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मंत्री के बेटे और भतीजे ने किसान बनकर की विदेश की सैर

उद्यानिकी विभाग के सूत्रों के अनुसार प्रदेश में हर साल उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए उन्न्त किसानों को विदेश में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Sun, 30 Jul 2017 10:33 AM (IST)Updated: Sun, 30 Jul 2017 10:33 AM (IST)
मंत्री के बेटे और भतीजे ने किसान बनकर की विदेश की सैर
मंत्री के बेटे और भतीजे ने किसान बनकर की विदेश की सैर

विदिशा, नईदुनिया प्रतिनिधि। प्रदेश के किसानों को उन्न्त खेती के प्रशिक्षण के लिए कराई गई नीदरलैंड की यात्रा में उद्यानिकी मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा के बेटे और भतीजे शामिल थे। इस सरकारी टूर में बेटे और भतीजे ने हॉलेण्ड की सैर की।

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इस मामले में जब नवदुनिया ने मंत्री मीणा से बात की तो उन्होंने कहा कि क्या मंत्री का बेटा होना गुनाह है। उनका बेटा खुद एक किसान है और इसी हैसियत से वह उन्न्त खेती के प्रशिक्षण के लिए विदेश गया था।

उद्यानिकी विभाग के सूत्रों के अनुसार प्रदेश में हर साल उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए उन्न्त किसानों को विदेश में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है। इसी के तहत पिछले वर्ष नवंबर में 20 किसानों का टूर नीदरलैंड भेजा गया था। इसमें प्रदेश भर के 20 किसान शामिल थे। जिनमें उद्यानिकी मंत्री मीणा के पुत्र देवेश मीणा और भतीजे कृष्णा मीणा को भी शामिल किया गया।

पांच दिनों के इस टूर के लिए सरकारी तौर पर इन किसानों से 40 से 42 हजार रुपए लिए गए थे। शेष करीब डेढ़ लाख रुपए की राशि राज्य सरकार ने वहन की। इस मामले में उद्यानिकी मंत्री मीणा का कहना है कि टूर के लिए आवेदन प्रक्रिया उनके मंत्री बनने से पहले चल रही थी। इसी के चलते उनके बेटे और भतीजे ने आवेदन दिया था। जिस पर डायरेक्ट्रेट ने मंजूरी थी थी।

उनका कहना था कि इस टूर में सिर्फ उनके रिश्तेदार ही नहीं बल्कि प्रदेश भर के 20 किसान भी शामिल थे। मीणा ने यह भी कहा कि वे खुद एक उन्न्तशील कृषक हैं। उनके खेत पर पारंपरिक फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों की भी खेती होती है। जिसे कोई भी आकर उनके गृह ग्राम दयानंदपुर में देख सकता है।

इधर, कांग्रेस विधायक निशंक जैन ने इस मामले को भाजपा की कथनी और करनी में अंतर बताया। उन्होंने कहा कि यदि उद्यानिकी मंत्री अपने रिश्तेदारों की बजाए कर्ज की मार से खुदकुशी करने वाले किसानों के रिश्तेदारों को उन्न्त खेती के लिए विदेश भेजते तो वे स्वागत करते।

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