आदिवासी महिलाएं सोलर लैंप से जगा रहीं अलख

जिले की इस पहल के लिए हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां के कलेक्टर को सम्मानित भी किया।

By Mohit TanwarEdited By: Publish:Fri, 28 Apr 2017 07:20 PM (IST) Updated:Fri, 28 Apr 2017 07:20 PM (IST)
आदिवासी महिलाएं सोलर लैंप से जगा रहीं अलख
आदिवासी महिलाएं सोलर लैंप से जगा रहीं अलख

नईदुनिया, जयपुर। राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य जिले डूंगरपुर की आदिवासी महिलाएं अब सोलर इंजीनियर बन गई हैं। ये न सिर्फ सोलर लैंप बना रही है, बल्कि अब इनके लिए सोलर मॉड्यूल बनाने का प्लांट भी स्थापित किया जा रहा है। इसे 'दुर्गा' नाम दिया गया है। यहां इन महिलाओं द्वारा निर्मित लैंपों के लिए सोलर पैनल व अन्य सोलर उत्पाद बनेंगे।

जिले की इस पहल के लिए हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां के कलेक्टर को सम्मानित भी किया। खास बात यह है कि इन लैंपों के निर्माण के अलावा इनकी मरम्मत और मार्केटिंग का काम ये महिलाएं करती हैं। 80 रुपये की कीमत वाले ये लैंप डूंगरपुर जैसे पिछड़े जिले में बच्चों की पढ़ाई का बड़ा साधन हैं।

राजस्थान के दक्षिणी हिस्से में स्थित डूंगरपुर जिला यहां के सबसे पिछड़े जिलों में माना जाता है। यह आदिवासी बाहुल्य जिला है। पिछले वर्ष यहां के जिला प्रशासन ने आइआइटी बांबे के साथ एक समझौता किया। इसके तहत यहां की आदिवासी महिलाओं को सोलर लैंप बनाने का प्रशिक्षण दिया जाना था। जिले में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को आइआइटी बांबे ने सोलर स्टडी लैंप बनाने का प्रशिक्षण दिया।

शुरुआत में 150 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया, फिर 500 और महिलाएं जुड़ी। आज करीब पांच हजार महिलाएं सोलर लैंप बना रही हैं। ये महिलाएं इससे पहले तक अचार, पापड़ बना कर कमाई कर रही थीं। प्रशिक्षण के बाद ये महिलाएं जिले में अब तक करीब 60 हजार सोलर लैंप बेच चुकी हैं और इनके स्वयं सहायता समूहों को करीब 26 लाख रुपये लाभ हुआ है।

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