एनसीपी-जदयू के साथ तीसरे मोर्चे की कवायद में वाघेला?

कांग्रेस होमवर्क करने को तैयार नहीं है अब पार्टी ने चुनावी रणनीति को लेकर अहम बैठक बुलाई लेकिन खुद वाघेला ही इसमें नदारद हैं।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Fri, 23 Jun 2017 05:31 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jun 2017 05:31 PM (IST)
एनसीपी-जदयू के साथ तीसरे मोर्चे की कवायद में वाघेला?
एनसीपी-जदयू के साथ तीसरे मोर्चे की कवायद में वाघेला?

अहमदाबाद, जेएनएन। गुजरात कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला के बिना ही आगे बढने का फैसला कर लिया है। वाघेला को आलाकमान ने दिल्ली से बैरंग लौटा दिया, यहां के प्रभारी गहलोत व सोलंकी ने उनकी गैरहाजिरी में प्रत्याशियों पर चर्चा के लिए मैराथन बैठक शुरू कर दी। वाघेला ने भी लौटकर शनिवार के शक्तिप्रदर्शन के यथावत रहने का ऐलान किया है।

साल के आखिर में राज्य विधानसभा के चुनाव होने हैं, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मतदाता सूची के पेज प्रमुख से लेकर प्रदेश अध्यक्ष व सरकार के संचालन की चाबी अपने हाथ में ले ली है लेकिन कांग्रेस अपने सबसे वरिष्ठ नेता के हठ में फंसी हुई है। गाहे बगाहे वाघेला की नाराजगी को दरकिनार कर गुजरात कांग्रेस के प्रभारी अशोक गहलोत ने प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी के साथ मिलकर प्रदेश पदाधिकारी, लोकसभा सीट के प्रभारी तथा बूथ प्रभारियों से प्रदेश कार्यालय पर मुलाकात शुरू कर दी है।

वाघेला ने गत दिनों पत्रकार परिषद में कहा था कि कांग्रेस होमवर्क करने को तैयार नहीं है अब पार्टी ने चुनावी रणनीति को लेकर अहम बैठक बुलाई लेकिन खुद वाघेला ही इसमें नदारद हैं। दरअसल वाघेला ने पार्टी के समानांतर चुनावी रणनीति बनाने के लिए शनिवार को गांधीनगर में अपने समर्थक नेता व कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन बुलाया है, वाघेला इसमें अपने लोगों से राय लेंगे कि उन्हें कांग्रेस में रहना चाहिए अथवा अलग हो जाना चाहिए।

वैसे बीते कुछ माह से कांग्रेस में चल रही उठापटक से जहां कांग्रेस कार्यकर्ता नाराज हैं वहीं वाघेला समर्थकों का भी कहना है कि पार्टी अब भी उनके साथ बाहरी जैसा ही बर्ताव कर रही है। दरअसल वाघेला शुक्रवार सुबह अहमदाबाद से नई दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व उनके राजकीय सचिव अहमद पटेल से मिलने गए थे, वाघेला जिस विमान में थे भाजपा अध्यक्ष शाह भी उसी विमान से दिल्ली गए थे। दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई अथवा नहीं हुई ये भविष्य के गर्भ में है लेकिन प्रदेश् क राजनीतिक माहौल को जरूर गरमा दिया।

कांग्रेस राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार पर सहमति बनाने में जुटी थी फिर भी वाघेला दिल्ली पहुंच गए जो पार्टी आलाकमान को भी रास नहीं आया। सोनिया गांधी ही नहीं अहमद पटेल भी वाघेला को समय नहीं दे पाए जिससे उन्हें बैरंग ही लौटना पडा। अब गहलोत व सोलंकी ने उनके बिना पार्टी प्रत्याशियों पर मंथन शुरु कर दिया है जिससे लग रहा है कि वाघेला व कांग्रेस के बीच खाई गहरी हो गई जिसे पाटना काफी मुश्किल होगा।

खबर है क‍ि वाघेला अपने समर्थक नेताओं के लिए कांग्रेस से पांच दर्जन टिकट की मांग कर रहे हैं, सोलंकी व गहलोत इसके लिए तैयार नहीं है। वाघेला लगातार कह रहे हैं क‍ि वे भाजपा में शामिल नहीं होंगे लेकनि अमित शाह वाघेला के जरिए कांग्रेस का गणित खराब करना चाहते हैं, इसे भांपकर कांग्रेस सर्तक होकर अपनी रणनीत‍ि पर वाघेला के बिना बढने की तैयारीमें जुट गई है।

वाघेला एनसीपी व जदयू के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा बना सकते हैं, जिसका ऐलान वे शनिवार को अपने समर्थकों से मिलने के बाद कर सकते हैं। वैसे गत मंगलवार को वाघेला ने भाजपा कांग्रेस से लेन देन का हिसाब सार्वजनिक कर खुद को पार्टी के बंधन से मुक्त कर लिया अब सिर्फ ऐलान शेष है।

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