छत्तीसगढ़- झारखंड के बीच बनेगा बाघ कॉरिडोर
बिलासपुर(निप्र)। छत्तीसगढ़ - झारखंड के बीच बाघ कारीडोर बनाने की योजना है। इसके लिए प्रारंभिक कवायद भी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कारीडोर के अस्तित्व में आते ही बाघ विस्तृत क्षेत्र में विचरण करेंगे। ऐसे में उनकी संख्या बढ़ने की संभावना है। बाघ संकट में हैं। यह समस्या में देश नहीं, बल्कि पूरे विश्व में है। बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कई तर
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ और झारखंड के बीच बाघ कॉरिडोर बनाए जाने की योजना है। इसके लिए प्रारंभिक कवायद भी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कॉरिडोर के अस्तित्व में आते ही बाघ विस्तृत क्षेत्र में विचरण करेंगे। ऐसे में उनकी संख्या भी बढ़ेगी।
बाघ संकट में हैं। यह समस्या देश में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में है। बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं। अलग से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण बनाये गए हैं। प्राधिकरण हर उस क्षेत्र को संरक्षित करने में जुटा हुआ है, जहां बाघ हैं। मापदंडों के अनुरूप होने पर उस क्षेत्र को टाइगर रिजर्व भी घोषित किया जाता है। इसके साथ- साथ कॉरिडोर को भी बाघों की संख्या बढ़ाने में सार्थक माना जाता है।इसके लिए आवश्यकतानुसार कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं।
अचानकमार टाइगर रिजर्व से कान्हा टाइगर रिजर्व के बीच वन क्षेत्र को कॉरिडोर के रूप में विकसित करने की योजना है। इसी कड़ी में अब छत्तीसगढ़ - झारखंड के बीच कॉरिडोर बनाने की योजना है। यह गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान से तैमोर पिंगला अभ्यारण होते ही झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व को जोड़ते हुए बनाया जाएगा। वन मुख्यालय स्तर पर बनी इस योजना को अब मूर्तरूप देने की कवायद चल रही है।
पढ़ेंः पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघिन ने जने चार शावक