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पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघिन ने जने चार शावक

पीलीभीत टाइगर रिजर्व की माला वन रेंज में एक बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया है। चार शावकों के आगमन की खबर से माला वन रेंज में खुशियों की लहर है। वन विभाग ने बाघो की घटती संख्या के बीच इसे टाइगर रिजर्व के लिए शुभ संकेत बताया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2015 09:32 AM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2015 11:01 AM (IST)

लखनऊ। पीलीभीत टाइगर रिजर्व की माला वन रेंज में एक बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया है। चार शावकों के आगमन की खबर से माला वन रेंज में खुशियों की लहर है। वन विभाग ने बाघो की घटती संख्या के बीच इसे टाइगर रिजर्व के लिए शुभ संकेत बताया है। बाघिन व शावकों की निगरानी के लिए टीमें लगा दी हैं।

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बाघो की गडऩा के दौरान बाघिन और शावकों का फोटो जंगल में लगाये गए स्वचालित कैमरे में कैद होने के बाद टाइगर रिजर्व के अफसरों को इस बात की जानकारी लगी है। अब वन विभाग की टीम बाघिन तथा शावकों पर विशेष नजर भी रखेगी।

बीते वर्ष ही मिला था टाइगर रिजर्व का दर्जा

राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते वर्ष 14 जनवरी को पीलीभीत को टाइगर रिजर्व का दर्जा दे दिया है। पीलीभीत प्रदेश में तीसरा और देश में 45वां टाइगर रिजर्व है। पीलीभीत में अब बाघों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से मदद मिल रही है। भारत-नेपाल सीमा से लगे पीलीभीत टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 73024.98 हेक्टेयर है जिसमें से 60279.8 हेक्टेयर कोर एरिया और 12745.18 हेक्टेयर बफर जोन है। अभी देश के 17 राज्यों में बाघ पाये जाते हैं जिनमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है। सूबे में पिछली बार 2010 में हुई बाघों की गणना में प्रदेश में 118 बाघ पाये गए थे जिनमें से 30 पीलीभीत के जंगल में मिले। पीलीभीत में साल के घने जंगल पाये जाते हैं जिनके बीच घास के मैदान, पोखर और तालाब हैं। यहां के वन क्षेत्र में बाघों के अलावा बारासिंघा, बंगाल फ्लोरिकन, हॉग डियर, तेंदुआ सरीखे संकटग्रस्त और लुप्तप्राय जीव पाये जाते हैं। पीलीभीत में टाइगर रिजर्व बनने पर तराई आर्क (पश्चिम में पीलीभीत से लेकर पूर्व में बलरामपुर तक तराई के जिले) में बाघों के संरक्षण और उनकी वंशवृद्धि को बढ़ावा मिल रहा है। तराई का क्षेत्र बाघों के महत्वपूर्ण प्राकृतवासों में से एक है। क्षेत्र में बाघों के लिए पर्याप्त संख्या में शिकार उपलब्ध है। टाइगर रिजर्व बनाने के लिए सरकार ने पीलीभीत के संरक्षित वन क्षेत्र को फरवरी 2014 में भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा-18 के तहत वन्यजीव विहार घोषित किया था। इसके बाद सरकार ने पीलीभीत को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव को एनटीसीए की हरी झंडी मिलने के बाद सरकार ने भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 38(वी) के तहत पीलीभीत को टाइगर रिजर्व घोषित करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है। दुधवा को 1987 में प्रदेश का पहला टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। फिर 2012 में बिजनौर जिले में अमानगढ़ को दूसरा टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।


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