिल है। छिटके मुस्लिम वोट बैंक को वापस लेने की भी उन्होंने भरपूर कोशिश की है। यह दीगर बात है कि वाराणसी में मुलायम की सभा में मुस्लिम वर्ग की मौजूदगी उत्साहजनक नहीं रही। इतना ही नहीं भीड़ में शामिल मुस्लिम श्रोताओं ने भी मुलायम के भाषण को लेकर बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की थी। इधर, बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने ब्राह्मणों को लुभाने के लिए पार्टी के ब्राह्मण प्रेम की चर्चा करने में कई कंजूसी नहीं दिखाई। आजमगढ़ और मऊ की चुनावी सभा में उन्होंने सजातीय मतदाताओं को अहसास कराया था कि बसपा ने जितना इस वर्ग को सम्मान दिया है उतना किसी अन्य दल ने नहीं दिया। उन्होंने काग्रेस को भ्रष्टाचार की जड़ बताया था।

इधर, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री विनय कटियार ने पिछड़े वर्ग के आरक्षण में कटौती कर मुसलमानों को आरक्षण दिये जाने के प्रस्ताव को गलत करार दिया। आजमगढ़ में अपने भाषण के दौरान कटियार ने सभी वर्गो को लुभाने का पूरा प्रयास किया था। उन्होंने किसानों को मुफ्त बिजली देने समेत वे सारे वादे दोहराए थे जो पार्टी के घोषणापत्र में शामिल है। इन नेताओं ने पूर्वाचल में सियासी पारा चढ़ाने की कोशिशें तो की लेकिन इसका रंग फिलवक्त मतदाताओं पर नहीं चढ़ सका है। यही वजह है कि हर पार्टी की सभा में वे ही लोग एकत्र हो रहे हैं जो उस पार्टी से जुड़े हैं अथवा प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं का जिनसे सीधा जुड़ाव है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर

chat bot
आपका साथी