क्या पाक सेना शहबाज शरीफ को देगी खुला हाथ?

शहबाज शरीफ ने वैसे कई बार भारत विरोधी बयान भी दिए हैं लेकिन आम तौर पर वह दोनों देशों के बेहतर ताल्लुक के समर्थक रहे हैं।

By Mohit TanwarEdited By: Publish:Sun, 30 Jul 2017 11:41 AM (IST) Updated:Sun, 30 Jul 2017 11:43 AM (IST)
क्या पाक सेना शहबाज शरीफ को देगी खुला हाथ?
क्या पाक सेना शहबाज शरीफ को देगी खुला हाथ?

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अब यह सिर्फ कुछ हफ्तों की बात है जब पूर्व पीएम नवाज शरीफ के छोटे भाई और पंजाब के सीएम शाहबाज शरीफ पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे। सत्तारुढ़ राजनीतिक पीएमएल-एन के इस फैसले पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ है। लेकिन विदेशी मामलों के जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान के मौजूदा हालात को देखते हुए भारत के लिए शहबाज से बेहतर और कोई विकल्प नहीं हो सकता था।

शहबाज शरीफ ने वैसे कई बार भारत विरोधी बयान भी दिए हैं लेकिन आम तौर पर वह दोनों देशों के बेहतर ताल्लुक के समर्थक रहे हैं। वर्ष 2013 में उन्होंने भारत की यात्रा भी की थी और सार्वजनिक यह कहा था कि पाकिस्तान को भारत से बहुत कुछ सीखने की जरुरत है।

भारत अभी पाकिस्तान में चल रही गतिविधियों पर पैनी नजर रखे हुए है हालांकि सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी से परहेज किया जा रहा है। लेकिन विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि शरीफ का पुराना रिकार्ड अगर भारत समर्थक का नहीं है तो उन्हें भारत विरोधियों की श्रेणी में भी नहीं डाला जा सकता। भारत के लिए अच्छी बात यह है कि वह पाकिस्तान में हर तरह के आतंकवाद के खात्मे की बात करते रहे हैं और सरकार के मामले में आर्मी के हस्तक्षेप के पूरी तरह से खिलाफ रहे हैं।

माना जाता है कि अभी पाकिस्तान की आर्मी और नवाज शरीफ के बीच जो झगड़ा शुरु हुआ है उसकी वजह भी शहबाज शरीफ ही हैं। उन्होंने ही अक्टूबर, 2016 में सरकार और पाक आर्मी की समीक्षा बैठक में सेना के खिलाफ सख्त शब्दों का इस्तेमाल किया था। शरीफ ने ही कहा था कि, 'अगर सेना ने अपनी आदत नहीं बदली तो पाकिस्तान पूरी दुनिया में और अलग थलग पड़ जाएगा।' इस घटना के अलावा भी शहबाज शरीफ ने कई बार पाकिस्तान सेना के खिलाफ जा कर अपने गृह राज्य पंजाब में छिपे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की है।

कूटनीतिक व रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ उदय भास्कर मानते हैं कि शहबाज शरीफ का पीएम बनना पाकिस्तान के लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए तो अहम साबित होगा ही साथ ही भारत के साथ रिश्ते किस तरफ जाते हैं, इसे तय करने में भी यह फैसला अहम होगा। वैसे तो पिछले तीन दशकों से पाकिस्तान की सेना ही भारत के साथ रिश्तों को संचालित करती रहती है लेकिन इस बार देखना होगा कि शहबाज शरीफ किस तरह से अपने आपको पेश करते हैं। देखना होगा कि वह अपने बडे़ भाई की तरह पाकिस्तान आर्मी पर पकड़ बनाने की कोशिश करते हैं या नहीं। साथ ही हमें यह भी देखना होगा कि पाकिस्तान में अगले साल आम चुनाव समय पर हो पाते हैं या नहीं।

शहबाज शरीफ चार वर्ष पहले भारत के दौरे पर भी आये थे। तब उन्होंने अमृतसर, लुधियाना और नई दिल्ली की यात्रा की थी। भारत की आर्थिक प्रभावित से वह खासे प्रभावित थे। उन्होंने भारत से बिजली खरीदने में खासी दिलचस्पी दिखाई थी। उनकी दिलचस्पी की वजह से ही दोनो देशों के ऊर्जा मंत्रालयों के बीच यह विमर्श हुआ था कि भारत शुरुआत में 500 मेगावाट बिजली पाकिस्तान पंजाब को देगा। इसके लिए अमृतसर में अलग ट्रांसमिशन लाइन बनाने की भी बात हुई थी लेकिन बाद में यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।

शहबाज शरीफ कई बार भारत व पाकिस्तान के बीच कारोबारी संबंधों को कूटनीतिक रिश्तों से अलग रखने की बात कर चुके हैं। मौजूदा तनाव के दौर में भी भारत व पाकिस्तान पंजाब के अटारी बार्डर से व्यापार चालू है।

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