अलग राज्य बनेगा तेलंगाना

दशकों पुरानी अलग तेलंगाना राज्य की लड़ाई अब मुकाम तक पहुंच गई है। तमाम विरोध और पेचीदगियों के बावजूद संप्रग सरकार ने अब आंध्र प्रदेश को विभाजित कर अलग तेलंगाना राज्य बनाने के फैसले को हरी झंडी दिखा दी है। दस साल के लिए हैदराबाद दोनों राज्यों की साझा राजधानी होगी।

By Edited By: Publish:Tue, 30 Jul 2013 04:40 AM (IST) Updated:Wed, 31 Jul 2013 06:11 AM (IST)
अलग राज्य बनेगा तेलंगाना

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दशकों पुरानी अलग तेलंगाना राज्य की लड़ाई अब मुकाम तक पहुंच गई है। तमाम विरोध और पेचीदगियों के बावजूद संप्रग सरकार ने अब आंध्र प्रदेश को विभाजित कर अलग तेलंगाना राज्य बनाने के फैसले को हरी झंडी दिखा दी है। दस साल के लिए हैदराबाद दोनों राज्यों की साझा राजधानी होगी। सबसे ज्यादा विवाद हैदराबाद पर ही दावेदारी को लेकर था। इस फार्मूले के आधार पर पहले संप्रग समन्वय समिति और फिर बाद में कांग्रेस कार्यसमिति ने अलग तेलंगाना के रूप में 29वां राज्य बनाने पर मुहर लगा दी। लेकिन प्रकिया इतनी जटिल है कि हरी झंडी मिलने के बाद भी इसे अमलीजामा पहनाने में तमाम पेचीदगियां मौजूद हैं।

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आंध्र प्रदेश में राजनीतिक जमीन खो चुकी कांग्रेस ने अपनी स्थिति सुधारने का यह आखिरी सियासी हथियार चला है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए सबसे मददगार आंध्र प्रदेश में इस दफा पार्टी भीषण सियासी संकट से गुजर रही है। मगर इस फैसले के बाद उसे उम्मीद है कि कम से कम तेलंगाना से कुछ राहत मिलेगी। 42 संसदीय और 294 विधानसभा क्षेत्रों वाले आंध्र प्रदेश का विभाजन होने के बाद तेलंगाना में 17 संसदीय और 119 विधानसभा क्षेत्र होंगे। आंध्र में 25 संसदीय 175 विधानसभा क्षेत्र बचेंगे। दोनों ही राज्यों में ऊपरी व निचली सदन का गठन किया जाएगा। फिलहाल, आज की राजनीतिक स्थिति पर नजर डालने से साफ है कि दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकारें ही बनेंगी।

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फार्मूले के मुताबिक रायलसीमा केदो जिले कुरनूल और अनंतपुर भी तेलंगाना में शामिल किए जाएंगे और इसको लेकर खासा विवाद है। तेलंगाना में कुल 10 जिले रखने का प्रस्ताव है। मंगलवार को दोपहर से ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ तेलंगाना मुद्दे पर बैठकों के दौर चलते रहे। मंगलवार सुबह आंध्र के प्रभारी दिग्विजय सिंह, अहमद पटेल, सुशील कुमार शिंदे और गुलाम नबी आजाद सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे थे। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने आंध्र प्रदेश के नेताओं के साथ बैठक की थी। अलग तेलंगाना के विरोध में इस्तीफा देने जा रहे आंध्र के मुख्यमंत्री किरण रेड्डी को मनाया गया कि इस नाजुक वक्त में वह पार्टी के साथ खड़े हों। इसके बाद संप्रग समन्वय समिति की बैठक ने सर्वसम्मति से मुहर लगाई। तत्पश्चात सोनिया-राहुल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत सभी कार्यसमिति सदस्यों ने भी तेलंगाना पर आगे बढ़ने का फैसला किया। आंध्र प्रदेश में इस फैसले के प्रति नाराजगी देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य के तमाम संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी है। कई जगह केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात कर सेना को भी मुस्तैद कर दिया गया है।

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लंबी प्रक्रिया से गुजरेगा विधेयक

अलग तेलंगाना के लिए विधेयक के इस मानसून सत्र में संसद से पारित होने की संभावना नहीं है। जानकारों के मुताबिक कैबिनेट से हरी झंडी मिलने के बाद भी इसमें पांच से छह महीने का वक्त लगेगा।

-कैबिनेट के बाद इसे मंत्रियों के समूह के पास भेजा जाएगा, जो नए राज्य के गठन में वित्तीय मसलों पर विचार करेगा।

-राज्य सरकार से प्रस्ताव मिलने के बाद गृह मंत्रालय कैबिनेट के समक्ष नोट प्रस्तुत करेगा। इसमें कम से कम 40 दिन का समय लगेगा।

-मंत्रियों के समूह की सिफारिशों और सुझावों के आधार पर गृह मंत्रालय दूसरा नोट भी कैबिनेट के पास भेजेगा।

-इसके बाद आंध प्रदेश विधानसभा में इस पर प्रस्ताव पारित कराना होगा।

-तत्पश्चात प्रधानमंत्री विधेयक का मसौदा राष्ट्रपति के पास भेजेंगे। राष्ट्रपति भवन से इसे आंध्र प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद को भेजा जाएगा।

-राज्य सरकार की सिफारिशों के आधार पर कानून मंत्रालय इस पर तीसरा नोट तैयार कर कैबिनेट के पास भेजेगा। इसके बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा।

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'फिलहाल तेलंगाना में दस जिले शामिल किए गए हैं। अन्य जिलों को जोड़ने की मांग पर मंत्रियों का समूह विचार करेगा।..पूरी प्रक्रिया में पांच माह तक का वक्त लग सकता है।'

-दिग्विजय सिंह, आंध्र के प्रभारी

'हम फैसले का स्वागत करते हैं। लेकिन साझा राजधानी पर स्थिति स्पष्ट करने की जरूरत है। हम यह भी जानना चाहते हैं कि संसद में विधेयक कब पेश किया जाएगा। इसके बाद ही हम कांग्रेस में शामिल होने पर फैसला करेंगे।'

- के चंद्रशेखर राव, टीआरएस प्रमुख

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