सुप्रीम कोर्ट की तृणमूल को दो टूक, जल्द सुनवाई चाहिए तो हाईकोर्ट जाएं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जल्द सुनवाई चाहिए तो हाई कोर्ट जाए या फिर गर्मियों के अवकाश खत्म होने की प्रतीक्षा करे।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सोशल मीडिया कम्यूनिकेशन हब स्थापित करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ कोर्ट गई तृणमूल कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जल्द सुनवाई चाहिए तो हाई कोर्ट जाएं या फिर गर्मियों के अवकाश खत्म होने की प्रतीक्षा करें।
तृणमूल कांग्रेस के वकील निजाम पाशा ने जब कहा कि टेंडर की तारीख सोमवार की ही है तो भी जस्टिस एस अब्दुल नजीर व इंदु मल्होत्रा की बेंच ने कहा कि जल्द सुनवाई का सवाल ही नहीं पैदा होता। अवकाश खत्म होंगे तब आप फिर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर जल्द सुनवाई की अपील कर सकते हैं। इससे पहले आपके पास हाई कोर्ट जाने का विकल्प है।
निजाम पाशा तृणमूल की विधायक महुआ मोइत्रा की तरफ से पैरवी कर रहे थे। पाशा का कहना था कि सोशल मीडिया की निगरानी के लिए केंद्र यह कार्यवाही कर रहा है। इसके बाद ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम व ईमेल में मौजूद हर डाटा तक केंद्र की पहुंच हो जाएगी। निजता के अधिकार का यह सरासर उल्लंघन है। इससे हर व्यक्ति की निजी जानकारी को भी सरकार खंगाल सकेगी। इसमें जिला स्तर तक सरकार डाटा को खंगाल सकेगी।
गौरतलब है कि हाल में केंद्रीय मंत्रालय के तहत काम करने वाले पीएसयू ब्रॉडकास्ट कंसलटेंट इंडिया लि. (बीईसीआइएल) ने एक टेंडर जारी किया है। इसमें एक सॉफ्टवेयर की आपूर्ति के लिए निविदाएं मांगी गई हैं। सरकार इसके तहत सोशल मीडिया के माध्यम से एकत्र सूचनाओं को एकत्र करेगी।
अनुबंध आधार पर जिला स्तर पर काम करने वाले मीडिया कर्मियों के जरिये सरकार सोशल मीडिया की सूचनाओं को एकत्र करके देखेगी कि सरकारी योजनाओं पर लोगों का क्या रुख है। समाचारों का रुझान किस तरफ है। लोग सरकार के फैसलों से कितना प्रभावित हो रहे हैं। सरकार का तर्क है कि इससे उसे असली फीडबैक मिलेगा और फिर वह योजनाओं में तब्दीली करके उन्हें और ज्यादा जन उपयोगी बनाने का काम कर सकेगी?
तृणमूल कांग्रेस के वकील निजाम पाशा ने जब कहा कि टेंडर की तारीख सोमवार की ही है तो भी जस्टिस एस अब्दुल नजीर व इंदु मल्होत्रा की बेंच ने कहा कि जल्द सुनवाई का सवाल ही नहीं पैदा होता। अवकाश खत्म होंगे तब आप फिर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर जल्द सुनवाई की अपील कर सकते हैं। इससे पहले आपके पास हाई कोर्ट जाने का विकल्प है।
निजाम पाशा तृणमूल की विधायक महुआ मोइत्रा की तरफ से पैरवी कर रहे थे। पाशा का कहना था कि सोशल मीडिया की निगरानी के लिए केंद्र यह कार्यवाही कर रहा है। इसके बाद ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम व ईमेल में मौजूद हर डाटा तक केंद्र की पहुंच हो जाएगी। निजता के अधिकार का यह सरासर उल्लंघन है। इससे हर व्यक्ति की निजी जानकारी को भी सरकार खंगाल सकेगी। इसमें जिला स्तर तक सरकार डाटा को खंगाल सकेगी।
गौरतलब है कि हाल में केंद्रीय मंत्रालय के तहत काम करने वाले पीएसयू ब्रॉडकास्ट कंसलटेंट इंडिया लि. (बीईसीआइएल) ने एक टेंडर जारी किया है। इसमें एक सॉफ्टवेयर की आपूर्ति के लिए निविदाएं मांगी गई हैं। सरकार इसके तहत सोशल मीडिया के माध्यम से एकत्र सूचनाओं को एकत्र करेगी।
अनुबंध आधार पर जिला स्तर पर काम करने वाले मीडिया कर्मियों के जरिये सरकार सोशल मीडिया की सूचनाओं को एकत्र करके देखेगी कि सरकारी योजनाओं पर लोगों का क्या रुख है। समाचारों का रुझान किस तरफ है। लोग सरकार के फैसलों से कितना प्रभावित हो रहे हैं। सरकार का तर्क है कि इससे उसे असली फीडबैक मिलेगा और फिर वह योजनाओं में तब्दीली करके उन्हें और ज्यादा जन उपयोगी बनाने का काम कर सकेगी?