क्या है स्प्लाइसिंग मेथड? जीडीपी की बैक सीरिज में किया गया है इसका इस्तेमाल

पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध न होने पर सीएसओ स्प्लाइसिंग मेथड का सहारा लेता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 02 Dec 2018 09:11 PM (IST) Updated:Sun, 02 Dec 2018 09:11 PM (IST)
क्या है स्प्लाइसिंग मेथड? जीडीपी की बैक सीरिज में किया गया है इसका इस्तेमाल
क्या है स्प्लाइसिंग मेथड? जीडीपी की बैक सीरिज में किया गया है इसका इस्तेमाल

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। सेंट्रल स्टटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) ने जब से नए आधार वर्ष 2011-12 पर जीडीपी के बैक सीरिज आंकड़े जारी किए हैं तब से एक बहस छिड़ गयी है। कुछ लोग इन आंकड़ों पर सवाल उठा रहे हैं जबकि सरकार इन्हें विश्वसनीय करार दे रही है। सीएसओ ने बैक सीरिज आंकड़ों की गणना करते वक्त एक सांख्यिकी तकनीक 'स्प्लाइसिंग मेथड' का इस्तेमाल किया है। यह तकनीक क्या है? 'जागरण पाठशाला' के इस अंक में हम यही समझने का प्रयास करेंगे।

'स्प्लाइसिंग' अंग्रेजी भाषा का शब्द है जिसका मतलब है दो टुकड़ों को लिंक करना। अर्थशास्त्र व सांख्यिकी में 'स्प्लाइसिंग मेथड' का इस्तेमाल दो अलग-अलग आधार वर्षो पर जारी हुए जीडीपी आंकड़ों को लिंक करने के लिए किया जाता है। इस तकनीक में पुराने और नए आधार वर्ष के अनुपात के आधार पर पूर्ववर्ती वर्षो के लिए आंकड़ों की गणना की जाती है।

हमारे देश में सेंट्रल स्टटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) आधिकारिक तौर पर जीडीपी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) के आंकड़े जारी करता है। जीडीपी की गणना किसी एक साल को संदर्भ वर्ष के रूप में लेकर की जाती है जिसे आधार वर्ष कहते हैं। फिलहाल आधार वर्ष 2011-12 है और इस पर जारी आंकड़ों को जीडीपी की नई सीरिज कहते हैं। नई सीरिज पर जीडीपी के आंकड़े 2011-12 के बाद के वर्षो के लिए ही उपलब्ध हैं न कि पूर्व के वर्षो के लिए। इससे पूर्व आधार वर्ष 2004-05 था जिस पर जारी हुए आंकड़ों को जीडीपी की पुरानी सीरिज कहते हैं और ये 2013-14 तक उपलब्ध हैं।

चूंकि आधार वर्ष 2011-12 पर जीडीपी के आंकड़े 2004-05 से लेकर 2010-11 तक उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए सीएसओ ने नई सीरिज में इस्तेमाल की गयी विधि का प्रयोग कर इन वर्षो के जीडीपी की गणना की है जिसे बैक सीरिज कहते हैं।

बैक सीरिज की गणना करते समय एक चुनौती आ सकती है कि उस समय कुछ वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन व उपभोग हो रहा था, लेकिन अब बंद हो गया है या कुछ नए आइटम उपभोग व उत्पादों की फेहरिस्त में जुड़ गए हैं, तो ऐसी स्थिति में पूर्ववर्ती वर्षो के लिए उनके पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध न होने पर सीएसओ 'स्प्लाइसिंग मेथड' का सहारा लेता है। स्प्लाइसिंग मेथड के जरिए पूर्व के वर्षों के लिए उनकी वैल्यू निकाली जाती है।

सीएसओ ने 28 नवंबर को जो बैक सीरिज (2004-05 से 2010-11 तक) जीडीपी आंकड़े जारी किए हैं उसमें कंस्ट्रक्शन क्षेत्र के लिए पूरी तरह जबकि कृषि व संबद्ध क्षेत्रों, गैस, व्यापार, रिपेयर, होटल व रेस्टोरेंट, रियल एस्टेट, पेशेवर सेवाएं, लोक प्रशासन, रक्षा तथा अन्य सेवाओं के आंकड़े निकालने के लिए आंशिक तौर पर स्प्लाइसिंग मेथड का सहारा लिया गया है। सीएसओ अब 2004-05 से पहले के वर्षो के लिए भी स्प्लाइसिंग मेथड की मदद से नए आधार वर्ष 2011-12 पर जीडीपी के आंकड़े जारी करेगा। भारत में ही नहीं दुनिया के अन्य देशों जैसे हांगकांग, सिंगापुर, श्रीलंका और वियतनाम जैसे देश भी जीडीपी के बैक सीरिज आंकड़ों की गणना के लिए स्प्लाइसिंग मेथड का इस्तेमाल करते हैं।

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