..जब सड़कों पर सचमुच बहा शराब का दरिया
अवैध शराब के कारोबार पर डेट्रॉइट की ताकतवर पर्पल गैंग का कब्जा था और इसे बनाए रखने के लिए गैंग सारे हथकंडे आजमा रही थी।
नई दिल्ली, जेएनएन। बात सन् 1929 की है। अमेरिका के शहर डेट्रॉइट में अवैध शराब का कारोबार जोरों पर था। हालात इतने बुरे थे कि अवैध शराब डेट्रॉइट का दूसरा बड़ा उद्योग ही बन गया था। तब पूरे अमेरिका में बिकने वाली कुल शराब का 75 फीसदी हिस्सा अकेले डेट्रॉइट में खप जाता था।
इसका मतलब यह कतई नहीं था कि देश में शराब की कमी थी, बल्कि संगठित अपराध और गैंगवार के कारण अवैध शराब के धंधे ने पूरे देश में पैर पसार लिए थे। डेट्रॉइट तब इसका गढ़ बन गया, जहां 20 हजार से ज्यादा शराबखाने चल रहे थे।
अवैध शराब के कारोबार पर डेट्रॉइट की ताकतवर पर्पल गैंग का कब्जा था और इसे बनाए रखने के लिए गैंग सारे हथकंडे आजमा रही थी। देश में इस समस्या को लेकर हाहाकार मचा हुआ था। शराब माफिया और ताकतवर होता जा रहा था। नतीजतन कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे थे।
आखिरकार तत्कालीन सरकार पर जबरदस्त दबाव बढ़ा और सरकार को शराब के अवैध कारोबार पर रोक लगाने का फैसला लेना पड़ा। सरकार ने कार्रवाई शुरू की तो जनता ने समर्थन दिया। इससे उत्साहित सरकार ने अवैध शराब को सड़कों पर बहाना शुरू कर दिया।
नतीजा ये हुआ कि डेट्रॉइट में कई दिनों तक सड़कों पर शराब ऐसी बहती दिखती, जैसे कि दरिया बहता है। कई दिन की कार्रवाई से डेट्रॉइट पटरी पर लौटा।
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