पाक धमाका, बारिश व कवि सम्मेलन जैसे बहाने बना 35 साल से साप्ताहिक हड़ताल कर रहे वकील

Uttarakhand Lawyers Strike शनिवार को काम ठप रखने को वकीलों के जो बहाने हैं उस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे गैर कानूनी बताया। पढ़ें- हैरान करने वाले बहाने।

By Amit SinghEdited By: Publish:Sat, 29 Feb 2020 05:15 PM (IST) Updated:Sat, 29 Feb 2020 05:40 PM (IST)
पाक धमाका, बारिश व कवि सम्मेलन जैसे बहाने बना 35 साल से साप्ताहिक हड़ताल कर रहे वकील
पाक धमाका, बारिश व कवि सम्मेलन जैसे बहाने बना 35 साल से साप्ताहिक हड़ताल कर रहे वकील

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। अदालतों में लंबित मामलों का अंबार लगा है। सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट इन पेंडिंग कोर्ट केस को लेकर कई बार चिंता जता चुकी हैं। इन सबके बीच उत्तराखंड के तीन जिलों में 35 साल से प्रत्येक शनिवार को चली आ रही वकीलों की हड़ताल को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गैरकानूनी करार दिया है। वकीलों की हड़ताल की अजीबो-गरीब वजहें सुनकर सुप्रीम कोर्ट भी दंग है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को दिल दहलाने वाला बताया है।

इन जिलों में चल रही हड़ताल

उत्तराखंड के तीन जिलों देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर की अदालतों में 35 वर्षों से हर शनिवार को वकील हड़ताल पर रहते हैं। हड़ताल की वजह इतनी बेतुकी या कहें अजीबो-गरीब है कि हाईकोर्ट ने 25 सितंबर 2019 को हड़ताल खत्म करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने ये आदेश विधि आयोग की 266वीं रिपोर्ट के आधार पर दिया था। इस रिपोर्ट में वकीलों कि हड़ताल के कारण कार्य दिवस के नुकसान का विश्लेषण किया गया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

35 साल पहले ऐसे हुई थी शुरूआत

उत्तराखंड के तीनों जिलों में शनिवार को वकीलों की साप्ताहिक हड़ताल की जब शुरूआत हुई थी, तीनों जिले उत्तर प्रदेश का हिस्सा थे। 35 वर्ष पहले इस साप्ताहिक हड़ताल की शुरूआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच बनाने को लेकर हुई थी। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड अलग राज्य बना दिया गया। इसके बाद उत्तराखंड के जिलों में, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हाईकोर्ट बेंच वाली मांग का मुद्दा खत्म हो गया। बावजूद वकीलों की हड़ताल का सिलसिला खत्म नहीं हुआ।

हड़ताल पर कार्रवाई का मांगा सुझाव

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा और एमआर शाह की पीठ ने उत्तराखंड के तीन जिलों में चल रही वकीलों की हड़ताल को अवैध ठहराया है। साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया और सभी स्टेट बार काउंसिल से वकीलों की हड़ताल पर कार्रवाई का खाका तैयार करने के लिए छह हफ्ते में सुझाव मांगा है। सुप्रीम कोर्ट पहले भी उत्तराखंड के वकीलों को हड़ताल खत्म करने का आदेश दे चुका था।

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